The Lens
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • Podcast
  • सरोकार
  • छत्तीसगढ़
  • वीडियो
  • More
    • English
    • स्क्रीन
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • आंकड़ा कहता है
    • टेक्नोलॉजी-ऑटोमोबाइल्‍स
    • धर्म
    • नौकरी
    • लेंस अभिमत
    • साहित्य-कला-संस्कृति
    • सेहत-लाइफस्‍टाइल
    • अर्थ
Latest News
दो पूर्व CM, नौकरशाही को नसीहत एक!
BSF से पुलिस सेवा में विलय पर एसपी यशपाल सिंह के खिलाफ MHA में शिकायत, सीएस को जांच के आदेश
राहुल गांधी की लंबी उम्र की पीएम मोदी ने की कामना
अमित शाह छत्तीसगढ़ में एंटी नक्सल कैंप का करेंगे दौरा
मध्य-पूर्व तनाव : चीन ने की युद्धविराम की अपील, रूस की ट्रंप को धमकी, ईरान-इजरायल झुकने को तैयार नहीं
रायपुर में बिल्डर को बेच दिया तालाब, ग्रामीणों ने दिया धरना, थाने का किया घेराव
एयर इंडिया के जहाज क्वालिटी टेस्ट में पास, फिर भी उड़ानों में 15 फीसदी कटौती का ऐलान
बिहार में कानून-व्यवस्था को लेकर तेजस्वी का नीतीश पर निशाना, आवास के पास गोलीबारी पर उठाए सवाल
दुर्ग में पति- पत्नी का भांडा फूटा, कारोबारी का अश्लील वीडियो बनाकर कर रहे थे ब्लैकमेल, वसूली के पैसे से लग्जरी लाइफ स्टाइल
हमारी भाषा ही हमारी पहचान, अंग्रेजी बोलने वालों को जल्द ही शर्म महसूस होगी : अमित शाह
Font ResizerAa
The LensThe Lens
  • देश
  • दुनिया
  • लेंस रिपोर्ट
  • Podcast
  • सरोकार
  • छत्तीसगढ़
  • वीडियो
Search
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • Podcast
  • सरोकार
  • छत्तीसगढ़
  • वीडियो
  • More
    • English
    • स्क्रीन
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • आंकड़ा कहता है
    • टेक्नोलॉजी-ऑटोमोबाइल्‍स
    • धर्म
    • नौकरी
    • लेंस अभिमत
    • साहित्य-कला-संस्कृति
    • सेहत-लाइफस्‍टाइल
    • अर्थ
Follow US
© 2025 Foxiz News Network. Ruby Design Company. All Rights Reserved.

Home » राहुल गांधी : निशानेबाजी में मेडलिस्ट, मगर सियासत में निशाना लगाने से क्यों बार-बार चूक जाते हैं?

सरोकार

राहुल गांधी : निशानेबाजी में मेडलिस्ट, मगर सियासत में निशाना लगाने से क्यों बार-बार चूक जाते हैं?

Editorial Board
Last updated: June 19, 2025 4:54 pm
Editorial Board
Share
Rahul Gandhi
SHARE
रशीद किदवई, वरिष्ठ पत्रकार और 24 अकबर रोड जैसी चर्चित किताब के लेखक

इसमें कोई दो राय नहीं है कि सियासत में वही जीतता है, जो सही मौके पर सही ढंग से निशाना लगा सके। आज राहुल गांधी अपनी जिंदगी के 55 साल पूरे कर रहे हैं। उन्हें सक्रिय राजनीति में आए भी दो करीब दो दशक का समय हो गया है। यह कहना गलत नहीं होगा कि राजनीति ने उन्हें कई मौके दिए हैं, लेकिन फिर भी वे हर बार निशाना लगाने से चूक जाते हैं। ऐसा क्यों होता है? इसका जवाब उन्हीं की राजनीति में तलाशा जा सकता है।

खबर में खास
निशानेबाजी के कोटे से मिला था एडमिशन…तब उठा था विवाद…राइफल एसोसिएशन, आईओए ने किया था समर्थन…कोच ने कहा था, चौथा स्थान भी बड़ी सफलता…

शायद राहुल के विरोधी भी स्वीकार करेंगे कि वर्तमान दौर के अधिकांश राजनीतिज्ञों के बनिस्बत वे थोड़े से आदर्शवादी हैं। वे कभी भी समझौता करने के मूड में नहीं होते हैं। इस मायने में वे नेहरू-गांधी परिवार के अन्य सदस्यों से काफी अलग हैं, जो कहीं अधिक व्यावहारिक थे और उनमें वैचारिक स्तर पर लचीलापन भी था। राहुल की आर्थिक एवं राजनीतिक सोच मध्य-वामपंथ से अधिक प्रभावित है और इसका असर अक्सर उनके सियासी फैसलों पर भी नजर आता है। यही वजह है कि दक्षिणपंथी राजनीति के इस दौर में भी उनके सियासी निशाने अक्सर खाली जाते हैं।

माना जाता है कि अमर्त्य सेन और अभिजीत बनर्जी जैसे नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने राहुल की आर्थिक और राजनीतिक सोच को आकार दिया है। अमर्त्य सेन से राहुल की पहली मुलाकात तब हुई थी, जब वे (राहुल) ट्रिनिटी से डेवलपमेंट स्टडीज में एम. फिल की पढ़ाई कर रहे थे। राहुल ने 1994-1995 में ट्रिनिटी में पढ़ाई कर डेवलपमेंट स्टडीज में एम. फिल की उपाधि हासिल की थी। इसके कई सालों बाद साल 2009 में सेन ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘मैं उनसे (राहुल) कुछ हद तक वाकिफ हूं। दरअसल, मैंने तब उनके साथ पूरा दिन बिताया था, जब वे मुझसे मिलने ट्रिनिटी (कैम्ब्रिज) आए थे। मैं उनसे काफी प्रभावित हुआ था।’

निशानेबाजी के कोटे से मिला था एडमिशन…

भले ही सियासत में राहुल को आज भी एक सटीक निशाने की दरकार है, लेकिन दिलचस्प तथ्य यह है कि व्यक्तिगत जिंदगी में राहुल गांधी अच्छे निशानेबाज रहे हैं। उनके पिता राजीव जब प्रधानमंत्री थे, उस समय (जुलाई 1989) राहुल ने स्पोर्ट्स कोटा के जरिए ही प्रतिष्ठित सेंट स्टीफंस कॉलेज में इतिहास (ऑनर्स) के स्नातक छात्र के तौर पर दाखिला लिया था। दरअसल, सेंट स्टीफंस कॉलेज में दाखिला लेना आसान नहीं था।

उस वक्त 100 साल से भी पुराने हो चुके इस कॉलेज ने कई लब्धप्रतिष्ठ राजनेता, लेखक, सिविल सेवक और विद्वान दिए थे। लेकिन राहुल के लिए परेशानी का सबब यह था कि बारहवीं कक्षा में उनका प्रदर्शन कोई बहुत अच्छा नहीं था, कम से कम सेंट स्टीफंस में प्रवेश लेने लायक तो बिल्कुल भी नहीं। सीबीएसई स्कूल सर्टिफिकेट में उन्हें 61 फीसदी अंक हासिल हुए थे। लेकिन चूंकि वे दिल्ली शूटिंग कॉम्पीटिशन के मेडलिस्ट थे और जुलाई 1989 तक उनके खाते में कुल मिलाकर नौ राष्ट्रीय पुरस्कार आ चुके थे। इसलिए उनके लिए इस कोटा के जरिए दाखिला मिलना आसान हो गया।

तब उठा था विवाद…

लेकिन राहुल का यह दाखिला विवाद से रहित नहीं रहा। उस दौर में राहुल के दाखिले से जुड़ी खबरें दिल्ली के कई प्रमुख अखबारों की सुर्खियां बन गई थीं। उस वक्त जाने-माने पत्रकार और राजीव गांधी के मित्र सुमन दुबे प्रधानमंत्री कार्यालय में थे। तब दुबे ने सेंट स्टीफंस में राहुल के प्रवेश का स्वागत करते हुए टिप्पणी की थी कि “19 साल से कम उम्र के कितने लड़कों ने राष्ट्रीय स्तर पर आठ पदक जीते हैं?’ इसी के बाद विवादों ने जन्म लिया। दिल्ली भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष मदन लाल खुराना ने यह आरोप लगाया कि राहुल की राइफल शूटिंग की स्किल ‘नकली’ दस्तावेजों पर आधारित है।

राइफल एसोसिएशन, आईओए ने किया था समर्थन…

नेशनल राइफल एसोसिएशन और भारतीय ओलिंपिक संघ राहुल के पक्ष में आए थे। राइफल एसोसिएशन ने एक सर्टिफिकेट पेश किया था, जिससे पता चल रहा था कि राहुल 26 दिसंबर 1988 से 5 जनवरी, 1989 तक नई दिल्ली में आयोजित 32वीं राष्ट्रीय निशानेबाजी प्रतियोगिता में चौथे स्थान पर रहे थे। तब चौथे स्थान पर रहने वाले को भी कांस्य पदक प्रदान किए जाते थे। भारतीय ओलिंपिक संघ (आईओए) के तत्कालीन अध्यक्ष बी. आदित्यन और सचिव रणधीर सिंह ने राहुल द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों का सत्यापन किया था और उन्हें सही बताया था।

कोच ने कहा था, चौथा स्थान भी बड़ी सफलता…

डॉक्टर राजपाल सिंह, जो राहुल के कोच थे और खुद एक अंतरराष्ट्रीय पिस्टल शूटर थे, ने भी आश्चर्य जताया था कि विपक्ष ने तथ्यों की पुष्टि किए बिना विवाद को हवा कैसे दे दी। वे प्रतियोगिताएं जिसमें राहुल ने भाग लिया था, सार्वजनिक तौर पर आयोजित की गई थीं। प्रिंट मीडिया के खेल पेजों पर ‘राहुल गांधी स्टील्स द शो’, ‘राहुल एक्सेल’, ‘राहुल की शानदार शुरुआत’ जैसी सुर्खियां छपी थीं।

डॉ. राजपाल के अनुसार 1988 की नेशनल शूटिंग प्रतियोगिता में देश भर से 48 प्रतिभागियों ने भाग लिया था, जिसमें कई पुलिस कर्मी भी शामिल थे। ऐसे में राहुल गांधी के चौथे स्थान (कांस्य पदक) पर आना भी बड़ी उपलब्धि थी। राष्ट्रीय प्रतियोगिता से पहले राहुल ने तुगलगाबाद रेंज में आयोजित दिल्ली शूटिंग चैंपियनशिप में तीन स्वर्ण, एक रजत और चार कांस्य पदक जीते थे। डॉ. राजपाल के मुताबिक राहुल में जबर्दस्त फिजिकल स्ट्रेंथ और मेंटल स्टेमिना है। डॉ. राजपाल ने ये भी कहा था कि 1600 ग्राम की पिस्तौल को लगातार छह घंटे तक उठाना आसान काम नहीं है।

TAGGED:CongressRahul Gandhi
Share This Article
Email Copy Link Print
Previous Article Assembly By Election उपचुनाव : चार राज्‍यों की पांच विस सीटों पर मतदान, नतीजे 23 जून को
Next Article Chief Justice BR Gavai “संविधान सिर्फ एक शासकीय दस्तावेज नहीं”, CJI गवई ने ऐसा क्‍यों कहा ?

Your Trusted Source for Accurate and Timely Updates!

Our commitment to accuracy, impartiality, and delivering breaking news as it happens has earned us the trust of a vast audience. Stay ahead with real-time updates on the latest events, trends.
FacebookLike
XFollow
InstagramFollow
LinkedInFollow
MediumFollow
QuoraFollow

Popular Posts

Freedom or chaos

The Chhattisgarh government has implemented the new shops and establishments act in the state. The…

By The Lens Desk

Making religion roomy

Pope Francis died today on Easter Monday at his Vatican residence. Pope for 12 years…

By Editorial Board

जानिए कौन हैं सेबी के नए प्रमुख तुहिन पांडे, जो करेंगे शेयर बाजार की निगरानी

नई दिल्‍ली। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के नए चैयरमैन तुहिन कांत पांडे होंगे।…

By The Lens Desk

You Might Also Like

छत्तीसगढ़

छत्‍तीसगढ़ में नगरीय निकायों के बाद पंचायतों में भी बीजेपी की आंधी, पहले चरण में 162 में 120 प्रत्‍याशी जीते

By The Lens Desk
देश

राज्यसभा में राणा सांगा पर रार: सपा सांसद रामजी के समर्थन में आए खरगे, बीजेपी ने काटा हंगामा

By Arun Pandey
Rahul Gandhi, Bhopal
देश

राहुल गांधी का कटाक्ष, “ट्रंप का फोन आया और पीएम मोदी सरेंडर”

By Lens News Network
THE LENS PODCAST
Podcast

The Lens Podcast 30th April 2025 | सुनिए देश-दुनिया की बड़ी खबरें | The Lens |

By Amandeep Singh
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?