लेंस डेस्क
उत्तराखंड की चारधाम यात्रा जिसमें यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ शामिल हैं, हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है। लेकिन हाल के हेलीकॉप्टर हादसों ने इस यात्रा की सुरक्षा और व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। 15 जून 2025 को केदारनाथ के पास हुए एक दुखद हेलीकॉप्टर हादसे के बाद हेली सेवाओं पर रोक लगा दी गई है।
हेलीकॉप्टर हादसा: क्या हुआ ?
15 जून 2025 को केदारनाथ धाम के पास गौरीकुंड क्षेत्र में आर्यन एविएशन का एक हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यह हेलीकॉप्टर केदारनाथ से तीर्थयात्रियों को लेकर गौरीकुंड लौट रहा था। हादसे में पायलट समेत सात लोगों की जान चली गई। प्रारंभिक जांच में पता चला कि खराब मौसम और कम दृश्यता इस हादसे की मुख्य वजह थी। इस दुखद घटना के बाद उत्तराखंड सरकार, उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (UCADA) और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने चारधाम यात्रा के लिए सभी हेलीकॉप्टर सेवाओं पर तत्काल रोक लगा दी। यह रोक अगले आदेश तक लागू रहेगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस हादसे की गहन जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही, हेली सेवाओं को सुरक्षित बनाने के लिए नई और सख्त नियमावली (SOP) तैयार करने का निर्देश दिया गया है। इसके तहत हेलीकॉप्टर ऑपरेटरों और पायलटों के अनुभव की जांच होगी खासकर हिमालय जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में उड़ान भरने के लिए। एक विशेष ‘कमांड एंड कोऑर्डिनेशन सेंटर’ बनाया जाएगा, जो हेली सेवाओं की निगरानी करेगा। मौसम की सटीक जानकारी और तकनीकी सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा।

पहले भी हुए हैं हादसे
चारधाम यात्रा के दौरान हेलीकॉप्टर हादसे कोई नई बात नहीं हैं। हाल के वर्षों में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं जो सुरक्षा व्यवस्था की कमियों को उजागर करती हैं। कुछ प्रमुख हादसे-
23 अक्टूबर 2018: केदारनाथ में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में सात लोगों की मौत।
21 अगस्त 2019: उत्तरकाशी में बाढ़ राहत कार्य के दौरान एक हेलीकॉप्टर क्रैश, जिसमें तीन लोग मारे गए।
8 मई 2025: गंगोत्री के रास्ते गंगनानी में हेलीकॉप्टर हादसा, छह लोगों की मौत।
12 मई 2025: बद्रीनाथ में एक हेलीकॉप्टर का ब्लेड एक वाहन से टकराया, कोई हताहत नहीं।
17 मई 2025: एम्स का हेली एम्बुलेंस केदारनाथ जाते समय दुर्घटनाग्रस्त, कोई हताहत नहीं।
7 जून 2025: केदारनाथ के लिए उड़ान भर रहे एक हेलीकॉप्टर की बडासू में आपात लैंडिंग, पायलट को मामूली चोटें आईं और स्थानीय दुकानों को नुकसान हुआ।
15 जून 2025: गौरीकुंड में ताजा हादसा, सात लोगों की मौत।
चारधाम यात्रा में हेलीकॉप्टर हादसे : बार-बार क्यों हो रहे हैं?
उत्तराखंड की चारधाम यात्रा में हेलीकॉप्टर सेवाएं तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाजनक हैं लेकिन हाल के वर्षों में बार-बार होने वाले हादसों ने सबको चिंता में डाल दिया है। ये हादसे न केवल यात्रियों की जान जोखिम में डालते हैं बल्कि स्थानीय लोगों और पर्यटन पर भी बुरा असर डालते हैं।
- मौसम की अनिश्चितता
हिमालय के पहाड़ी इलाकों में मौसम पल-पल बदलता है। बारिश, कोहरा और तेज हवाएं हेलीकॉप्टर उड़ानों को खतरनाक बना देती हैं। खासकर केदारनाथ और गंगोत्री जैसे ऊंचे क्षेत्रों में धुंध की वजह से पायलट को रास्ता देखना मुश्किल हो जाता है। उदाहरण के लिए, 15 जून 2025 को गौरीकुंड में हुए हादसे की वजह खराब मौसम बताया गया। लेकिन मौसम विभाग की चेतावनी के बावजूद कुछ हेली कंपनियां मुनाफे के लिए या यात्रियों के दबाव में जोखिम लेती हैं और उड़ान भर देती हैं।
- हेलीकॉप्टर में तकनीकी खराबी
कई बार हेलीकॉप्टरों में इंजन की गड़बड़ी या अन्य तकनीकी समस्याएं हादसों का कारण बनती हैं। 7 जून 2025 को बडासू में एक हेलीकॉप्टर को तकनीकी खराबी की वजह से आपात लैंडिंग करनी पड़ी। हेलीकॉप्टरों की नियमित जांच और रखरखाव में लापरवाही बरती जाती है। कई बार पुराने या सिंगल-इंजन हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल होता है, जो हिमालय जैसे मुश्किल इलाकों में कमजोर पड़ जाते हैं।

- पायलटों का कम अनुभव
हिमालय की संकरी घाटियों और ऊंचे पहाड़ों में उड़ान भरना आसान नहीं है। इसके लिए खास प्रशिक्षण और लंबे अनुभव की जरूरत होती है। लेकिन कई बार कम अनुभव वाले पायलटों को उड़ान की जिम्मेदारी दे दी जाती है। हेली कंपनियां लागत बचाने के लिए अनुभवी पायलटों की बजाय नए पायलटों को रखती हैं। साथ ही नियमित प्रशिक्षण और अनुभव की जांच की कमी भी एक बड़ा कारण है।
- नियम तोड़ना और लापरवाही
कई हेली कंपनियां नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) के नियमों का पालन नहीं करतीं। जैसे, ज्यादा यात्रियों को ले जाना, कम ऊंचाई पर उड़ान भरना, या तय समय से ज्यादा उड़ानें करना। 15 जून 2025 के गौरीकुंड हादसे में आर्यन एविएशन के खिलाफ नियम तोड़ने का मामला दर्ज हुआ। मुनाफा कमाने की होड़ में कंपनियां सुरक्षा नियमों को नजरअंदाज करती हैं। यात्रियों की ज्यादा मांग को देखकर वे बिना सोचे-समझे उड़ानें बढ़ा देती हैं।
- हिमालय का मुश्किल भूगोल
केदारनाथ और गंगोत्री जैसे क्षेत्रों में संकरी घाटियां, ऊंचे पहाड़, और अचानक बदलने वाली हवाएं उड़ान को जोखिमी बनाती हैं। खराब मौसम में ये खतरा और बढ़ जाता है। इन इलाकों में ज्यादातर सिंगल-इंजन हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल होता है, जो मौसम की मार या तकनीकी खराबी को झेलने में कमजोर होते हैं।

- निगरानी और रडार की कमी
चारधाम यात्रा के रास्तों पर कोई मजबूत रडार सिस्टम या हवाई यातायात नियंत्रण (एयर ट्रैफिक कंट्रोल) नहीं है। इससे पायलटों को सही मार्गदर्शन नहीं मिलता और हेलीकॉप्टरों की निगरानी में कमी रहती है। केंद्र सरकार से एयर ट्रैफिक कंट्रोल की मंजूरी न मिलना और तकनीकी संसाधनों की कमी इस समस्या को बढ़ाती है।
- बहुत ज्यादा उड़ानें
चारधाम यात्रा के दौरान हेलीकॉप्टरों की संख्या और उड़ानों की आवृत्ति बहुत ज्यादा होती है। पहले एक घंटे में 25-30 उड़ानें होती थीं जो लगातार चलती थीं।
यात्रियों की भारी भीड़ और मुनाफे की चाह में कंपनियां बिना रुके उड़ानें भरती हैं। इससे पायलटों पर दबाव बढ़ता है और वे थकान या जल्दबाजी में गलतियां कर सकते हैं।
स्थानीय लोगों की परेशानियां
चारधाम यात्रा उत्तराखंड के स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और आय का बड़ा स्रोत है लेकिन हेलीकॉप्टर हादसे और हेली सेवा पर रोक ने कई समस्याएं पैदा की हैं।
पर्यटन पर निर्भरता: चारधाम यात्रा से स्थानीय लोग, जैसे टैक्सी ड्राइवर, गाइड, होटल मालिक, और दुकानदार, अच्छी कमाई करते हैं। हेलीकॉप्टर सेवाएं तीर्थयात्रियों को जल्दी और आसानी से धामों तक पहुंचाती हैं, जिससे पर्यटकों की संख्या बढ़ती है। हेली सेवा बंद होने से अब कई यात्री सड़क या पैदल मार्ग चुन रहे हैं, जिससे पर्यटकों की संख्या कम हो सकती है। इससे स्थानीय व्यवसायों को नुकसान हो रहा है।
रोजगार पर असर: हेलीपैड पर काम करने वाले कर्मचारी, जैसे टिकटिंग स्टाफ और ग्राउंड स्टाफ, अब बेरोजगार हो सकते हैं। केदारनाथ और बद्रीनाथ जैसे क्षेत्रों में सैकड़ों लोग हेली सेवाओं से जुड़े हैं।
अन्य व्यवसाय प्रभावित: स्थानीय लोग हस्तशिल्प, जड़ी-बूटियां, और स्थानीय खाद्य पदार्थ बेचकर भी कमाई करते हैं। पर्यटकों की कमी से इनकी बिक्री घटी है।
सुरक्षा का डर: बार-बार हादसों ने स्थानीय लोगों में डर पैदा किया है। ये हादसे न सिर्फ तीर्थयात्रियों, बल्कि आसपास रहने वालों के लिए भी खतरा हैं। उदाहरण के लिए, 7 जून 2025 को बडासू में क्रैश लैंडिंग से स्थानीय दुकानों और वाहनों को नुकसान हुआ।
लोग हेली ऑपरेटरों की लापरवाही से नाराज हैं। उनका कहना है कि सुरक्षा नियमों का पालन नहीं होता और सरकार इस पर ठोस कदम नहीं उठाती।

पर्यावरण को नुकसान
हेलीकॉप्टरों की लगातार उड़ानें हिमालय के नाजुक पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं। शोर प्रदूषण और जंगलों में हादसों से आग का खतरा बढ़ता है। हेली सेवा बंद होने से सड़क मार्गों पर भीड़ बढ़ी है, जिससे भूस्खलन और सड़क जाम की समस्या बढ़ रही है। यह स्थानीय लोगों के रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित करता है। स्थानीय लोग मानते हैं कि हेली सेवाएं ज्यादातर अमीर तीर्थयात्रियों के लिए हैं और इनका स्थानीय समुदाय को ज्यादा फायदा नहीं मिलता। इससे सामाजिक असमानता की भावना बढ़ रही है।
हेलीकॉप्टर सेवाएं देहरादून, फाटा, सिरसी, और गुप्तकाशी से शुरू होती हैं। ये बुजुर्गों, बीमार लोगों, और समय की कमी वाले यात्रियों के लिए वरदान हैं। एक हेली टिकट की कीमत 3,500 से 7,000 रुपये तक होती है। 2025 में 19 लाख से ज्यादा लोगों ने चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण कराया । हेली सेवाओं ने यात्रियों की संख्या बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाई।

बार-बार हादसों ने तीर्थयात्रियों में डर पैदा किया है। कई लोग अब हेलीकॉप्टर से यात्रा करने से बच रहे हैं। हेली सेवा बंद होने से यात्री सड़क या पैदल मार्ग पर निर्भर हैं। ये रास्ते लंबे और जोखिम भरे हैं, खासकर बारिश और भूस्खलन के मौसम में। फर्जी हेली टिकट बुकिंग की घटनाएं बढ़ी हैं। उदाहरण के लिए, गोरखपुर में एक व्यक्ति से फेसबुक पर फर्जी विज्ञापन के जरिए 36,000 रुपये ठग लिए गए। ऐसी घटनाएं यात्रियों का भरोसा तोड़ रही हैं। पर्यटकों की संख्या में कमी की आशंका है जो स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का विषय है।
DGCA ने हेली उड़ानों में 35% की कटौती की और सख्त सुरक्षा नियम लागू करने को कहा। इसमें पायलटों का प्रशिक्षण और हेलीकॉप्टरों की नियमित जांच शामिल है। सरकार ने हेली ऑपरेटरों के साथ बैठक की और पायलटों के अनुभव की जांच शुरू की। UCADA को हेलीपैड पर सुविधाएं बढ़ाने के लिए कहा गया है। मुख्यमंत्री ने एक जांच समिति बनाई है जो हेली सेवाओं के लिए नए नियम बनाएगी।