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लेंस रिपोर्ट

अहमदाबाद विमान हादसे के बाद टूटे सपने, बिखरी जिंदगियां, झकझोर देंगी ये कहानियां

पूनम ऋतु सेन
पूनम ऋतु सेन
Byपूनम ऋतु सेन
पूनम ऋतु सेन युवा पत्रकार हैं, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद लिखने,पढ़ने और समाज के अनछुए पहलुओं के बारे में जानने की...
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Published: June 14, 2025 7:13 PM
Last updated: June 15, 2025 3:54 AM
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द लेंस डेस्क। एक पल में सब कुछ राख हो गया। सपने जो लंदन की उड़ान में सजे थे अहमदाबाद के मेघानी नगर की गलियों में बिखर गए। 12 जून 2025 को हुआ एयर इंडिया का विमान हादसा (फ्लाइट AI171) एक त्रासदी है, जिससे अनगिनत ज़िंदगियां थम गईं। बोइंग ड्रीमलाइनर की यह उड़ान लंदन जा रहे यात्रियों के साथ ही बीजे मेडिकल कॉलेज हॉस्टल और मेघानी नगर के अनेक लोगों के लिए दुःस्वप्न साबित हुई। एक बहन अपने भाई से अब कभी नहीं मिल सकेगी। कुछ पलों के अंतराल ने दो दोस्तों को हमेशा के लिए अलग कर दिया। दोस्तों के साथ खेल रहा एक 14 साल का लड़का अब कभी घर नहीं लौटेगा।

खबर में खास
सीताबेन की चीखें, एक मां का टूटा दिलप्रोफेसर की खामोशी, आंसुओं में डूबी जिंदगीअम्मारा का इंतजार, उम्मीद की पतली डोरकैलाशभाई की त्रासदी, भाई की आखिरी मुस्कानजयश्री का अधूरा सपना, भाई से आखिरी मुलाकातजेमी का आखिरी अलविदा, भारत को अंतिम प्रणामसगाई का टूटा अरमान, एक युवा का अधूरा भविष्यदो मिनट की देरी बनी मौत का कारणमाहेश कलावड़िया, 700 मीटर दूर की उम्मीदविश्वास कुमार रमेश, एकमात्र जिंदा बचे व्यक्ति

Ahemdabad plane crash victim : इस त्रासदी के पीछे का मंजर और दिल को झकझोर देने वाली ऐसी अनेक कहानियां मीडिया रिपोर्ट्स में सामने आई है :

सीताबेन की चीखें, एक मां का टूटा दिल

मेघानी नगर की तंग गलियों में चाय की टपरी चलाने वाली सीताबेन की दुनिया उनके 16 साल के बेटे आकाश के इर्द-गिर्द घूमती थी। आकाश स्कूल से लौटकर टपरी के पास जमीन पर लेटकर सो रहा था, उस दोपहर अनजाने में इस त्रासदी का शिकार बन गया। जब विमान क्रैश हुआ, तो आग की लपटों ने आकाश को लील लिया। सीताबेन ने उसे बचाने की हर मुमकिन कोशिश की लेकिन मलबे और धुएं ने उन्हें रोक दिया। आज उनकी चीखें मेघानी नगर की गलियों में गूंज रही हैं। सीताबेन की टपरी अब खामोश है और उनकी आँखों में सिर्फ आकाश की यादें बाकी हैं।

प्रोफेसर की खामोशी, आंसुओं में डूबी जिंदगी

बीजे मेडिकल कॉलेज के एक वरिष्ठ प्रोफेसर जिन्होंने जिंदगी भर मरीजों की जान बचाई, उस दिन अपने छात्रों के साथ हॉस्टल मेस में थे। हंसी-मजाक के बीच अचानक विमान क्रैश हुआ और मेस आग के गोले में बदल गया। एक तस्वीर में प्रोफेसर की आंखों में आंसू और चुप्पी इस त्रासदी का दर्द बयां कर रही है।

अम्मारा का इंतजार, उम्मीद की पतली डोर

लंदन के ब्लैकबर्न में रहने वाली अम्मारा ताजु अपने दादा-दादी, हसीना और आदम ताजु और ससुर अल्ताफहुसेन पटेल का इंतजार कर रही थीं। वे इस विमान में सवार थे और हादसे की खबर ने अम्मारा के परिवार को तोड़ दिया। अम्मारा और उनका परिवार प्रार्थनाओं के सहारे जी रहा है एक महीन-सी उम्मीद थामे कि शायद कोई चमत्कार हो। अम्मारा की आंखों में डर और दुख के साथ-साथ अपने प्रियजनों की यादें हैं।

कैलाशभाई की त्रासदी, भाई की आखिरी मुस्कान

कैलाशभाई पटनी का 14 साल का छोटा भाई मेघानी नगर की सड़क पर अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था जब आसमान से आग बरस पड़ी। कैलाशभाई को पोस्टमॉर्टम सेंटर के बाहर रोते देखा गया, जहां वे अपने भाई की पहचान के लिए इंतज़ार कर रहे थे। उस मासूम भाई की मुस्कान, जो घर की रौनक था, अब सिर्फ यादों में बाकी है। कैलाशभाई का दर्द उन तमाम परिवारों की पीड़ा को दर्शाता है जिन्होंने इस हादसे में अपने प्रियजनों को खोया।

जयश्री का अधूरा सपना, भाई से आखिरी मुलाकात

जयश्री पटेल अपने भाई से मिलने लंदन जा रही थीं। उनके परिवार ने इस मुलाकात के लिए महीनों से तैयारियां की थीं। अब वे कभी नहीं मिल सकेंगे। जयश्री का परिवार अब उनकी यादों के सहारे जी रहा है। उनकी वह हंसी जो घर में गूंजती थी, अब सिर्फ तस्वीरों में कैद है।

जेमी का आखिरी अलविदा, भारत को अंतिम प्रणाम

यूके के योग प्रशिक्षक जेमी रे मीक ने भारत की अपनी यात्रा को जादुई बताया था। हादसे से कुछ मिनट पहले, उन्होंने इंस्टाग्राम पर लिखा, “हम एयरपोर्ट पर हैं, लंदन के लिए 10 घंटे की उड़ान। अलविदा भारत। यह उनका आखिरी संदेश बन गया।

सगाई का टूटा अरमान, एक युवा का अधूरा भविष्य

बीजे मेडिकल कॉलेज का एक छात्र, जिसकी सगाई नवंबर 2025 में होने वाली थी, उस दिन हॉस्टल मेस में दोपहर का खाना खा रहा था। वह अपने परिवार की उम्मीदों का सितारा था, जो डॉक्टर बनने का सपना देख रहा था, लेकिन हादसे ने उसके सारे अरमान छीन लिए। उसकी मंगेतर और परिवार अब सिर्फ उसकी तस्वीरों को सीने से लगाए रो रहे हैं।

दो मिनट की देरी बनी मौत का कारण

20 साल के एमबीबीएस छात्र आर्यन राजपूत उस दोपहर बीजे मेडिकल कॉलेज के अतुल्यम हॉस्टल मेस में अपने दोस्त के साथ खाना खा रहे थे। खाना खत्म करने के बाद आर्यन ने अपने दोस्त को अपना मोबाइल थमाया और कहा, ‘तू चल, मैं हाथ धोकर आता हूँ।’ यह दो मिनट का फैसला उनकी जिंदगी का आखिरी पल बन गया। जैसे ही उनका दोस्त मेस से बाहर निकला एयर इंडिया का बोइंग 787 ड्रीमलाइनर हॉस्टल से टकरा गया और मेस की दूसरी मंजिल आग के गोले में बदल गई। आर्यन इस हादसे का शिकार हो गए जबकि उनका दोस्त बच गया। सदमे में डूबे दोस्त ने आर्यन के ग्वालियर में रहने वाले परिवार को फोन कर कहा कि आर्यन ICU में है, लेकिन जब तक परिवार पहुंचा आर्यन की मौत हो चुकी थी। यह कहानी उन दो मिनटों की है, जो जिंदगी और मौत के बीच का फासला बन गए।

माहेश कलावड़िया, 700 मीटर दूर की उम्मीद

34 साल के म्यूजिक एल्बम डायरेक्टर माहेश कलावड़िया का परिवार उनकी तलाश में अस्पतालों और शवगृहों के चक्कर काट रहा है, हादसे की दोपहर माहेश अपने भाई कार्तिक से फोन पर बात कर रहे थे और मेघानी नगर में किसी काम से गए थे, उनका आखिरी फोन लोकेशन क्रैश साइट से सिर्फ 700 मीटर दूर था। हादसे के बाद उनका फोन बंद हो गया और पत्नी हेतल की बार-बार कॉल करने की कोशिशें नाकाम रहीं। कार्तिक ने बताया ‘हमें लगा माहेश उस इलाके में नहीं होंगे, लेकिन लोकेशन ने हमें डरा दिया।’ परिवार अब भी उम्मीद की डोर थामे है लेकिन अनिश्चितता का दर्द उनकी हर साँस में है।

विश्वास कुमार रमेश, एकमात्र जिंदा बचे व्यक्ति

इस अंधेरे में एक चमत्कार हुआ। 40 साल के विश्वास कुमार रमेश जो सीट 11A पर बैठे थे, इस हादसे के एकमात्र बचे यात्री हैं। उन्होंने इमरजेंसी एग्जिट खोलकर अपनी जान बचाई। खून से लथपथ, फोन थामे, उन्होंने एक वीडियो में कहा ‘मुझे लगा सब खत्म हो गया।’ फिलहाल विश्वास अस्पताल में भर्ती हैं और उनका इलाज जारी है।

Ahemdabad plane crash victim: इस त्रासदी में कुछ लोग ऐसे भी थे जो चमत्कारिक रूप से मौत के मुंह से बच गए। भरूच की मेघदूत टाउनशिप की रहने वाली भूमिबेन चौहान उनमें से एक हैं। भूमिबेन उस दिन फ्लाइट AI171 से लंदन जाने वाली थीं, अहमदाबाद के बदनाम ट्रैफिक ने उनकी रफ्तार कम कर दी और वह दल मिनट देर से एयरपोर्ट पहुंचीं। तब तक बोर्डिंग लिस्ट प्रिंट हो चुकी थी और उन्हें विमान में चढ़ने की अनुमति नहीं मिली। यह देरी उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा चमत्कार बन गई। भूमिबेन ने कहा ‘मुझे उस वक्त गुस्सा आया था, लेकिन अब लगता है भगवान ने मुझे बचा लिया।’

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Byपूनम ऋतु सेन
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पूनम ऋतु सेन युवा पत्रकार हैं, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद लिखने,पढ़ने और समाज के अनछुए पहलुओं के बारे में जानने की उत्सुकता पत्रकारिता की ओर खींच लाई। विगत 5 वर्षों से वीमेन, एजुकेशन, पॉलिटिकल, लाइफस्टाइल से जुड़े मुद्दों पर लगातार खबर कर रहीं हैं और सेन्ट्रल इण्डिया के कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अलग-अलग पदों पर काम किया है। द लेंस में बतौर जर्नलिस्ट कुछ नया सीखने के उद्देश्य से फरवरी 2025 से सच की तलाश का सफर शुरू किया है।
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