The Lens
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • Podcast
  • सरोकार
  • छत्तीसगढ़
  • वीडियो
  • More
    • English
    • स्क्रीन
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • आंकड़ा कहता है
    • टेक्नोलॉजी-ऑटोमोबाइल्‍स
    • धर्म
    • नौकरी
    • लेंस अभिमत
    • साहित्य-कला-संस्कृति
    • सेहत-लाइफस्‍टाइल
    • अर्थ
Latest News
क्या भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अमेरिकी कब्जे वाले एयरबेस पर हमला किया था?
इंद्रावती नेशनल पार्क में 3 दिन चली मुठभेड़ में 2 कमांडर सहित 7 नक्सली ढेर
नक्सल ऑपरेशंस में शामिल अधिकारियों से मिले गृहमंत्री अमित शाह, X पर लिखे- अभियान में शामिल जवानों से मिलने के लिए उत्सुक हूं
भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज: पटौदी ट्रॉफी का नाम बदलकर अब तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी
रायपुर में क्लब और बार में महिलाओं को फ्री शराब देना बंद, महिलाओं के लिए चलाए जाते हैं स्पेशल ऑफर्स
श्रीनगर में ईद की नमाज़ पर लगी पाबंदी, जामा मस्जिद और ईदगाह बंद, हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन मीरवाइज ने लगाया नजरबंदी का आरोप
ED  ने 766 बैंक अकाउंट्स को किया सीज, IPL और T20 क्रिकेट में सट्टेबाजी के लिए उपयोग हो रहे थे खाते
खैरागढ़ इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में 2025-26 के लिए प्रवेश शुरू, ऐसे करें आवेदन
छत्तीसगढ़ में NIA ने जवान की टारगेटेड किलिंग मामले में आरोप पत्र किया दाखिल
MBBS-BAMS इंटीग्रेशन पर विवाद, IMA ने बताया ‘अवैज्ञानिक’ और मरीजों के लिए खतरनाक
Font ResizerAa
The LensThe Lens
  • देश
  • दुनिया
  • लेंस रिपोर्ट
  • Podcast
  • सरोकार
  • छत्तीसगढ़
  • वीडियो
Search
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • Podcast
  • सरोकार
  • छत्तीसगढ़
  • वीडियो
  • More
    • English
    • स्क्रीन
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • आंकड़ा कहता है
    • टेक्नोलॉजी-ऑटोमोबाइल्‍स
    • धर्म
    • नौकरी
    • लेंस अभिमत
    • साहित्य-कला-संस्कृति
    • सेहत-लाइफस्‍टाइल
    • अर्थ
Follow US
© 2025 Foxiz News Network. Ruby Design Company. All Rights Reserved.
The Lens > देश > क्या सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान को आतंकवाद का पनाहगार साबित कर पाया ?
देश

क्या सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान को आतंकवाद का पनाहगार साबित कर पाया ?

Awesh Tiwari
Last updated: June 7, 2025 2:06 pm
Awesh Tiwari
Share
all party delegation
स्पेन के विदेश मंत्री और उच्च अधिकारियों के साथ भारतीय प्रतिनिधि मंडल।
SHARE

नई दिल्ली। भारत का सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल 33 देशों की राजधानियों का पिछले कई दिनों से दौरा कर रहा है। अलग-अलग दलों के 51 सांसदों के अलावा कई राजनयिक, पूर्व केंद्रीय मंत्री और नौकरशाह पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को प्रश्रय देने की राजनीति के खिलाफ समर्थन हासिल करने में जुटे हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि क्या यह प्रतिनिधिमंडल अपने उद्देश्यों में सफल रहा है?

खबर में खास
कितना सफल रहा सर्वदलीय दौराक्या बदली पाकिस्तान की वैश्विक स्थितिमहत्वपूर्ण देशों में पहुंचा प्रतिनिधिमंडलन बड़े नेता मिले, न मीडिया कवरेजसिर्फ दौरों से नहीं बनेगी बात

प्रतिनिधिमंडल में शामिल घोसी सांसद राजीव राय द लेंस को कहते हैं कि थोड़ा-बहुत फर्क तो जरूर पड़ता है, लेकिन पाकिस्तान भी उन-उन देशों में अपने प्रतिनिधिमंडल भेज रहा है, जहां-जहां हम गए। द लेंस ने इस दौरे के नतीजों को अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञों से बातचीत में टटोलने की कोशिश की, तो एक बात साफ समझ में आई कि सभी दौरे के परिणामों से ज्यादा इसके होने पर संतुष्ट दिखे।

कितना सफल रहा सर्वदलीय दौरा

यह स्वीकार करने में कोई हर्ज नहीं है कि केंद्र सरकार इस सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के माध्यम से न केवल अंतरराष्ट्रीय राजनीति को, बल्कि घरेलू राजनीति को भी साधने की कोशिश कर रही थी। यकीनन ऑपरेशन सिंदूर के बाद अचानक हुए सीजफायर से न केवल विपक्ष, बल्कि भाजपा समर्थक भी अवाक थे।

पनामा के प्रधानमंत्री से मिलता भारतीय प्रतिनिधिमंडल।

इस प्रतिनिधिमंडल के जाने से और विपक्ष के सांसदों को इसमें शामिल करने से कुछ हद तक घरेलू मोर्चे पर फैली हुई निराशा कम हुई और विपक्ष की धार भी कमजोर पड़ी।

प्रोफेसर अमिताभ मट्टू, जेएनयू

शशि थरूर जैसे नेता ने पार्टी लाइन से हटकर किसी तीसरे देश की मध्यस्थता से इनकार कर दिया, जबकि नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी उसी वक्त मध्य प्रदेश की अपनी सभा में ट्रंप के सामने प्रधानमंत्री मोदी के सरेंडर की बात कह रहे थे, जिसकी बीजेपी ने जमकर आलोचना की। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और डीन अमिताभ मट्टू साफ कहते हैं कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का भेजा जाना निस्संदेह एक बढ़िया कदम था, जिसके नतीजों की व्याख्या अभी नहीं की जा सकती।

क्या बदली पाकिस्तान की वैश्विक स्थिति

एक बड़ा सवाल यह है कि इस सर्वदलीय दौरे से पाकिस्तान की वैश्विक स्थिति में कोई परिवर्तन आया है या नहीं? क्या वे देश, जो दो तरफा सूचनाओं के बीच बिना तथ्यों को जाने अपना-अपना पक्ष चुन लेते थे, उनकी इस पूरे प्रकरण को समझने की मुश्किलें आसान हुईं? क्या हम पाकिस्तान को अलग-थलग करने की अपनी रणनीति में सफल हुए?

राजीव राय, सांसद, सदस्य सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल

राजीव राय कहते हैं, “पाकिस्तान की आर्मी के मुंह में खून लगा है। जब कोई गंभीर व्यक्ति वहां राष्ट्राध्यक्ष बनता है, तो वहां की आर्मी उसे टिकने नहीं देती। यही बेनजीर भुट्टो के मामले में हुआ, यही नवाज शरीफ के मामले में हुआ, यही इमरान खान के मामले में हुआ। ऐसे में बड़ा सवाल खड़ा होता है कि भारत किससे बात करे? अटल जी बात करने की कोशिश करते हैं, तो आप घुसपैठ करा देते हो। ऐसे में हिंदुस्तान को अपना पक्ष रखना ही होगा, और हमने रखा।” वह कहते हैं कि असर ज्यादा नहीं, तो थोड़ा-बहुत पड़ा ही है।

महत्वपूर्ण देशों में पहुंचा प्रतिनिधिमंडल

यह नहीं भूलना चाहिए कि पहलगाम हमले के बावजूद पाकिस्तान को आईएमएफ, एडीबी जैसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की मदद अनवरत मिल रही है और इन फंडिंग को रोकने को लेकर भारत की कोशिशें सफल नहीं रही हैं। ऐसे में इस सर्वदलीय शिष्टमंडल से अपेक्षाएं ज्यादा थीं।

प्रोफेसर गुलशन सचदेवा, जेएनयू

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में इंस्टीट्यूट ऑफ यूरोपियन स्टडीज के प्रोफेसर गुलशन सचदेवा कहते हैं, विदेशों में हमारे मिशन समय-समय पर अपनी बात वहां की सरकारों को पहुंचाते रहते हैं, लेकिन जब कोई बात तात्कालिक तौर पर पहुंचानी हो, तो ऐसे शिष्टमंडल को भेजे जाने की आवश्यकता जरूर आन पड़ती है।

प्रोफेसर सचदेवा कहते हैं कि भारत सरकार ने जिन देशों का चुनाव इस दौरे के लिए किया, वे ऐसे ही देश नहीं हैं। ये वे देश हैं, जो आने वाले समय में उन फोरम का हिस्सा होंगे, जहां पर भारत-पाकिस्तान को लेकर मुद्दे उठेंगे। अब जैसे अल्जीरिया, सियरा लियोन, साउथ कोरिया या फिर पनामा हैं, ये ऐसे देश हैं, जो 2025 या 2026 में सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्य होंगे। अब इस डेलिगेशन ने पनामा में प्रेसिडेंट जॉस राउल से भी मुलाकात की, तो ऐसे में भविष्य में जब कभी कोई रेजॉल्यूशन आएगा, हमारी स्थिति स्पष्ट रहेगी और हम मजबूत रहेंगे।

न बड़े नेता मिले, न मीडिया कवरेज

इस दौरे में एक बड़ी बात यह कही जा रही है कि इक्का-दुक्का देशों को छोड़कर कहीं भी किसी देश के शीर्ष नेताओं से प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात नहीं हो पाई। इसमें कुछ हद तक सच्चाई भी है। यह भी एक सच है कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को कोई विशेष कवरेज भी नहीं मिला। जैसे अल्जीरिया, बहरीन और खाड़ी के तमाम देशों में इस प्रतिनिधिमंडल की यात्रा को सौहार्द यात्रा के तौर पर देखा गया। अगर इन अलग-अलग देशों की मीडिया कवरेज को देखें, तो ज्यादातर की कवरेज में पाकिस्तान का नाम तक नजर नहीं आया।

सिर्फ दौरों से नहीं बनेगी बात

यह जरूरी है कि इस यात्रा को ही इस मुहिम का आखिरी पड़ाव नहीं मान लेना चाहिए। प्रोफेसर सचदेवा कहते हैं कि सिर्फ आधे घंटे की मुलाकात में ही उद्देश्यों को हासिल नहीं किया जा सकता। अब मिशन की यह जिम्मेदारी है कि पाकिस्तान की स्थिति को लेकर बार-बार सरकारों के साथ संवाद करें। दूसरी तरफ, यह भी जरूरी है कि भारत सरकार अपनी कूटनीति की मीमांसा करती रहे और वक्त एवं जरूरतों के हिसाब से उसे बदले।

राजीव राय कहते हैं कि पहले की सरकारें नियमित अंतराल पर सांसदों को विदेश दौरों पर भेजती थीं, जिससे विदेश नीति और मजबूत होती थी। यह काम फिर से शुरू करना चाहिए। वहीं, प्रोफेसर गुलशन सचदेवा कहते हैं कि यह दौरा वक्त की जरूरत था, परिणामों के लिए इंतजार करना होगा।

TAGGED:All Party DelegationTop_News
Share This Article
Email Copy Link Print
Previous Article RBI Repo Rate Cut कर्ज के भरोसे
Next Article Jobs in danger due to AI Reimagining our collective future

Your Trusted Source for Accurate and Timely Updates!

Our commitment to accuracy, impartiality, and delivering breaking news as it happens has earned us the trust of a vast audience. Stay ahead with real-time updates on the latest events, trends.
FacebookLike
XFollow
InstagramFollow
LinkedInFollow
MediumFollow
QuoraFollow

Popular Posts

कर्नाटक बजट:बेंगलुरु को मिले 7 हजार करोड़ रूपये, सभी फिल्में 200 रुपये के फिक्स्ड प्राइस में

बेंगलुरु। कर्नाटक आज कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने 2025-26 का बजट पेश किया है, जो…

By Poonam Ritu Sen

जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में लेफ्ट गठबंधन जीतने में कामयाब, लेकिन क्या बदल रहा है कैंपस का सियासी मिजाज?

नई दिल्ली। जेएनयू छात्रसंघ चुनाव (JNU student union elections) के परिणाम सोमवार देर रात घोषित…

By Awesh Tiwari

इंडियन मुजाहिदीन के मॉड्यूल को ध्वस्त करने वाला पूर्व रॉ प्रमुख बने NSA बोर्ड के चीफ

द लेंस ब्यूरो। नई दिल्ली सीमा सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताओं और पाकिस्तान के साथ…

By Lens News Network

You Might Also Like

Lalita Ramdas' letter to Himanshi Narwal
देश

पूर्व एडमिरल की पत्‍नी ने हिमांशी से कहा, “परफेक्ट …!”

By Lens News Network
देश

शहादत को सलाम ( 23 मार्च, 1931) : भगत सिंह ने पहले किताब पढ़ी फिर फांसी के फंदे को चूमा

By Arun Pandey
US-China Tariff
दुनिया

अमेरिका-चीन ट्रेड वार में राहत, टैरिफ कटौती  पर सहमति

By The Lens Desk
देश

45 दिन तक चले महाकुंभ का समापन, 65 करोड़ से ज्यादा लोगों के स्‍नान का दावा

By The Lens Desk

© 2025 Rushvi Media LLP. 

Facebook X-twitter Youtube Instagram
  • The Lens.in के बारे में
  • The Lens.in से संपर्क करें
  • Support Us
Lens White Logo
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?