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छत्तीसगढ़

प्रोफेसरों के खिलाफ FIR रद्द करने से छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का इनकार

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ByLens News Network
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Published: May 31, 2025 2:52 PM
Last updated: May 31, 2025 2:52 PM
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Chhattisgarh High Court
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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों के खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने की याचिका खारिज कर दी है। प्रोफेसरों पर आरोप है कि उन्होंने राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) शिविर के दौरान 155 छात्रों को ईद के दिन नमाज पढ़ने के लिए कहा था। यह घटना बिलासपुर जिले के कोटा में मार्च 26 से 1 अप्रैल तक आयोजित शिविर के दौरान हुई।

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के 2021 के एक आदेश का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि अदालतों को संज्ञेय अपराधों की जांच को बाधित नहीं करना चाहिए और न ही प्रारंभिक चरण में आपराधिक कार्यवाही को रद्द करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि FIR को रद्द करने की शक्ति का उपयोग बहुत ही संयम से करना चाहिए।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “जब कोई आरोपी एफआईआर को रद्द करने की याचिका दायर करता है, तो अदालत को केवल यह देखना होता है कि एफआईआर में लगाए गए आरोप संज्ञेय अपराध का खुलासा करते हैं या नहीं। अदालत को इस स्तर पर आरोपों की मेरिट पर विचार करने की जरूरत नहीं है, बल्कि जांच एजेंसी को एफआईआर के आरोपों की जांच करने की अनुमति देनी चाहिए।”

पहली याचिका एनएनएस शिविर के समन्वयक प्रोफेसर दिलीप झा ने दायर की थी, जिन्हें इस मामले में गिरफ्तार किया गया था और बाद में जमानत मिल गई थी। दूसरी याचिका छह सहायक प्रोफेसरों ने दायर की थी, जिन्हें भी इस मामले में आरोपी बनाया गया था। एफआईआर के अनुसार, मार्च में छात्र शिवतराई गांव में एनएसएस शिविर के लिए गए थे और ईद के दिन गैर-मुस्लिम छात्रों को भी कथित तौर पर मुस्लिम छात्रों के साथ नमाज पढ़ने के लिए कहा गया। याचिकाकर्ताओं ने इन आरोपों से इनकार किया और कहा कि किसी भी छात्र को नमाज पढ़ने के लिए मजबूर नहीं किया गया।

प्रोफेसरों के वकील ने तर्क दिया कि छात्रों की शिकायत 14-15 दिन की देरी से 14 अप्रैल को दर्ज की गई थी और यह “राजनीति से प्रेरित” थी। उन्होंने कहा कि शिविर में 150 छात्रों ने भाग लिया था, लेकिन केवल तीन ने एफआईआर दर्ज की। वकील ने दावा किया, “याचिकाकर्ताओं ने किसी को नमाज पढ़ने के लिए मजबूर नहीं किया और झूठे आरोपों के आधार पर पुलिस ने अपराध दर्ज किया।”

वहीं, राज्य के वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ताओं ने शब्दों और दृश्य प्रस्तुतियों का उपयोग करके हिंदू धर्म से संबंधित शिकायतकर्ताओं को नमाज पढ़ने के लिए मजबूर किया।

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति राकेश मोहन पांडे ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता पहले ही जमानत पर हैं, जांच जारी है और मामले की मेरिट पर इस स्तर पर कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती।

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