मुंबई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के दिग्गज नेता छगन भुजबल ने आखिरकार मंगलवार को महाराष्ट्र मंत्रिमंडल में मंत्री पद की शपथ ले ली। लंबे समय से चली आ रही अटकलों के बाद उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। अब सबकी नजर इस बात पर है कि उन्हें कौन सा विभाग सौंपा जाएगा। भुजबल ने कहा, “मुझे किसी विशेष मंत्रालय की चाह नहीं है। जो भी विभाग मिलेगा, उसे पूरी जिम्मेदारी से संभालूंगा।” मंत्री बनते भुजबल ने कहा, “कहते हैं न- अंत भला तो सब भला।“
77 वर्षीय भुजबल ने कहा, “मैं 1991 से कई मंत्रालय संभाल चुका हूं, जिसमें गृह मंत्रालय भी शामिल है। विभाग का निर्णय मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजित पवार करेंगे।” उन्होंने कहा, “सब कुछ ठीक है। मैं मुख्यमंत्री फडणवीस, उपमुख्यमंत्री अजित पवार, एकनाथ शिंदे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और एनसीपी नेताओं सुनील तटकरे व प्रफुल्ल पटेल का आभार व्यक्त करता हूं।”
पिछले साल मंत्रिमंडल में शामिल न होने पर थी नाराजगी
बताया जाता है कि पिछले साल दिसंबर में भुजबल को फडणवीस मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली थी, जिससे वे नाराज थे। भुजबल ने तब खुलासा किया था कि उन्हें राज्यपाल बनने और राज्यसभा जाने का प्रस्ताव मिला था, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया। उन्होंने कहा, “राज्यपाल बनना मेरे लिए अपनी आवाज दबाने जैसा होता।”
एनसीपी नेता धनंजय मुंडे ने मार्च 2025 में खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण मंत्रालय से इस्तीफा दे दिया था। उनकी जगह भुजबल को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्हें यही मंत्रालय सौंपा जा सकता है।
नेताओं ने दी बधाई
शपथ ग्रहण के बाद उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने भुजबल को फूलों का गुलदस्ता देकर बधाई दी। पवार ने एक्स पर लिखा, “छगन भुजबल ने शपथ के बाद मुझसे मुलाकात की। मैंने उन्हें बधाई दी।” उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा, “भुजबल अनुभवी नेता हैं। उनके अनुभव से सरकार को लाभ होगा।” महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने भी भुजबल को बधाई देते हुए कहा, “वे विकसित महाराष्ट्र के लक्ष्य को मजबूती देंगे।”
2016 में ईडी ने किया था गिरफ्तार
छगन भुजबल उपमुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। 2016 में प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया था। उन पर पद के दुरुपयोग और सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने के आरोप थे। 2018 में उन्हें जमानत मिली। उस दौरान बीजेपी ने उन पर तीखे हमले किए थे। महाराष्ट्र की राजनीति में भुजबल ओबीसी समुदाय के बड़े चेहरे माने जाते हैं।