द लेंस डेस्क। गुजरात के दाहोद में मनरेगा योजना के तहत 71 करोड़ रुपये के घोटाले का सनसनीखेज मामला सामने आया है। इस घोटाले में राज्य के पंचायत और कृषि राज्य मंत्री बच्चूभाई खाबड़ के बेटे बलवंत खाबड़ का नाम प्रमुखता से उभरा है, जिन्हें 17 मई को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। बताया जाता है कि कागज पर ही तमाम प्रोजेक्ट को पूरा दिखाकर यह घोटाला किया गया है।
देवगढ़ बारिया और धनपुर तालुकाओं में 2021 से 2024 के बीच हुए मनरेगा कार्यों में अनियमितताओं के बाद सामने आया। जिला ग्रामीण विकास एजेंसी के निदेशक बी. एम. पटेल द्वारा अप्रैल 2024 में की गई जांच में पाया गया कि कई परियोजनाएं केवल कागजों पर पूरी दिखाई गईं, जबकि जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं हुआ। इन परियोजनाओं में सड़क निर्माण, चेक वॉल, और पत्थर की बांध जैसी योजनाएं शामिल थीं।
पुलिस जांच में पाया गया कि बलवंत खाबड़ एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक हैं, जो उन 32 एजेंसियों में से एक है, जिन्हें बिना निविदा जीते अनुबंध दिए गए। इस कंपनी को जनवरी 2021 से दिसंबर 2024 के बीच लगभग 82 लाख रुपये का भुगतान किया गया।
मीडिया रिपोटस के मुताबिक दाहोद के उपाधीक्षक अधिकारी जगदीशसिंह भंडारी ने बताया कि बलवंत के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और विश्वासघात के आरोपों के तहत अप्रैल 2024 में एफआईआर दर्ज की गई थी। बलवंत और तत्कालीन तालुका विकास अधिकारी दर्शन पटेल को गिरफ्तार कर पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया है।
अब तक इस मामले में सात लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें दो मनरेगा लेखाकार, ग्राम रोजगार सेवक और एक तकनीकी सहायक शामिल हैं। मंत्री के छोटे बेटे किरण खाबड़ पर भी आरोप हैं कि उनकी कंपनी जो निविदा प्रक्रिया में योग्य नहीं थी, उसे भी भारी भरकम भुगतान कर दिया गया है।
विपक्ष का हमला
कांग्रेस नेता अमित चावड़ा ने मीडिया से कहा है कि इस मामले में विशेष जांच दल गठित किया जाए। दाहोद में मनरेगा योजना में भ्रष्टाचार की बार-बार शिकायतों के बावजूद सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। परियोजनाओं को पूरा किए बगैर बिलों को मंजूरी दे दी गई है। कांग्रेस लिखित और मौखिक रूप से साथ ही विधानसभा में प्रश्नों के माध्यम से इस मुद्दे को उठाती रही है।