द लेंस डेस्क। vodafone idea: कर्ज में डूबी दूरसंचार कंपनी वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (Vi) ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उसे तत्काल वित्तीय सहायता नहीं मिली, तो वह वित्त वर्ष 2026 (FY26) के बाद परिचालन जारी नहीं रख पाएगी। कंपनी ने दूरसंचार विभाग (DoT) को इसकी जानकारी देते हुए बताया है कि समायोजित सकल राजस्व (AGR) बकाया और स्पेक्ट्रम देन दारियों के बोझ के कारण वह गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रही है। वोडाफोन आइडिया ने सुप्रीम कोर्ट में भी एक नई याचिका दायर की है, जिसमें लगभग 30,000 करोड़ रुपये के AGR बकाया पर ब्याज और जुर्माने की माफी की मांग की गई है। इस खबर ने इसके 20 करोड़ से अधिक ग्राहकों और 6 मिलियन शेयरधारकों में चिंता पैदा कर दी है।
वित्तीय संकट और सरकार से मांग
वोडाफोन आइडिया पर कुल 2.3 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है, जिसमें 77,000 करोड़ रुपये AGR बकाया और 1.4 लाख करोड़ रुपये स्पेक्ट्रम देनदारी शामिल हैं। कंपनी ने सरकार से अनुरोध किया है कि 17,213 करोड़ रुपये तक की AGR देनदारी को अंतिम माना जाए और ब्याज व जुर्माने को पूरी तरह माफ किया जाए। इसके अलावा, कंपनी ने FY30 तक पांच साल की मोहलत और FY31 से FY41 तक 11 समान वार्षिक किश्तों में 714 करोड़ रुपये का भुगतान करने का प्रस्ताव दिया है। साथ ही, कंपनी ने स्पेक्ट्रम भुगतान के लिए एक साल की अतिरिक्त अवधि और FY28 से FY32 तक पांच साल की मोहलत की मांग की है।
कंपनी की दलील
वोडाफोन आइडिया का कहना है कि बिना सरकारी सहायता के बैंक फंडिंग मिलना असंभव है, जिसके बिना कंपनी का परिचालन ठप हो सकता है। कंपनी ने चेतावनी दी है कि अगर यह स्थिति बनी रही, तो उसे नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) में दिवालिया कार्यवाही के लिए जाना पड़ सकता है। इससे न केवल इसके 20 करोड़ ग्राहकों को दूसरी कंपनियों की ओर जाना पड़ेगा, बल्कि 30,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर्मचारियों की नौकरियां और 6 मिलियन शेयरधारकों का निवेश खतरे में पड़ सकता है। कंपनी ने यह भी बताया कि सरकार की 49% हिस्सेदारी का मूल्य शून्य हो सकता है, जिससे 1.18 लाख करोड़ रुपये के स्पेक्ट्रम बकाया की वसूली असंभव हो जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
वोडाफोन आइडिया ने सुप्रीम कोर्ट में तत्काल सुनवाई की मांग की है, जिसे 19 मई 2025 के लिए निर्धारित किया गया है। वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कंपनी की ओर से दलील दी कि AGR फैसले ने कंपनी की वित्तीय स्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि कंपनी का अस्तित्व दूरसंचार क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि रिलायंस जियो और भारती एयरटेल के प्रभुत्व के बीच Vi और BSNL ही प्रमुख खिलाड़ी हैं।
पहले मिली राहत और चुनौतियां
vodafone idea: सरकार ने पहले 2021 के सुधार पैकेज और 2023 में 16,133 करोड़ रुपये के ब्याज बकाया को इक्विटी में बदलकर Vi को राहत दी थी। हाल ही में मार्च 2025 में 36,950 करोड़ रुपये के स्पेक्ट्रम बकाया को इक्विटी में बदलकर सरकार की हिस्सेदारी 48.99% हो गई। फिर भी, कंपनी का कहना है कि 26,000 करोड़ रुपये की इक्विटी और सरकारी हिस्सेदारी के बावजूद बैंक समर्थन नहीं मिला।