ऑपरेशन सिंदूर की वाहवाही लूटने वाली मोदी सरकार और सत्तारूढ़ भाजपा को आईना दिखाते हुए मध्य प्रदेश के हाई कोर्ट के दो जजों ने इस ऑपरेशन की ब्रीफिंग से जुड़ी रहीं कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ बेहद अपमानजनक टिप्पणी करने वाले राज्य के केबिनेट मंत्री विजय शाह के खिलाफ बेहद सख्त धाराओं में तुरंत एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। हैरानी की बात यह है कि एक ओर प्रधानमंत्री मोदी खुद फ्रंट पर जाकर फौजियों का हौसला बढ़ाते हैं, देश की सेना पर गर्व करते हैं, उनकी अपनी पार्टी पाकिस्तान के खिलाफ हुई सैन्य कार्रवाई का श्रेय लेने की गरज से तिरंगा यात्रा निकालने की तैयारी कर रही है, और उसकी एक राज्य सरकार के एक मंत्री ने कर्नल कुरैशी पर टिप्पणी कर पूरी सेना का अपमान किया है। यह भी नही भूलना चाहिए कि कर्नल कुरैशी ने विदेश सचिव विक्रम मिसरी तथा विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साथ ब्रीफिंग में याद दिलाया था कि इस ऑपरेशन में देश के संवैधानिक और सेकुलर मूल्यों को ध्यान में रखा गया। दरअसल विजय शाह सिर्फ एक मंत्री नहीं हैं बल्कि उस विचारधारा के प्रतिनिधि भी हैं, जो मुस्लिमों को संदेह की नजर से देखती है। यह नहीं भूलना चाहिए कि पहलगाम हमले में अपने पति लेफ्टिनेंट विजय नरवाल को खोने वाली हिमांशी नरवाल को भी सिर्फ इसलिए निशाना बनाया गया था, क्योंकि उन्होंने साफ शब्दों में इस हमले को हिंदू-मुसलमान मुद्दा बनाने का विरोध किया था। यहां तक कि सरकार के फैसलों को मीडिया को बताने वाले विदेश सचिव विक्रम मिसरी और उनके परिजनों को भी निशाना बनाया गया। इन तीनों के साथ जो कुछ किया गया, उस पर सरकार की ओर से सुविधाजनक चुप्पी ओढ़ ली गई है, जिसे समझने की जरूरत है। मध्य प्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने विजय शाह के मामले में कहा है कि “पार्टी आलाकमान ने इसका संज्ञान लिया है और उन्हें आगाह किया गया है।” इस भोलेपन पर क्या कहा जाए। जो काम सरकार और भाजपा को करना चाहिए था वह काम हाई कोर्ट के जजों को करना पड़ा है। इस समय तो यही पूछा जा सकता है कि मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार और भाजपा विजय शाह पर क्या कार्रवाई कर रही है?