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छत्तीसगढ़

कर्रेगुट्टा पहाड़ी में फोर्स ने 21 दिन में 31 नक्‍सली मारे, इनमें 16 महिलाएं, एक भी नामी नक्‍सली नहीं चढ़ा हत्थे

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ByLens News
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Published: May 14, 2025 8:30 PM
Last updated: May 15, 2025 12:14 AM
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Karreguta Hill
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बीजापुर। पिछले 23 दिनों में चर्चा में रहा कर्रेगुट्टा पहाड़ी (Karregutta hill) पर एंटी नक्‍सल ऑपरेशन अब खत्‍म हो गया। 21 अप्रैल से शुरू हुए इस ऑपरेशन को 11 मई तक चलाया गया। इन 21 दिनों में 31 नक्‍सली मारे गए हैं। इनमें 31 नक्‍सली मारे गए हैं। 31 में 16 महिलाएं हैं। 28 नक्‍सलियों की पहचान कर ली गई है। इनके शव परिजनों को सौंप दिए गए हैं। हालांकि फोर्स के दावे के आधार पर इनमें एक भी नामी नक्‍सली तक पहुंचने में फोर्स कामयाब नहीं हो पाई। बीजापुर और तेलंगाना बॉर्डर पर करीब 60 किलोमीटर लंबे और 20 किमी चौड़ी कर्रेगुट्टा पहाड़ी में अब फोर्स ने अपना कैंप स्‍थापित कर लिया है।

खबर में खास
2 सालों का रसद लेकर पहाड़ी में कैंप लगाकर बैठे थे नक्‍सलीनक्सल प्रवक्ता ने फिर जारी किया पर्चा, लिखा 26 कामरेड मारे गएजहां कभी लाल आतंक का राज था, वहां तिरंगा लहरा रहा : भूपेश बघेल

फोर्स की तरफ से बीजापुर में हुई प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में यह जानकारी मिली। सीआरपीएफ के डीजी जीपी सिंह और छत्‍तीसगढ़ के डीजीपी अरुण देव गौतम ने बीजापुर में जाकर प्रेस कॉन्‍फ्रेंस की। इस दौरान डीजीपी गौतम ने बताया कि कर्रेगुट्टा ऑपरेशन में फोर्स ने पहाड़ी में नक्सलियों के कई बंकर और ठिकाने ध्‍वस्‍त कर दिए हैं। नक्‍सलियों के बनाए हथियारों की फैक्ट्री और अस्पताल को नष्‍ट कर दिया गया है। नक्सलियों ने पहाड़ की अलग-अलग गुफाओं में अपने ठिकाने बनाए हुए थे। करीब ढाई सौ गुफा ऐसी मिली है, जिसमें नक्‍सलियों के ठिकाने थे। इसी पहाड़ी में बड़े कैडर के लोगों के इलाज के लिए अस्‍पताल बने हुए थे। यहीं हाईटेक हथियार बनाने की 4 फैक्ट्रियां भी थी।

प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में एडीजी नक्‍सल ऑपरेशन विवेकानंद, बस्‍तर आईजी पी सुंदरराज, बीजापुर एसपी जितेंद्र यादव और सीआरपीएफ के आला अफसर मौजूद थे।

2 सालों का रसद लेकर पहाड़ी में कैंप लगाकर बैठे थे नक्‍सली

डीजीपी की तरफ से दावा किया गया कि कई नक्‍सली मारे गए और भाग गए। फोर्स को अपने इस ऑपरेशन के दौरान कई हैरान करने वाली चीजों का भी पता लगा है। सबसे हैरान करने वाली बात यह थी कि नक्‍सलियों के ठिकानों से जो रसद मिला है, उसे अगले 2 सालों तक के लिए इकट्ठा किया गया था। जिन ठिकानों को नेस्‍तानाबूत किया गया है, वहां से यह रसद मिले हैं। फोर्स के लोग हैरान थे कि पहाड़ी में इतना रसद कैसे पहुंचा, वो भी एडवांस में।

450 आईईडी बिछा रखे थे नक्‍सली

डीजीपी गौतम ने बताया कि कर्रेगुट्टा की पहाड़ी पर पहुंचने के रास्ते में नक्सलियों ने 450 आईईडी बिछा रखे थे। इनमें 15 आईईडी को डिफ्यूज करने के दौरान जवानों को चोटें भी आई हैं। ऑपरेशन को टेक्निकल इनपुट के बाद प्‍लान किया गया था। फोर्स ने पहाड़ी की चोटी पर कैंप स्‍थापित करने में कामयाब हो गई है। कैंप के पास हेलीपैड भी तैयार किया गया,  ताकि जल्दी मदद पहुंच सके।

नक्सल प्रवक्ता ने फिर जारी किया पर्चा, लिखा 26 कामरेड मारे गए

नक्सलियों के सेंट्रल कमेटी सदस्य और प्रवक्ता अभय ने एक पर्चा जारी कर 26 नक्सलियों के मारे जाने की पुष्टि की है। प्रेस नोट में लिखा कि हमारे 26 कामरेड मारे गए हैं। हम सरकार के साथ शांतिवार्ता चाहते हैं। देश के 18 जिलों में नक्‍सली हैं। ऐसे में किसी एक राज्‍य के गृहमंत्री से शांति वार्ता नहीं होगी। आदरणीय मोदी जी,  आपकी सरकार शांति वार्ता के लिए तैयार है या नहीं, स्पष्ट करें।

जहां कभी लाल आतंक का राज था, वहां तिरंगा लहरा रहा : भूपेश बघेल

केन्‍द्रीय गृृहमंत्री अमित शाह ने पोस्‍ट किया, ‘NaxalFreeBharat के संकल्प में एक ऐतिहासिक सफलता प्राप्त करते हुए सुरक्षा बलों ने नक्सलवाद के विरुद्ध अब तक के सबसे बड़े ऑपरेशन में छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा के कर्रेगुट्टा (KGH) पर 31 कुख्यात नक्सलियों को मार गिराया। जिस पहाड़ पर कभी लाल आतंक का राज था, वहां आज शान से तिरंगा लहरा रहा है। पहाड़ PLGA बटालियन 1, DKSZC, TSC & CRC जैसी बड़ी नक्सल संस्थाओं का Unified Headquarter था, जहां नक्सल ट्रेनिंग के साथ-साथ रणनीति और हथियार भी बनाए जाते थे। नक्सल विरोधी इस सबसे बड़े अभियान को हमारे सुरक्षा बलों ने मात्र 21 दिनों में पूरा किया और मुझे अत्यंत हर्ष है कि इस ऑपरेशन में सुरक्षा बलों में एक भी casualty नहीं हुई। खराब मौसम और दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में भी अपनी बहादुरी और शौर्य से नक्सलियों का सामना करने वाले हमारे CRPF, STF और DRG के जवानों को बधाई देता हूँ। पूरे देश को आप पर गर्व है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हम नक्सलवाद को जड़ से मिटाने के लिए संकल्पित हैं। मैं देशवासियों को पुनः विश्वास दिलाता हूँ कि 31 मार्च 2026 तक भारत का नक्सलमुक्त होना तय है।’

इस प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के बाद पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल ने X पर पोस्‍ट किया। उन्‍होंने लिखा, ‘आज CRPF और छत्तीसगढ़ पुलिस की संयुक्त प्रेस वार्ता ने यह साबित कर दिया कि 24 दिनों तक कर्रेगुट्टा(बीजापुर) में नक्सलियों के खिलाफ एक बड़ा ऑपरेशन चलता रहा। पुलिस और सभी सुरक्षा बलों को इसकी बधाई। उन्हें शुभकामनाएं कि वे अपने लक्ष्य में कामयाब हों। पर बहुत आश्चर्य और चिंता की बात है कि प्रदेश के गृहमंत्री को इसकी जानकारी नहीं थी। उल्टे गृहमंत्री ने मुख्यमंत्री के बयान का खंडन कर दिया। मुख्यमंत्री को ऐसे नाकारा गृहमंत्री को तुरंत हटा देना चाहिए।’ इस पोस्‍ट के बाद दूसरा पोस्‍ट किया। उसमें लिखा, ‘इस प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के बाद कुछ सवाल हैं जिनके जवाब नहीं मिल सके हैं: सवाल 1: क्या कर्रेगुट्टा के ऑपरेशन का नाम ‘संकल्प’ था? सवाल 2: बीजापुर ज़िला अस्पताल में बीजापुर की स्थानीय मीडिया, बस्तर की मीडिया और प्रदेश की मीडिया को जाने की अनुमति क्यों नहीं दी गई? सवाल 3: जिन शवों को पहचानकर हैंडओवर किया गया, जिनको हैंडओवर किया गया उनके क्या नाम हैं? और मृतकों से उनका क्या-क्या रिश्ता है? सवाल4: अगर ऑपरेशन चल ही रहा था तो इससे संबंधित सूचनाएं सोशल मीडिया से ‘डिलीट’ क्यों की गईं?’ इसके साथ ही कुछ सवाल पूर्व मुख्‍यमंत्री के तरफ से रखे गए हैं।

इस पोस्‍ट के बाद मुख्‍यमंत्री विष्‍णुदेव साय ने पोस्‍ट किया, ‘यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी एवं केंद्रीय गृह मंत्री जी आपके नेतृत्व में 31 मार्च 2026 तक देश को नक्सलवाद से मुक्त करने के लिए हम दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं। लाल आतंक के विरुद्ध चल रही इस निर्णायक लड़ाई में हमारे वीर जवानों ने विषम परिस्थितियों में पूरी बहादुरी से नक्सलियों का सामना किया है। हमारे सुरक्षाबल के जवानों के अदम्य साहस, धैर्य और पराक्रम को नमन करता हूं। निश्चित ही अब वह दिन दूर नहीं, जब छत्तीसगढ़ नक्सलमुक्त होगा और बस्तर में शांति, समृद्धि और विकास की रोशनी फैलेगी। जय हिन्द! जय छत्तीसगढ़!

उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने स्पष्ट कहा माओवादियों से बात हो सकती है, परंतु जिन्होंने छत्तीसगढ़ का दर्द नहीं जाना, ऐसे वार्ताकारों से हम कोई बात नहीं करेंगे। नक्सलियों की तरफ से जारी पत्र के संदर्भ में कहा कि सबसे पहले तो पत्र की प्रमाणिकता की जांच करनी होगी। सरकार बात करने को तैयार है लेकिन जिन्होंने बस्तर और छत्तीसगढ़ के दर्द को महसूस न किया हो, उनकी पहल पर कोई वार्ता संभव ही नहीं है।

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