भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपनी पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे की सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश पर की गई विवादास्पद टिप्पणी से किनारा तो कर लिया है, लेकिन उन्होंने दुबे पर किसी तरह की कार्रवाई करने का कोई संकेत नहीं दिया है। निशिकांत दुबे ने कहा है कि, “सुप्रीम कोर्ट देश को अराजकता की ओर ले जा रहा है” और “चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना देश में हो रहे गृहयुद्धों के लिए जिम्मेदार हैं।” उनकी इस टिप्पणी का समर्थन भाजपा के एक और सांसद दिनेश शर्मा ने भी किया है। यही नहीं, दुबे ने इसके बाद पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी पर भी बेहद विवादास्पद टिप्पणी की कि, “आप भारत के नहीं मुस्लिमों के मुख्य चुनाव आयुक्त थे!” बेशक एक लोकतंत्र में न्यायपालिका सहित किसी को भी आलोचना से परे नहीं होना चाहिए, लेकिन निशिकांत दुबे ने मुख्य न्यायाधीश और पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त कुरैशी के बारे में जो कुछ कहा है, वह किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दुबे के खिलाफ अवमानना के मुकदमे के लिए उसकी मंजूरी की जरूरत नहीं है। “गृह युद्ध” की बात कर, तो निशिकांत दुबे नेअपनी ही सरकार के लिए असहज स्थिति पैदा कर दी है, लेकिन सवाल तो यही है कि क्या इससे सरकार को कोई फर्क पड़ रहा है?