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लेंस संपादकीय

‘बुलडोजर न्याय’ के खिलाफ

Editorial Board
Editorial Board
Published: April 1, 2025 6:37 PM
Last updated: April 16, 2025 3:37 PM
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supreme court of india
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उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को शर्मसार करने वाले एक महत्त्वपूर्ण फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में प्रयागराज में पांच लोगों के घरों को बुलडोजर से ढहाए जाने की मनमानी कार्रवाई को न केवल अवैध बताया है, बल्कि छह हफ्ते के भीतर पीड़ितों को दस दस लाख रुपये मुआवजा देने के भी निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट के जजों ने हमारी सामूहिक चेतना को झकझोर देने वाली हाल की उस घटना का भी जिक्र किया है, जिसमें एक बच्ची बुलडोजर कार्रवाई में गिरती अपनी झोपड़ी से किताबें लेकर भागती नजर आई थी! पखवाड़े भर भी नहीं हुए हैं, जब औरंगजेब की कब्र को लेकर उठे विवाद के बीच भड़की हिंसा के बाद नागपुर में प्रशासन ने एक आरोपी के घर को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया था, तब हाई कोर्ट को दखल देना पड़ा था। सबसे पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आरोपियों पर सख्ती के नाम पर बुलडोजर को हथियार बनाया, जिसे अपनाने में भाजपा के अन्य मुख्यमंत्री पीछे नहीं रहे। सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर, 2024 में बुलडोजर कार्रवाइयों को लेकर सख्ती दिखाई थी और साफ निर्देश दिए थे कि ऐसी किसी भी कार्रवाई से पहले संबंधित लोगों को पर्याप्त समय रहते नोटिस दिए जाएं। इसके बावजूद भाजपा शासित राज्यों में यह कथित “बुलडोजर न्याय” जारी रहा और यह किसी से छिपा नहीं है कि निशाने पर आम तौर पर मुस्लिम रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले के बावजूद असल सवाल तो यही है कि क्या बुलडोजर पर सवार सरकारों पर कोई अंकुश लगेगा!

TAGGED:bulldozerEditorialsupreme court
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