नई दिल्ली। दिल्ली दंगों से जुड़े मामले में जेल में बंद जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत ने गुरुवार को राहत प्रदान की है। अदालत ने उन्हें अपनी बहन की शादी में शामिल होने के लिए 16 दिसंबर से 29 दिसंबर तक अंतरिम जमानत दे दी है।
उमर खालिद ने बहन की शादी 27 दिसंबर को तय है। जिसमें शामिल होने की याचिका दाखिल की उमर की ओर से दी गई थी, जिसे अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर बाजपेयी ने कुछ सख्त शर्तों के साथ स्वीकार कर लिया।
जमानत की अवधि में खालिद सोशल मीडिया का उपयोग नहीं कर सकेंगे और न ही मामले के किसी गवाह से संपर्क करेंगे। वे सिर्फ परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों तथा दोस्तों से ही मिल सकेंगे। उन्हें अपने घर या शादी के आयोजन स्थलों पर ही रहना होगा। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि 29 दिसंबर की शाम को उन्हें जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करना होगा।
बता दें कि दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद को सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया था। उन पर फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों में व्यापक साजिश रचने का आरोप है, जिसमें यूएपीए सहित कई गंभीर धाराएं लगाई गई हैं।
इस मामले में शरजील इमाम समेत कई अन्य लोग भी आरोपी हैं। उन दंगों में 57 लोगों की जान गई थी और सात सौ से ज्यादा लोग घायल हुए थे। हिंसा की शुरुआत सीएए-एनआरसी विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हुई, जो बाद में कई इलाकों में हिंसक रूप ले गई।
उमर खालिद की अंतरिम जमानत पर पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने इसे दुखद और चौंकाने वाला बताया। उन्होंने कहा कि उमर खालिद को महज 13 दिन की पैरोल के लिए पूरे पांच साल तक इंतजार करना पड़ा, जबकि बलात्कार और हत्या जैसे गंभीर अपराधों के दोषी गुरमीत राम रहीम जैसे लोग बार-बार पैरोल पर रिहा होते रहते हैं। यह विरोधाभास हमारी न्याय प्रणाली में गहरी असमानता, पक्षपात और चिंताजनक विसंगति को सामने लाता है।

