MP NEWS: मध्य प्रदेश सरकार ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा को तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है। यह कार्रवाई 23 नवंबर को भोपाल में एक कार्यक्रम के दौरान उनके दिए गए विवादास्पद बयान के कारण हुई। संतोष वर्मा ने कहा था कि ‘जब तक कोई ब्राह्मण अपनी बेटी मेरे बेटे को न दे दे या उससे रिश्ता न जोड़ ले तब तक आरक्षण खत्म नहीं होना चाहिए।’ यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और पूरे प्रदेश में गुस्सा फैल गया।
ब्राह्मण समाज और कई SC ST और OBC संगठनों ने इसे ब्राह्मण बेटियों का अपमान बताया और सड़कों पर प्रदर्शन किए। टिकमगढ़, भोपाल समेत कई जगहों पर रैलियां निकलीं और अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई। सरकार ने दबाव के बाद देर रात निलंबन का आदेश जारी किया। नोटिस में सात दिन के अंदर जवाब मांगा गया है।
आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा के ब्राह्मण बेटियों पर दिए विवादित बयान ऑल इंडिया सर्विसेज (कंडक्ट) रूल्स, 1968 के उल्लंघन पर आधारित है। इस नियम के रूल 3 के तहत अधिकारी को उच्च नैतिक मानदंड अपनाने होते हैं, जिसमें सामाजिक सद्भाव बनाए रखना, जाति-धर्म आधारित वैमनस्य न फैलाना और संवेदनशील मुद्दों पर ऐसी टिप्पणियां न करना शामिल है, जो समाज में तनाव पैदा करें। नोटिस में कहा गया है कि वर्मा का बयान ‘गंभीर कदाचरण’ का उदाहरण है, जो सामाजिक एकता को नुकसान पहुंचाने वाला है और इसके लिए सात दिनों में जवाब मांगा गया है, वरना एकतरफा अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी।
हालांकि, ब्राह्मण संगठनों की मांग के बावजूद अभी IPC की कोई धारा (जैसे 153A या 505) के तहत आपराधिक FIR नहीं दर्ज हुई है लेकिन यदि जांच में अपराध सिद्ध होता है, तो वैमनस्य फैलाने या अपमान के लिए IPC की धाराएं लागू हो सकती हैं।
संतोष वर्मा पहले भी कई विवादों में रह चुके हैं, जिनमें जाली दस्तावेज और महिलाओं से धोखाधड़ी के आरोप शामिल हैं।यह मामला एक बार फिर आरक्षण और जाति के नाम पर की गई टिप्पणियों को लेकर सवाल खड़े कर रहा है। ब्राह्मण संगठन अभी भी एफआईआर और सख्त सजा की मांग कर रहे हैं। सरकार का कहना है कि गलत बयान देने वाले किसी भी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा। मामले की आगे जांच जारी है।

