भोपाल। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा का सोशल मीडिया पर वायरल एक भाषण विवाद की वजह बन गया है। भाषण का एक हिस्सा ब्राह्मण समाज को नागवार गुजरा है। उनके 27 मिनट के भाषण में से कुछ सेकंड के क्लिप को काट-छांट कर वायरल कर दिया गया, जिससे लगा कि वे ब्राह्मण समाज की बेटियों को “दान” में देने की बात कर रहे हैं।
संतोष वर्मा ने यह भाषण मध्यप्रदेश अजाक्स (अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी-कर्मचारी संघ) के प्रदेश सम्मेलन में कही। वह इस संघ के नवनिर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष हैं।
संतोष वर्मा ने सम्मेलन में आरक्षण को लेकर चर्चा के दौरान कहा था कि “एक परिवार में एक व्यक्ति को आरक्षण तब तक मिलता रहना चाहिए, जब तक मेरे बेटे को कोई ब्राह्मण अपनी बेटी दान में न दे, या उससे संबंध न बन जाए।”
उन्होंने सनातन धर्म की एकता और सामाजिक समरसता की बात करते हुए कहा कि जब तक समाज में रोटी-बेटी का व्यवहार (अंतरजातीय विवाह और भोजन एक साथ करना) सामान्य नहीं हो जाता, तब तक जातिगत दूरी बनी रहेगी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई आईएएस अधिकारी आरक्षण लेकर ऊपर उठ गया है और अब आर्थिक-सामाजिक रूप से सक्षम है, तो समाज को उसके बच्चों से रिश्ते (विवाह आदि) करने में हिचक नहीं होना चाहिए। दान शब्द का इस्तेमाल उन्होंने कन्यादान के संदर्भ में किया था।
संतोष वर्मा ने सफाई दी है कि उनका बयान पूरी तरह तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया। उन्होंने कहा, “मैं खुद हैरान हूं कि मेरी बात को इस तरह पेश किया जा रहा है। मेरा इरादा समाज को जोड़ने का था, किसी को ठेस पहुंचाने का नहीं। फिर भी अगर किसी को मेरे शब्दों से दुख पहुंचा हो तो मैं दिल से माफी मांगता हूं।”
दूसरी तरफ ब्राह्मण संगठनों ने इसे बेटियों का अपमान बताया है। अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज के प्रदेश अध्यक्ष पुष्पेंद्र मिश्र ने कहा कि सरकार बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की बात करती है और एक वरिष्ठ अधिकारी ऐसी भाषा इस्तेमाल करें, यह अस्वीकार्य है। उन्होंने भोपाल में एफआईआर दर्ज करने के लिए आवेदन देने की घोषणा की है।
राष्ट्रीय सनातन सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष भगवती प्रसाद शुक्ल ने बयान को समाज तोड़ने वाला और घोर निंदनीय बताया। उन्होंने संतोष वर्मा को “आतंकवादी” तक कह डाला और उनके मुंह काला करने वाले को 51 हजार रुपए इनाम देने की घोषणा की। संगठन ने चेतावनी दी है कि अगर प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।

