रायपुर। सुप्रीम कोर्ट ने बाघ संरक्षण और जंगल बचाने के लिए ऐतिहासिक आदेश दिया है। मुख्य न्यायाधीश की बेंच ने 17 नवंबर को यह फैसला सुनाया, जिससे पूरे देश में टाइगर रिजर्व और जंगली जानवरों से होने वाले नुकसान के नियम बदल जाएंगे।
छत्तीसगढ़ के वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने मुख्य सचिव और वन विभाग के बड़े अफसरों को पत्र लिखकर मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को तुरंत लागू किया जाए, खासकर फसल मुआवजा MSP पर करने की व्यवस्था जल्दी शुरू हो।
कोर्ट के आदेश के अनुसार कोर क्षेत्र (बाघों का मुख्य घर) में टाइगर सफारी बिल्कुल नहीं चलेगी। बफर जोन में भी सफारी तभी बनेगी जब जमीन गैर-वन हो या खराब जंगल हो और वह बाघों के आने-जाने के रास्ते (कॉरिडोर) में न आए। यानी अब जंगल में पर्यटक गाड़ियां मनमाने ढंग से नहीं घूम सकेंगी।
अब अगर कोई व्यक्ति हाथी, बाघ या किसी जंगली जानवर के हमले में मर जाता है, तो उसे 10 लाख रुपये मुआवजा मिलेगा। सभी राज्य इसे तुरंत लागू करेंगे। यह खासकर छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड जैसे हाथी वाले राज्यों के लिए बड़ी राहत है।
साथ ही कोर्ट के आदेश के अनुसार, हर राज्य को 6 महीने में नया टाइगर संरक्षण प्लान बनाना होगा। टाइगर रिजर्व में खाली पड़े सारे पद जल्दी भरे जाएं। वन विभाग में पशु चिकित्सक और वन्यजीव विशेषज्ञों की अलग टीम बने। वन कर्मचारियों और दिहाड़ी मजदूरों को ड्यूटी में मौत या विकलांगता होने पर बीमा और आयुष्मान भारत कार्ड मिलेगा।
फसल बर्बाद होने पर मिले बेहतर मुआवजा
अभी छत्तीसगढ़ में धान की फसल हाथी बर्बाद कर दे तो सिर्फ 9 हजार रुपये प्रति एकड़ मिलते हैं। लेकिन MSP के हिसाब से एक एकड़ धान की कीमत करीब 65 हजार रुपये होती है। वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी और कई संगठनों ने मांग की है कि फसल का मुआवजा भी MSP के हिसाब से मिले, न कि सिर्फ खर्चे के हिसाब से। उनका कहना है कि अगर पूरा मुआवजा मिलेगा तो किसान रात में फसल बचाने खेत नहीं जाएंगे, जिससे उनकी जान भी बचेगी।

