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टोल वसूली से आ रहे अरबों रुपये सड़क सुरक्षा पर खर्च क्‍यों नहीं, फलौदी सड़क हादसे पर सुप्रीम कोर्ट सख्‍त   

अरुण पांडेय
अरुण पांडेय
Published: November 10, 2025 1:59 PM
Last updated: November 10, 2025 1:59 PM
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Phalodi road accident
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नई दिल्‍ली। उच्चतम न्यायालय ने राजस्थान के फलौदी क्षेत्र में हुई भयावह सड़क दुर्घटना पर खुद ही ध्यान देते हुए देश भर के राष्ट्रीय मार्गों पर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गहरी चिंता जताई है। इस घटना में तीर्थ करने जा रहे यात्रियों से भरा एक टेंपो ट्रैवलर एक स्थिर ट्रक से भिड़ गया था जिससे मौके पर ही 15 लोगों की जान चली गई और कई अन्य बुरी तरह घायल हो गए।

सोमवार को न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी तथा न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई की छुट्टी पीठ ने सुनवाई के दौरान इसे राष्ट्रीय मार्गों पर घटती दुर्घटनाओं का बड़ा संकेत माना।

उच्चतम न्यायालय ने सिर्फ फलौदी की इस घटना तक खुद को रोक नहीं रखा। पीठ ने आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम इलाके में हाल में हुई एक और भयंकर सड़क दुर्घटना का भी ध्यान लिया जिसमें अनेक लोग मारे गए थे। साथ ही हैदराबाद बीजापुर राष्ट्रीय मार्ग पर बस के हादसे का उल्लेख किया जिसमें 19 यात्रियों की मौत हुई थी।

कोर्ट ने कहा कि ऐसी घटनाएं बताती हैं कि राष्ट्रीय मार्गों पर सुरक्षा का कोई एकजुट और कारगर ढांचा नहीं है। इसलिए आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव को भी पक्ष बनाया गया है ताकि दोनों राज्यों के साथ मिलकर देशव्यापी नीति तैयार की जा सके।

कोर्ट ने साफ कहा कि गैरकानूनी ढाबे और बिना अनुमति पार्किंग सड़क हादसों का प्रमुख कारण बन रहे हैं। ट्रक तथा भारी गाड़ियां रात में मार्ग के किनारे खड़ी कर दी जाती हैं जिनसे तेज गति वाले वाहन टकरा जाते हैं। कोर्ट ने एनएचएआई से सवाल किया कि टोल के रूप में अरबों रुपये इकट्ठे किए जा रहे हैं तो सड़कों की मरम्मत रोशनी संकेतक और आपात लेन क्यों नहीं बनाई जा रही। पीठ ने चेताया कि यदि दो सप्ताह में ठोस रिपोर्ट नहीं मिली तो कड़ी कार्रवाई होगी।

सड़कों की स्थिति खराब क्यों ?

पीठ ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण एनएचएआई को कड़े आदेश दिए कि दो हफ्ते में पूरी स्थिति रिपोर्ट जमा करे। रिपोर्ट में राजस्थान के सभी राष्ट्रीय मार्गों पर मौजूद ढाबों होटलों तथा अन्य कारोबारी जगहों की पूरी फेहरिस्त उनकी जगह और कानूनी हैसियत का विवरण होना चाहिए। विशेष रूप से उन ढाबों पर ध्यान देने को कहा गया है जो बिना किसी घोषित सुविधा जोन के मार्ग किनारे गैरकानूनी तरीके से चल रहे हैं।

कोर्ट ने पूछा कि टोल लेने के बावजूद सडकों की हालत क्यों बुरी है और इन गैरकानूनी ढाबों से होने वाले हादसों को रोकने के लिए क्या उपाय किए गए हैं।

न्यायालय ने राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव को पक्ष बनाकर उनसे अलग से स्थिति रिपोर्ट मांगी है। राज्य सरकार की तरफ से मौजूद अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि सरकार पूरा सहयोग देगी और सड़क सुरक्षा के इस अहम मामले में हर संभव मदद करेगी। कोर्ट ने वरिष्ठ वकील ए एस नाडकर्णी को न्याय मित्र नियुक्त किया है जो मामले में तकनीकी तथा कानूनी सलाह देंगे।

TAGGED:Phalodi road accidentsupreme courtTop_News
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