Elephant Rescue: छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में बारनवापारा वन्यजीव अभयारण्य के हरदी गांव से खबर है जिसमें 3 नवंबर की रात 4 ग्रामीण टिकनेश्वर ध्रुव के खेत में बने कुएं में फिसलकर गिर गए थे। वन विभाग की टीम ने सुबह होते ही रेस्क्यू किया। जेसीबी मशीन से रास्ता तैयार कर हाथियों को बिना चोट के बाहर निकाल लिया गया। सभी अब जंगल में अपने झुंड के साथ सुरक्षित हैं।
कैसे हुआ रेस्क्यू ऑपरेशन
घटना की खबर मिलते ही वन विभाग ने फौरन एक्शन लिया। रात भर जागते हुए टीम ने सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए। कुएं के पास एक मजबूत रैंप बनाया गया, जिससे हाथियों को धीरे-धीरे ऊपर चढ़ाया जा सका। ऑपरेशन खत्म होते ही पास के जंगल में छोड़ दिया गया। विभाग के अफसरों ने बताया कि हाथी बिल्कुल ठीक हैं, कोई घाव या दिक्कत नहीं। इस मामले में मुख्य वन्यजीव संरक्षक स्तोविषा समझदार खुद मौके पर पहुंचीं। उन्होंने टीम की तारीफ की। वनमंडल अधिकारी धम्मशील गणवीर के मार्गदर्शन में अधीक्षक कृषानू चंद्राकर ने लीड किया। इसमें वन परिक्षेत्र अधिकारी गोपाल वर्मा, गीतेश कुमार बंजारे, जीवनलाल साहू, राहुल उपाध्याय, अतुल तिवारी, दीक्षा पांडेय और इलाके के सभी वनकर्मी-ग्रामीण शामिल थे। गणवीर ने कहा, ‘हमारा फर्ज सिर्फ जंगलों की देखभाल नहीं, हर जान बचाना है। यह रेस्क्यू हमारी तेज कार्रवाई और टीम स्पिरिट का बेहतरीन नमूना है।’
हाथी दल से खतरा बढ़ा
बताते चलें की हरदी गांव में कुछ दिन पहले एक बुजुर्ग को हाथियों ने हमला कर मार डाला था। इन दिनों अभयारण्य में 28 हाथियों का झुंड घूम रहा है। रात को किसान खेत गया तो कुएं में फंसे हाथियों को देखा और तुरंत वन विभाग को बताया। सुबह तक रेस्क्यू हो गया।
कुओं पर कार्रवाई क्यों नहीं? : नितिन सिंघवी
पर्यावरण कार्यकर्ता नितिन सिंघवी ने वन विभाग पर निशाना साधा है। उन्होंने इसे विभाग की बड़ी चूक बताया। सिंघवी कहते हैं ‘2018 से मैं खुले-सूखे कुओं को बंद करने की मांग कर रहा हूं। केंद्र सरकार ने 2021-22 में सभी राज्यों को आदेश दिए, लेकिन छत्तीसगढ़ में कुछ नहीं हुआ।’ उनके मुताबिक, राज्य में 25 हजार से ज्यादा ऐसे कुएं हैं, जो जानवरों के लिए जाल बने हुए हैं। 2024 में सिर्फ कांकेर में 450 कुओं पर ही दीवार बनी। एक महीने पहले भी उन्होंने शासन को चिट्ठी लिखी, लेकिन अफसरों ने अनदेखी की। 2017 में प्रतापपुर के पास एक हथिनी कुएं में गिरकर मर गई थी, फिर भी सबक नहीं लिया। हर साल भालू, तेंदुआ जैसे जानवर फंसते हैं, कभी मर जाते हैं, तो कोई जू में कैद हो जाते हैं।
सिंघवी ने सवाल उठाया ‘विभाग इको-टूरिज्म पर क्यों भरोसा कर रहा? कांगेर वैली की प्राचीन गुफाओं को पर्यटन के नाम पर खोलना खतरा है। अचानकमार में टाइगर दिखाने का दावा तो ठीक, लेकिन जानवरों की सुरक्षा पहले करनी चाहिए’ उन्होंने बलौदाबाजार में ही एक निजी यूनिवर्सिटी के फिल्म शूटिंग का जिक्र किया, जहां हाथियों के पास पटाखे फोड़े गए। ‘कब तक जानवर ऐसे फंसेंगे? प्रधान मुख्य वन संरक्षक को अपनी प्राथमिकताएं साफ करनी चाहिएं।’
					
