मुंबई। नागपुर में कर्जमाफी की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों के आगे आखिरकार महाराष्ट्र सरकार झुक गई। राज्य सरकार ने किसानों के कर्ज माफ करने के लिए एक वरिष्ठ स्तर की समिति बनाने का ऐलान किया। कर्जमाफी की सलाह देने वाली इस नौ सदस्यीय समिति को छह महीने में अपनी रिपोर्ट देनी होगी और इसके आधार पर सरकार अगले साल 30 जून को किसानों का कर्ज खत्म कर सकती है। इस कदम से लाखों किसानों को भारी राहत मिलने की संभावना है।
मीडिया खबरों के अनुसार समिति में राजस्व वित्त कृषि सहकार और विपणन विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिव शामिल हैं। साथ ही महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड मुंबई के अध्यक्ष और बैंक ऑफ महाराष्ट्र के प्रतिनिधि भी इसमें होंगे। यह समिति किसानों के कर्ज के लिए छोटी अवधि और लंबी अवधि के उपाय सुझाएगी जिससे उन्हें स्थायी लाभ हो सके।
किसानों के अधिकारों की लड़ाई प्रहार जनशक्ति पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री बच्चू कडू ने की शुरू की थी। किसानों ने नागपुर हैदराबाद राष्ट्रीय राजमार्ग समेत कई मुख्य सड़कों पर यातायात रोक दिया। प्रदर्शन इतना विशाल हो गया कि सरकार को किसानों से वार्ता करनी पड़ी। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात के बाद किसानों ने अपना आंदोलन रोक दिया।
किसान नेता पूर्व मंत्री बच्चू कडू से बैठक के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बताया हमारी सरकार ने घोषणा पत्र में वादा किया था कि किसानों का कर्ज माफ करेंगे उसी अनुसार आज फैसला लिया है। इसके लिए एक कमेटी गठित की है। यह कमेटी कर्ज माफी के तरीके और नियमों पर विचार कर अप्रैल के पहले सप्ताह में रिपोर्ट सौंपेगी। फिर तीन महीने में 30 जून से पहले रिपोर्ट के अनुसार कर्ज माफ कर देंगे।
ये है किसानों की प्रमुख मांगें
किसानों के सभी कर्ज फसल मध्यम अवधि पॉली हाउस सिंचाई आदि बिना शर्त के फौरन माफ हों और नियमित भुगतान करने वालों का सात बारा कोरा किया जाए। अनियमित बारिश और बाढ़ से फसल नुकसान के लिए तुरंत पर्याप्त मुआवजा मिले। सोयाबीन को छह हजार रुपये प्रति क्विंटल मूल्य दिया जाए। फसल पर 20 प्रतिशत बोनस हो। गन्ने के लिए उचित एफआरपी की मांग। उपज का गारंटी मूल्य सुनिश्चित हो। दिव्यांग किसानों को सम्मानजनक भत्ता तथा गोपालकों मछुआरों को उचित अधिकार।
 
					


 
                                
                              
								 
		 
		 
		