CG News: दिवाली की रौनक भरी शाम बिलासपुर के सिविल लाइन्स इलाके में रहने वाले दीपक के घर में अचानक उदासी छा गई। उनकी 9 साल की बेटी काव्या पूजा की तैयारी के बीच दोस्तों के साथ खेल रही थी। दौड़ते हुए अचानक पैर फिसला और वह मुंह के बल गिर पड़ी। हाथ में पकड़ी छोटी सी घंटी का ऊपरी हिस्सा तेजी से उसकी बाईं आंख में घुस गया। चीख-पुकार मच गई, आंख से खून बहने लगा। घबराए माता-पिता ने फौरन उसे बिलासपुर के सिम्स अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने हालत देखकर तुरंत रायपुर के डीकेएस अस्पताल रेफर कर दिया। सीटी स्कैन से साफ पता चला कि घंटी का हैंडल आंख की हड्डी फोड़कर करीब 4-5 सेंटीमीटर अंदर दिमाग के ऊतकों तक पहुंच चुका था।
रायपुर पहुंचते ही डीकेएस अस्पताल की इमरजेंसी टीम ने कमान संभाली। दिवाली की रात होने के बावजूद न्यूरोसर्जन डॉ. राजीव साहू ने अपनी पूरी टीम के साथ सर्जरी शुरू की। इसमें डॉ. लवलेश राठौड़, डॉ. नमन चंद्राकर, डॉ. प्रांजल मिश्रा और एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. देवश्री शामिल थे। डॉक्टरों ने एंडोस्कोपी तकनीक का इस्तेमाल किया ताकि दिमाग को कम से कम चोट लगे।
भौंह के पास छोटा सा चीरा लगाकर आंख के रास्ते दूरबीन से घंटी को सावधानी से अलग किया। चार घंटे की इस मुश्किल सर्जरी में हर पल सटीकता जरूरी थी क्योंकि जरा सी गलती से ब्रेन हेमरेज, लकवा या नजर जाने का खतरा था। सौभाग्य से घंटी नसों और रक्त वाहिकाओं से बचकर निकल गई।सर्जरी के बाद काव्या को आईसीयू में रखा गया, लेकिन अब वह खतरे से बाहर है।यह छत्तीसगढ़ में इतनी छोटी उम्र में आंख से दिमाग में घुसी चीज निकालने का पहला सफल केस है। बच्ची की दोनों आंखें सुरक्षित हैं और वह धीरे-धीरे सामान्य हो रही है

