रायपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSC) में नियम-कायदों की गंभीर कमी सामने आई है। सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत दायर किए गए कई सवालों के जवाब में यह खुलासा हुआ है कि संस्था में कोई स्पष्ट नीति या प्रक्रिया नहीं है।
रीएजेंट घोटाले को अंजाम देने वाले सीजीएमएससी में खरीदी का कोई स्पष्ट नियम नहीं है। विभागीय जांच के भी नियम नहीं है। इसकी वजह से गड़बड़ी करने वाले अफसरों को ही जांच की जिम्मेदारी दे दी गई थी। इसके अलावा सीजीएमएससी में व्यापार नीति भी नहीं है।
आरटीआई से मिले दस्तावेजों के अनुसार, CGMSC का संचालन किसी स्थापित नियमावली के आधार पर नहीं हो रहा है। RTI के जवाब में बताया गया कि संस्था में प्रबंधन और अपील प्रक्रिया के लिए कोई औपचारिक दिशा-निर्देश मौजूद नहीं हैं।
RTI के जवाब में उजागर तथ्यों के अनुसार, CGMSC का संचालन पूरी तरह से असंगठित ढंग से हो रहा है।
दस्तावेजों से यह भी स्पष्ट होता है कि संस्था के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी है, जो चिंता का विषय है।
CGMSC में नियम-कायदों की कोई स्पष्ट नीति नहीं होने की वजह से भ्रष्टाचार और मनमानी की संभावना रहती है। यह वजह है कि पिछली सरकार के समय रीएजेंट घोटाला सामने आया था, जिसमें मनमाने दाम पर रीएजेंट की खरीदी की गई थी।
सीजीएमएससी में किसी तरह की स्पष्ट नीति या प्रक्रिया नहीं होने का खुलासा अधिवक्ता शौर्यभिनंदन ठाकुर द्वारा सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम 2005 के तहत दायर किए गए आवेदनों के जवाब में प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर हुआ है।
इन दस्तावेजों में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि CGMSC में कोई लिखित नीति, नियमावली या प्रक्रिया दस्तावेज मौजूद नहीं है, जिसके आधार पर संस्था का संचालन हो।
दस्तावेजों के अनुसार, CGMSC का संचालन वहां पदस्थापित अफसरों के विवेक पर निर्भर है, जो नियम-कानून की बजाय व्यक्तिगत निर्णयों पर आधारित है। यह स्थिति पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को दर्शाती है, जिससे भ्रष्टाचार और मनमानी की आशंका बढ़ गई है।
खरीदी के नियम से लेकर विभागीय जांच और व्यापार नीति भी नहीं
सीजीएमएससी में 7 सवालों पर अलग-अलग आरटीआई लगाई गई थी। इसमें पहली आरटीआई सीजीएमएससी से पूर्व के वित्तीय वर्ष के ऐसे लंबित देयकों, जिनका भुगतान राज्य बजट से होना था, के आगामी वित्तीय वर्ष में भुगतान संबंधी नियम और निर्देश की जानकारी मांगने के संबंध में लगाई गई।
दूसरी में बजट उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में अन्य उपलब्ध मद से भुगतान करने के लिए राज्य सरकार या बोर्ड के निर्देश की संधारित जानकारी मांगी गई।
तीसरे में सीजीएमएससी के खरीदी मैनुअल, चौथे में सीजीएमएसससी में लागू बिजनेस ट्रांजेक्शन रूल्स, पांचवे में स्वीकृत बिजनेस ट्रांजेक्शन रूल्स, छठवें कंपनी में लागू विभागीय और आंतरिक जांच नियम और सातवें कंपनी में स्वीकृत विभागीय और आंतरिक जांच की जानकारी मांगी गई।
इन सभी विषयों पर मांगी जानकारी के जवाब में निरंक लिखा गया। इससे साफ है कि के तहत कोई लिखित नियम या प्रक्रिया दस्तावेज उपलब्ध नहीं है। यह दस्तावेज दर्शाते है कि CGMSC में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी है, क्योंकि न तो कोई लिखित नियमावली है और न ही समय-सीमा का पालन किया गया। यह स्थिति संस्था के संचालन पर सवाल उठाती है।
खामियों की वजह से रीएजेंट घोटाला
CGMSC में नीतिगत खामियों की वजह से भ्रष्टाचार की संभावना पहले भी सामने आ चुकी है। पिछली सरकार के कार्यकाल में रीएजेंट घोटाला उजागर हुआ था, जिसमें मेडिकल उपकरणों और रीएजेंट की खरीदी मनमाने दामों पर की गई थी।
स्पष्ट नियमों की अनुपस्थिति ऐसी अनियमितताओं को बढ़ावा देती है। दस्तावेजों से यह भी पता चलता है कि संस्था में जवाबदेही तय करने की कोई व्यवस्था नहीं है, जो भ्रष्टाचार को और पनपने का मौका दे सकती है।
2020 से 2024 के बीच रीएजेंट घोटाले को अंजाम दिया गया था। मोक्षित कॉर्पोरेशन के साथ मिलकर कारनामा अंजाम दिया गया था। इसमें शामिल डिप्टी डायरेक्टर और जीएम रहे अफसरों सहित पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
स्वास्थ्य विभाग में 2020-21 से 22-23 के दौरान खून की जांच में उपयोग होने वाला रीएजेंट केमिकल और उसकी मशीन की खरीदी की गई थी। केवल कमीशन के चक्कर में केमिकल इतनी ज्यादा मात्रा में खरीदा गया कि आधा भी उपयोग में नहीं आया और लगभग करोड़ों का सामान अब तक एक्सपायर हो चुका है।
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