लेंस डेस्क। कुख्यात आतंकी संगठन अल-कायदा का संस्थापक और एक समय अमेरिका का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाने वाला ओसामा बिन लादेन अफगानिस्तान के तोरा-बोरा पहाड़ों से महिला के भेष में जान बचाने के लिए पाकिस्तान की ओर भाग निकाला था। यह खुलासा एक पूर्व अमेरिकी खुफिया अधिकारी जॉन किरियाकू ने किया है।
एक समाचार एजेंसी से बातचीत में किरियाकू ने बताया कि अमेरिकी सेना के सेंट्रल कमांड के कमांडर का दुभाषिया वास्तव में अल-कायदा का सदस्य था, जिसने लादेन को भागने में सहायता की।
आपको याद दिला दें कि 11 सितंबर, 2001 को न्यूयॉर्क में अल-कायदा द्वारा किए गए हमले में लगभग 3,000 लोग मारे गए थे। इसके बाद मई 2011 में अमेरिका ने पाकिस्तान के एबटाबाद शहर में ओसामा बिन लादेन का ठिकाना खोज निकाला। 2 मई को अमेरिकी विशेष बलों ने एक अभियान चलाकर उसके ठिकाने पर हमला किया और उसे मार गिराया।
किरियाकू ने बताया कि अमेरिकी सेना को यह नहीं पता था कि उनका दुभाषिया अल-कायदा का आतंकी था, जिसने सेना में सेंधमारी कर रखी थी। जब यह पता चला कि लादेन घिर चुका है, तो अमेरिका ने उसी दुभाषिए के माध्यम से लादेन को पहाड़ों से नीचे उतरने का संदेश भेजा।
इस दौरान अल-कायदा ने महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित निकालने और आत्मसमर्पण के लिए सुबह तक का समय मांगा। दुभाषिए ने अमेरिकी कमांडर को इसके लिए राजी कर लिया, लेकिन इस बीच लादेन ने रात के अंधेरे का फायदा उठाकर बुर्का पहनकर, महिला के वेश में वहां से भाग निकला और पाकिस्तान पहुंच गया।
किरियाकू ने कहा कि सुबह होने पर पता चला कि तोरा-बोरा की पहाड़ियां खाली थीं और सभी आतंकी फरार हो चुके थे। इसके बाद अमेरिका ने अपनी लड़ाई को पाकिस्तान तक ले जाने का निर्णय लिया। 2011 में अमेरिका ने एक विशेष अभियान चलाकर एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन को मार गिराया, जिससे पाकिस्तान और आतंकियों के बीच संबंध दुनिया के सामने उजागर हुए।
किरियाकू ने यह भी दावा किया कि 2002 में जब वे पाकिस्तान में सीआईए के आतंकवाद-रोधी अभियानों के प्रमुख थे, तब उन्हें सूचित किया गया था कि पाकिस्तान के परमाणु हथियारों का नियंत्रण पेंटागन के पास है। उनके मुताबिक, तत्कालीन पाकिस्तानी नेता मुशर्रफ ने भय के कारण यह नियंत्रण अमेरिका को सौंप दिया था।
हालांकि, उन्होंने कहा कि पिछले दो दशकों में पाकिस्तानी सेना ने इस बात से इनकार किया है। किरियाकू ने चेतावनी दी कि अगर अब पाकिस्तानी सेना के पास परमाणु हथियारों का नियंत्रण है, तो यह स्थिति बहुत जोखिम भरी हो सकती है।

