Impact of Online E-Commerce on Local Market profit: इस दिवाली बाजारों की चमका ख़ास रही। पूरे देश में खरीदारी का सिलसिला ऐसा चला कि साल भर की कमाई एक हफ्ते में हो गई। अखिल भारतीय व्यापारी परिषद (CAIT) की ताजा रिपोर्ट कहती है कि 2025 की दिवाली पर कुल 6.05 लाख करोड़ रुपये का कारोबार हुआ जो पिछले साल के 4.25 लाख करोड़ से कहीं ज्यादा है। यह आंकड़ा 60 बड़े शहरों, राज्यों की राजधानियों और छोटे-छोटे कस्बों के व्यापारियों के सर्वे पर टिका है। जीएसटी में कटौती ने जैसे बाजार को नई जान फूंकी, जिससे आम आदमी की जेब ढीली हुई और दुकानदारों के चेहरे खिले। लेकिन लोकल दुकानदारों की चमक केवल आंकड़ों में दिखाई दी उनके चेहरों में नहीं।
इसी सिलसिले में द लेंस ने दीवाली के बीच लोकल मार्केट में जाकर छोटे से बड़े सभी दुकानदारों से पूछा जिसमें अधिकांश दुकानदार ने खत्म होते लोकल मार्केट पर अपनी तकलीफें बतायीं। आप पूरी रिपोर्ट द लेंस के यूट्यूब चैनल में पोस्ट वीडियो में देख सकतें हैं।
बाजारों में लौटी रौनक
CAIT के मुताबिक, देश के पारंपरिक बाजारों और छोटे दुकानदारों ने कुल बिक्री का 85 फीसदी हिस्सा संभाला। बड़ी कंपनियों के बीच लोकल दुकानों ने फिर साबित कर दिया कि असली ताकत ग्रामीण और छोटे शहरों में है। किराना स्टोर से लेकर मिठाई की दुकानों तक, हर कोने में भीड़ उमड़ी। इस बार खरीदारी में शहरों के साथ-साथ गांवों से भी बढ़चढ़कर हिस्सा लिया गया। उपभोक्ताओं ने महंगे सामान पर भी हाथ साफ किया।
रिपोर्ट बताती है कि कुल कारोबार में 5.40 लाख करोड़ रुपये सामान की बिक्री से आए, जबकि 65,000 करोड़ रुपये सेवाओं (जैसे ट्रांसपोर्ट और डिलीवरी) से। यह व्यापारियों के लिए खुशखबरी है और पूरी अर्थव्यवस्था को गति देने वाला संकेत भी।
कौन-सी चीजें चलीं बाजार में सबसे तेज?
किराना और रोजमर्रा की जरूरतें: 12 फीसदी हिस्सा – चावल, तेल, साबुन जैसी चीजें सबसे पहले बिकीं।
सोना-चांदी और ज्वेलरी: 10 फीसदी – शुभ अवसर पर नेकलेस और अंगूठियां खूब पसंद आईं।
इलेक्ट्रॉनिक्स और गैजेट्स: 8 फीसदी – मोबाइल, टीवी और बल्बों की डिमांड आसमान छूई।
कपड़े और रेडीमेड: 7 फीसदी – नई साड़ियां, कुर्ते और बच्चों के कपड़े छाए रहे।
गिफ्ट आइटम्स: 7 फीसदी – बॉक्स और डेकोरेटिव चीजें दोस्तों-रिश्तेदारों के लिए हिट।
घर सजाने का सामान: 5 फीसदी – लाइट्स, कढ़ाई और पर्दे ने घरों को रंगीन किया।
फर्नीचर और बिस्तर: 5 फीसदी – नई सोफा और बेडशीट्स ने घरों को नया लुक दिया।
मिठाई-नमकीन: 5 फीसदी – लड्डू, बर्फी और चिप्स त्योहार की शान बने।
अन्य सामान: वस्त्र (4%), पूजा सामग्री (3%), फल-मेवे (3%), बेकरी (3%), जूते (2%) और बाकी विविध चीजें (19%) –
लोकल दुकानदारों ने क्या कहा ?
CAIT के आंकड़े आने के बाद हम जा पहुंचे राजधानी रायपुर के लोकल मार्केट में जहां के छोटे दुकानदार इस बिक्री पर अपनी तकलीफ ज़ाहिर की। द लेंस ने ग्राउंड रिपोर्ट के ज़रिये इन सभी मुद्दों पर बात की, बर्तन व्यापारी, छोटे दुकानदार, बड़े इलेक्ट्रॉनिक्स दुकानदार से लेकर छोटे मोबाइल दुकानदारों का अपना नजरिया था, 10 में से 8 दुकानदारों ने साल दर साल लोकल मार्केट में खत्म होते प्रॉफिट के बारे में बात की और इसका सीधा असर बताया इ कॉमर्स कंपनी के बढ़ते व्यापार को।
त्योहारी सीज़न के बीच लोकल दुकानदारों की तकलीफें कई सवाल खड़े करती है, इसके पहले भी द लेंस ने 2 महीने पहले ऑफ सीजन में इन्हीं दुकानदारों से बात की थी उस वक्त के हालात और भी खराब थे, इस रिपोर्ट को भी आप द लेंस के यूट्यूब चैनल में देख सकतें हैं।

