रायपुर। पिछले दिनों अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के विदेश मंत्री आमिर अली मुत्तकी की दिल्ली के अफगानिस्तान दूतवास में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को न बुलाए जाने पर देश और दुनिया तीखी आलाेचना हुई थी। इस आलोचना के बाद अफगानिस्तान सरकार को अगले दिन ही सफाई देते हुए फिर से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलानी पड़ी, जिसमें महिला पत्रकारों को आमंत्रित किया गया था। दिल्ली में जब यह सब घट रहा था, ठीक उसी समय छत्तीसगढ़ में भी कुछ ऐसा हुआ, जिसमें महिला पत्रकारों को दरकिनार कर दिया गया।
दरअसल, उसी समय छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा गठित पत्रकारों से संबंधित विभिन्न समितियों की घोषणा की गई। यह राजपत्र में प्रकाशित हुआ। ऐसी 7 समितियां थीं, जिसमें से केवल एक समिति में एक महिला पत्रकार को शामिल किया गया। बाकी राज्य से लेकर संभाग स्तरीय 6 समितियों में एक भी महिला पत्रकार शामिल नहीं हैं। छत्तीसगढ़ में महिला पत्रकारों की कुल संख्या का कोई आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, लेकिन एक अनुमान के मुताबिक, रायपुर में सवा सौ से ज्यादा और पूरे छत्तीसगढ़ में लगभगत 2 सौ महिला पत्रकार होंगी। लेकिन, इतनी महिला पत्रकारों में से सिर्फ एक कमेटी में एक महिला पत्रकार को शामिल किया गया है। जबकि माना जाता है, कि पत्रकारिता में महिला पत्रकारों के समक्ष कार्यस्थल पर चुनौतियां और उनसे जुड़े मुद्दे विशिष्ट होते ही हैं।
इस मामले की चर्चा दिल्ली तक है। दिल्ली से मीडिया स्टडीज ग्रुप ने इस पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की है। द लेंस भी उनकी इस रिपोर्ट को उनकी अनुमति से अपने पाठकों के लिए साभार प्रकाशित कर रहा है।
हमने इस मामले में छत्तीसगढ़ सरकार से विभिन्न स्तरों पर संपर्क किया और शासन का पक्ष जानने की कोशिश की, लेकिन सरकार का पक्ष नहीं मिला। जैेसे ही सरकार का पक्ष मिलता है, हम अपडेट करेंगे।
दिलचस्प यह है कि छत्तीसगढ़ में इस मुद्दे पर न पत्रकार संघाें की तरफ से और न ही विपक्ष की तरफ से कोई सवाल किया गया है।
छत्तीसगढ़ पत्रकारिता में पुरुष जातिवाद का वर्चस्व
छत्तीसगढ़ में सरकार द्वारा गठित संचार के क्षेत्र में संचार कर्मियों से जुड़ी सात समितियों का अध्ययन।
छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार ने पत्रकारों से संबंधित सात कमेटियों का गठन किय़ा है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय है जिन्हें आदिवासी प्रतिनिधि के रुप में राजनीतिक स्तर पर प्रचारित किया जाता है। मीडिया स्टडीज ग्रुप ने 2006 में राष्ट्रीय मीडिया कंपनियों में काम करने वालों पत्रकारों की सामाजिक पृष्ठभूमि का अध्ययन किया था। सामाजिक पृष्ठभूमि में धर्म, लैंगिग , वर्ण-जाति और भाषा को प्रमुख रुप से रेखांकित किया गया था। 2006 के बाद मीडिया स्टडीज ग्रुप ने देश भर में जिला स्तर पर महिला पत्रकारों की उपस्थिति पर एक अध्ययन किया था । यह अध्ययन सूचना के अधिकार कानून के तहत आवेदन भेजकर देश के लगभग छह सौ जिलों में किया गय़ा था।
मीडिया स्टडीज ग्रुप संचार के क्षेत्र में शोध की संस्कृति को विस्तार देने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है। इस संस्था का किसी भी स्तर पर व्यवसायिक हित नहीं जुड़ा है। सामाजिक स्तर पर चेतना और समावेशी संस्कृति को विकसित करने के उद्देश्य के साथ संस्था से पत्रकारों, अकादमिक क्षेत्र में सक्रिय शोधार्थियों व अन्य बौद्धिक सदस्यों का जुड़ाव है। संस्था ने कई पुस्तकों का भी प्रकाशन किया है।
छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार द्वारा संचार के क्षेत्र में काम करने वाले संचारकर्मियों की सात समितियों का गठन किया है । इसकी अधिसूचना 10 अक्टूबर 2025 को जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी की गई है।
संचार का क्षेत्र सांमाजिक, आर्थिक और राजनीतिक ढांचे से भिन्न नहीं है। संचार के क्षेत्र में भी संविधान की भावनाओं और उससे बढ़कर संविधान के उद्देश्यों के अनुसार सामाजिक वर्गों का प्रतिनिधित्व समान स्तर पर सुनिश्चित होने की अपेक्षा की जाती है। संचार के क्षेत्र में दूसरे क्षेत्रों के मुकाबले सामाजिक वर्गों के प्रतिनिधित्व में असमानता का स्तर मौजूद है। मीडिया कंपनियां अपने व्यवसायी हितों के अनुकूल अपने ढांचे को गठित करती है। सरकार का गठन संविधान के उद्देश्यों को पूरा करने के उद्देश्यों से जुड़ा है। राजनीतिक स्तर पर यह देखा जाता है कि विभिन्न सामाजिक वर्गों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने का एक दबाव है। समाज के मौजूदा ढांचे में छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार के नेतृत्व के लिए अनुसूचित जनजाति ( आदिवासी) मुख्यमंत्री एक राजनीतिक संदेश देता है।
छत्तीसगढ़ में सरकार ने संचार के क्षेत्र में संचार कर्मियों से जुड़ी सात समितियों का गठन किय़ा है। इन सात समितियों में सामाजिक वर्गों के प्रतिनिधित्व को लेकर गहरी असमानता दिखती है। यह असमानता वर्चस्व के रुप में दिखती है। इससे समावेशी समाज की परिकल्पना और चेतना को चोट पहुंचती है।
मीडिया स्टडीज ग्रुप ने सात समितियों के अध्ययन में यह पाया कि 66 सदस्यों में केवल एक महिला एक समिति में है। यानी छह समितियां पुरुषों के वर्चस्व वाली समितियां है।
धर्म का आधार पर विश्लेषण किया जाता है तो इनमें अल्पसंख्यक, खासतौर से मुस्लिम प्रतिनिधित्व- शून्य है।
वर्ण और जाति के स्तर पर सात समितियों में उच्च वर्णीय प्रतिनिधित्व 90 प्रतिशत से ज्यादा है।
केवल एक समिति में दलित प्रतिनिधित्व 20 प्रतिशत है
अनुसूचित जन जाति का प्रतिनिधित्व शून्य दिखता है
राज्य सरकार द्वारा गठित समितियां सदस्य संख्या
छत्तीसगढ़ संचार प्रतिनिधि कल्याण समिति 11
राज्य स्तरीय अधिमान्यता समिति – नया रायपुर 10
संभागीय अधिमान्यता समिति, रायपुर 9
संभागीय अधिमान्यता समिति, दुर्ग 9
संभागीय अधिमान्यता समित, बिलासपुर 9
संभागीय अधिमान्यता समिति, सरगुजा 9
संभागीय अधिमान्यता समिति, बस्तर 9
सरकार द्वारा गठित सात समितियों में कुल संख्या 66
महिलाओं की कुल सात समितियों में प्रतिनिधित्व % ( प्रतिशत )
छह समितियों में महिला प्रतिनिधित्व 00
अधिमान्यता समितियों में पुरुष प्रतिनिधित्व 100
संचार समिति में महिला प्रतिनिधित्व 10
संचार समिति में पुरुष प्रतिनिधित्व 90
दलित प्रतिनिधित्व 00
आदिवासी प्रतिनिधित्व 00
अल्पसंख्यक प्रतिनिधित्व ( मुस्लिम ) 00
वर्ण प्रतिनिधित्व
ब्राह्मण 45
वैश्य 36
क्षत्रीय 18
राज्य स्तरीय अधिमान्यता समिति – नया रायपुर
कुल संख्या 10
महिला प्रतिनिधित्व 00
ब्राहाम्ण 08
वैश्य 01
कायस्थ 01
दलित 00
आदिवासी 00
अन्य पिछड़ा वर्ग 00
मुस्लिम प्रतिनिधित्व 00
( अन्य धर्मों यथा, ईसाई, सिख, बोद्ध अन्य के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं ली गई है)
राज्य सरकार द्वारा गठित समितियों के नाम और उनके सदस्यों के नाम निम्न है।
छत्तीसगढ़ संचार प्रतिनिधि कल्याण समिति*
| हिमांशु द्विवेदी-प्रधान सम्पादक, हरिभूमि, रायपुर· यशवंत गोहिल-संपादक (डिजीटल) दैनिक भास्कर, रायपुर· रश्मि ड्रोलिया-वरिष्ठ संवाददाता, टाइम्स ऑफ इंडिया, रायपुर· सुशील अग्रवाल-सिटी चीफ क्रानिकल, रायपुर· अजयभान सिंह-वरिष्ठ पत्रकार, रायपुर· ज्ञानेन्द्र तिवारी – कार्यकारी संपादक विस्तार न्यूज, रायपुर· विश्वेश ठाकरे – सम्पादक, IBC-24 टी.वी. चैनल, रायपुर· संजीव गुप्ता-राज्य ब्यूरो प्रमुख, पी.टी.आई., रायपुर· विजय त्रिपाठी-संपादक, जशपुरांचल, जशपुर· मनीष गुप्ता-स्थानीय संपादक, पत्रिका, जगदलपुर· सुनील गुप्ता-स्थानीय संपादक, नई दुनिया, बिलासपुर |
राज्य स्तरीय अधिमान्यता समिति
| राजेश जोशी, संपादक, नवभारत, रायपुर· सतीश श्रीवास्तव, संपादक, नई दुनिया, रायपुर· हर्ष पांडेय, स्थानीय संपादक, भास्कर रायपुर· अरूण उपाध्याय, संपादक, स्वदेश, बिलासपुर· अनिल रतेरिया, सम्पादक, इस्पात टाइम्स, रायगढ़· पवन दुबे प्रधान, सम्पादक, चैनल इंडिया, जगदलपुर· सूरज बुद्धदेव, सम्पादक, दैनिक दावा, राजनांदगांव· जी. पी. तिवारी, सम्पादक, अम्बिकावाणी, अम्बिकापुर· अभिषेक शुक्ला, समाचार संपादक, न्यूज 18, रायपुर· मोहन तिवारी, संवाददाता, TV-24 रायपुर |
संभागीय अधिमान्यता समिति, रायपुर
| प्रवीण पाठक, वरिष्ठ संवाददाता, नवभारत, रायपुर· डॉ. राकेश पाण्डेय, विशेष संवाददाता, दैनिक भास्कर, रायपुर· आशीष तिवारी, स्थानीय संपादक, लल्लूराम डॉटकाम, रायपुर· नीरज बाजपेयी, जिला प्रतिनिधि, नवभारत, बलौदाबाजार· जितेन्द्र सतपथी, जिला प्रतिनिधि, पत्रिका, महासमुन्द· गोरेलाल सिन्हा, जिला प्रतिनिधि, हरिभूमि, गरियाबंद· विशाल सिंह ठाकुर, संवाददाता, विजन न्यूज सर्विस, धमतरी· वरूण श्रीवास्तव, सहकार्यकारी संपादक, आईबीसी 24, रायपुर· डॉ. अवधेश मिश्रा, स्थानीय संपादक, बी.एस.टी.वी., रायपुर |
संभागीय अधिमान्यता समिति दुर्ग
| सुनील गुप्ता, संपादक, चिंतक, दुर्ग· टी. सूर्याराव, ब्यूरो प्रभारी, नई दुनिया, दुर्ग· ओम दुवानी, संवाददाता, हरिभूमि, बालोद· अशोक पाण्डेय, संपादक, नादगांव टाइम्स, राजनांदगांव· शशांक तिवारी, सहसंपादक, सबेरा संकेत, राजनांदगांव· अवधेश त्रिपाठी, ब्यूरोचीफ, नवभारत, मोहला-मानपुर-चौकी· ईश्वर कुम्भकार, ब्यूरोचीफ, स्वतंत्र स्वर, कबीरधाम· आनंद ओझा, संवाददाता, INH-24 टी.वी. चैनल, दुर्ग· राहुल साहू, संवाददाता, बंसल न्यूज टी.वी. चैनल, बेमेतरा |
संभागीय अधिमान्यता समिति बिलासपुर
| ढाल सिंह पारधी, सम्पादक, पत्रिका, बिलासपुर· देवेन्द्र गोस्वामी, संपादक, नवभारत, बिलासपुर· मनोज व्यास, स्थानीय संपादक, दैनिक भास्कर, बिलासपुर· आनंद शर्मा, ब्यूरोचीफ, दैनिक भास्कर, रायगढ़· हेमंत थवाइत, संपादक, केलोप्रवाह, रायगढ़· कृष्ण कुमार राठौर, ब्यूरो प्रमुख, छत्तीसगढ़ वॉच, कोरबा I· ज्ञानचंद शर्मा, संवाददाता, हरिभूमि, मुंगेली· सन्दीप करिहार, वरिष्ठ संवाददाता, INH न्यूज टी.वी. चैनल, बिलासपुर· प्रशान्त सिंह, संवाददाता, न्यूज 24 टी.वी. चैनल, जांजगीर |
संभागीय अधिमान्यता समिति, सरगुजा
| अनंगपाल दीक्षित, ब्यूरो प्रमुख, नई दुनिया, अम्बिकापुर· विकास पाण्डेय, ब्यूरो चीफ, दैनिक भास्कर, जशपुर· सतीश गुप्ता, ब्यूरो चीफ, नवभारत, बलरामपुर· उपेन्द्र दुबे, ब्यूरो चीफ, अम्बिकावाणी, सूरजपुर· प्रवीन्द्र सिंह, ब्यूरोचीफ, हरिभूमि, कोरिया· योगेश चंद्र, संवाददाता, पत्रिका, कोरिया· रवीन्द्र थवाइत, ब्यूरोचीफ, नई दुनिया, जशपुर· रमेश शर्मा, संवाददाता, IBC-24 टी.वी. चैनल, जशपुर· दीपक सिंह, संवाददाता, न्यूज 18, टी.वी. चैनल जशपुर |
संभागीय अधिमान्यता समिति, बस्तर
| विश्वरूप बोस, सम्पादक, दण्डकारण्य, समाचार, जगदलपुर· सुरेश रावल, ब्यूरोचीफ, हरिभूमि, जगदलपुर· विनोद सिंह, संपादक, बस्तर इम्पैक्ट, दन्तेवाड़ा· अभिषेक बैनर्जी, ब्यूरोचीफ, नवभारत, नारायणपुर· दीपक शर्मा, ब्यूरोचीफ, नवप्रदेश, कांकेर· राजेश शर्मा, ब्यूरोचीफ, दैनिक भास्कर, कांकेर· श्याम करकू, ब्यूरोचीफ, हरिभूमि, बीजापुर· विकास तिवारी, संवाददाता, एनडीटीवी (म.प्र.छ.ग.), जगदलपुर· नरेश मिश्रा, वरिष्ठ संवाददाता, IBC-24 टी.वी. चैनल, जगदलपुर |
उपरोक्त समितियों में एक संभागीय समिति में दलित पुरुषों का प्रतिनिधित्व है
उपरोक्त समितियों में अनुसूचित जनजाति का प्रतिनिधित्व शुन्य होने की सूचना है
उपरोक्त समितियों में तीन समितियों में कुल चार अन्य पिछड़ा वर्ग के सदस्य है
नोट: ::छत्तीसगढ़ की उपरोक्त समितियों के सदस्यों की सामाजिक पृष्ठभूमि के अध्ययन में त्रुटी हो सकती है लेकिन वह इरादतन नहीं है। प्राप्त सूचनाओं के आधार पर यह अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। समावेशी समाज की चेतना और उसके विमर्श को विस्तार देने के उद्देश्य से शोध के लिए सहायक सामग्राी के तौर पर यह अध्ययन जारी किया जा रहा है।
*https://egazette.cg.nic.in/View1.aspx राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना यहां देखी जा सकती है। इस लिंक पर 10 अक्टूबर की पीडीएफ फाइल CS1 डाउनलोड की जा सकती है।
इस मामले में द लेंस ने कुछ वरिष्ठ पत्रकारों से बात की।

वरिष्ठ पत्रकार समीर दीवान कहते हैं कि छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की समितियों में महिला पत्रकारों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिलना अलोकतांत्रिक है। ऐसे समय में जब गैरबराबरी मिटाने की जरूरत पर तवज्जो है जहां एक ओर हर मोर्चे पर महिलाएं पुरजोर डटी हुई हैं।
खुलकर फील्ड में पुरुष पत्रकारों के साथ काम कर रहीं जुझारू महिला पत्रकारों की सरकारों की ही विभिन्न समितियों में लगभग अनुपस्थिति चिंताजनक है। अभी हाल में ही अफगानी मंत्री की प्रेसवार्ता में महिला पत्रकारों को अनुमति नहीं मिलने की घटना ने पूरी प्रेस बिरादरी को शर्मसार किया था। हस्तक्षेप के बाद चुनिंदा महिला पत्रकारों को शामिल कर गलती सुधारी गई.। लोकतंत्र में यह छद्म व्यवहार शर्मनाक है।

बस्तर से प्रकाशित ‘महिला मीडिया’ अखबार की संपादक करमजीत कौर कहती हैं कि सरकार ने जो 7 समितियां बनाई है, उसमें महिलाओं को बराबर की तवज्जो मिलनी चाहिए। अगर आप 66 सदस्यों में 33 महिलाओं को नहीं रख सकते तो कम से कम 33 फीसदी महिलाओं को तोे शामिल किया ही जाना चाहिए। हर समिति में महिलाओं की सहभागिता होनी ही चाहिए।
करमजीत आगे कहती हैं कि, बस्तर संभाग की बात की जाए तो यहां तो पत्रकारिता ही चुनौतीपूर्ण है, ऐसे में महिलाओं का पत्रकारिता करना अपने आप में और भी चुनौती पूर्ण हो जाता है। ऐसे में बस्तर संभाग की महिलाओं को शामिल न करना सिस्टम की सोच को दर्शाता है।

लंबे समय तक बस्तर में सक्रिय रहीं पत्रकार अंबू शर्मा इन दिनों दिल्ली में पत्रकारिता कर रहीं हैं।उन्होंने भी इस स्थिति पर अपनी चिंता द लेंस से साझा की।
उन्होंने कहा, ‘सरकार ने जो कमेटियां बनाई हैं उसमें सिर्फ एक महिला पत्रकार को शामिल किया गया है इसके लिए बहुत आभार… लेकिन मेरा मानना है कि हर कमेटी में कम से कम एक महिला पत्रकार को शामिल किया जाना चाहिए थ।’
अंबू कहती हैं, ‘राजधानी रायपुर से लेकर प्रदेश के कई जिलों में पत्रकारिता के क्षेत्र में महिलाएं आगे बढ़कर काम कर रही हैं। जिस तरह से महिला पत्रकारों को दरकिनार किया गया है ये वाकई काफी चिंतनीय है। इस पर एक बार फिर से विचार करने की जरूरत है।’

रायपुर में लंबे अर्से से काम कर रहीं पत्रकार रेणु नंदी तिवारी कहती हैं कि 7 कमेटियों में सिर्फ एक महिला का नाम होना दुर्भाग्य जनक है। जिस महिला को शामिल किया गया है, वह भी छत्तीसगढ़ संचार प्रतिनिधि कल्याण समिति में जगह दी गई है। राज्य स्तर से लेकर संभाग स्तर में अधिमान्यता कमेटी में महिलाओं का नाम न होना, महिलाओं के उचित सहभागिता को दरकिनार करने की कोशिश को बताता है।
रेण कहती हैं कि जनसंपर्क विभाग यह सोचता है कि विधानसभा जाने वाली ही महिला पत्रकार हैं बाकी महिला पत्रकार नहीं है तो ये गलत है। विभाग के पास खुद ही यह आंकड़ा नहीं हैं कि प्रदेश में कितनी महिला पत्रकार हैं, वह यह तय कर रहा है कि किन महिलाओं काे कमेटी में रखना है। ऐसे में हर कमेटी में प्रदेश के अलग-अलग इलाकों की महिलाओं काे शामिल किया जाना था।
द लेंस ने अलग-अलग कमेटी में शामिल कुछ पत्रकारों से बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने इस पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।

