बेंगलुरु। कर्नाटक सरकार ने सरकारी जमीन पर बगैर अनुमति निजी आयोजन को प्रतिबंधित करने वाला आदेश लागू करने का फैसला किया है। इसके लिए राज्य सरकार एक विस्तृत सरकारी आदेश (जीओ) जारी करने की तैयारी में है।
सिद्धारमैया सरकार के इस फैसले को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की दैनिक गतिविधियों पर रोक लगाने की मंशा से जोड़कर देखा जा रहा है। क्योंकि कुछ दिन पहले ही कर्नाटक के ग्रामीण विकास और पंचायत राज मंत्री प्रियांक खड़गे ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर इन गतिविधियों पर रोकने लगाने की मांग की थी।
देखें खबर : प्रियांक खड़गे ने क्यों कर दी RSS पर प्रतिबंध की मांग?
कैबिनेट बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कानून और संसदीय कार्य मंत्री एच के पाटिल ने कहा, “सरकार ने सार्वजनिक संपत्तियों, जिनमें शैक्षणिक संस्थानों की संपत्तियां भी शामिल हैं, उनके अनधिकृत उपयोग को रोकने और उनके इस्तेमाल को नियंत्रित करने के लिए एक जीओ जारी करने का निर्णय लिया है।”
हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया कि यह नियम केवल आरएसएस पर ही नहीं, बल्कि सभी निजी संगठनों और संस्थाओं पर लागू होगा जो बिना पूर्व अनुमति के सरकारी जमीन का उपयोग करते हैं।
पाटिल ने पत्रकारों को बताया कि सरकार ने स्पष्टता प्रदान करने और कुछ नियम जोड़ने के लिए यह आदेश पारित करने का फैसला किया है। जब उनसे पूछा गया कि क्या यह निर्णय प्रियांक खड़गे के पत्र का परिणाम है, तो पाटिल ने स्पष्ट जवाब देने से बचते हुए कहा, “यह एक कारण हो सकता है। आपके अखबारों में छपी खबर भी एक कारण हो सकती है। इसके कई कारण हो सकते हैं।”
एक सरकारी दस्तावेज के अनुसार, “सरकारी स्कूल, कॉलेज, सहायता प्राप्त संस्थान, खेल के मैदान, सार्वजनिक सड़कें आदि नागरिकों के उपयोग के लिए हैं। पूरे राज्य में निजी संगठन बिना संबंधित विभाग की अनुमति के, और कई मामलों में बिना सूचना के, अपनी गतिविधियों, प्रचार, प्रशिक्षण आदि के लिए इन संपत्तियों का उपयोग कर रहे हैं। इसे अनधिकृत उपयोग माना जाता है और यह सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा है। इन संगठनों को पहले से अनुमति लेनी होगी।”
दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि यदि कोई गतिविधि नागरिकों के लिए हानिकारक है या उस परिसर के प्राधिकरण की आकांक्षाओं के खिलाफ है, तो अनुमति अस्वीकार की जा सकती है।
वहीं इस फैसले पर बीजेपी के कोर्ट जाने की संभावनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रियांक ने कहा, “वे किस आधार पर कोर्ट जाएंगे? क्या हम बीजेपी, आरएसएस या किसी अन्य संगठन पर प्रतिबंध लगा रहे हैं? हम केवल सार्वजनिक स्थानों और सरकारी स्कूलों में प्रक्रिया को अधिसूचित कर रहे हैं।”

