पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के बीच महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। औरंगाबाद जिले की कुटुंबा सीट पर राजद और कांग्रेस के बीच सीधा टकराव देखने को मिल रहा है। कांग्रेस ने यहां से अपने प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम को टिकट दिया है, जबकि राजद ने पूर्व मंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता सुरेश पासवान को मैदान में उतारा है।
पासवान ने कहा है कि वे पार्टी के उच्च नेतृत्व के फैसले के मुताबिक चुनाव लड़ रहे हैं और इस सीट पर जीत हासिल करने के लिए पूरा जोर लगाएंगे। गठबंधन के नेताओं का दावा है कि ये लड़ाइयां दोस्ताना हैं, लेकिन विपक्षी दल इसे गठबंधन की कमजोरी बता रहे हैं।
कुल मिलाकर महागठबंधन ने अब तक 121 सीटों पर 131 उम्मीदवार उतारे हैं, जिसमें राजद 73, कांग्रेस 24 और अन्य सहयोगी शामिल हैं। लेकिन वेशाली, तरापुर, बच्चवारा, गौरा-बौराम, लालगंज, राजापाकर और रोसेरा जैसी सात सीटों पर सहयोगी दलों के बीच मुकाबला तय हो गया है।
उदाहरण के लिए वेशाली में राजद के अभय कुशवाहा कांग्रेस के संजीव सिंह के खिलाफ हैं, जबकि लालगंज में राजद की शिवानी सिंह कांग्रेस के आदित्य राज से भिड़ेंगी। इसके अलावा कांग्रेस ने कहलगांव, प्रानपुर, जाले, चैनपुर और गया टाउन जैसी सीटों पर भी अपने उम्मीदवार घोषित किए हैं, जहां राजद ने भी दावा ठोका था।
गठबंधन में शामिल वीआईपी ने भी अपनी मांगें रखीं, लेकिन आखिरकार 14-15 सीटों पर समझौता हुआ। कुल 243 सीटों वाले इस चुनाव में पहले चरण की 121 सीटों पर नामांकन खत्म हो चुका है, जबकि दूसरे चरण के लिए सोमवार तक समय है।
लोक जनशक्ति पार्टी की उम्मीदवार सीमा सिंह का नामांकन खारिज
इस बीच चुनाव से पहले एनडीए को तगड़ा झटका लगा है। चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की उम्मीदवार सीमा सिंह का नामांकन खारिज हो गया है। सीमा सिंह, जो भोजपुरी अभिनेत्री हैं, ने सारण जिले की मढ़ौरा सीट से पर्चा भरा था, लेकिन जांच के दौरान तकनीकी खामियों की वजह से उनका नामांकन रद्द कर दिया गया।
कुल चार उम्मीदवारों के नामांकन रद्द हुए, जिसमें सीमा सिंह भी शामिल हैं। इस फैसले से एनडीए की रणनीति पर असर पड़ा है, क्योंकि अब इस सीट पर मुख्य मुकाबला राजद के जीतेंद्र राय और जन सुराज पार्टी के अभय सिंह के बीच सिमट गया है।
चिराग पासवान की पार्टी एनडीए का हिस्सा है और इस सीट को लेकर पहले से तैयारी थी, लेकिन नामांकन रद्द होने से गठबंधन को नुकसान पहुंचा है। चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक दस्तावेजों में गड़बड़ी होने पर ऐसा होता है और अब पार्टियां इसे चुनौती दे सकती हैं।

