NBDSA on Zee news & Times Now: न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (NBDSA) जिसके अध्यक्ष जस्टिस (रिटायर्ड) ए.के. सीकरी हैं, उन्होंने ज़ी न्यूज़ और टाइम्स नाउ नवभारत चैनलों को उनके कुछ कार्यक्रमों और टिकरों के लिए कड़ी फटकार लगाई है। NBDSA ने इन चैनलों को आचार संहिता का उल्लंघन करने के लिए जिम्मेदार ठहराया और सोशल मीडिया से आपत्तिजनक सामग्री हटाने के निर्देश दिए।
यह कार्रवाई सामाजिक कार्यकर्ता इंद्रजीत घोरपड़े की शिकायतों के बाद की गई, जिन्होंने इन चैनलों पर गलत सूचना फैलाने और सांप्रदायिक नफरत को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था।
ज़ी न्यूज़ पर ‘मेहंदी जिहाद’ के प्रसारण को लेकर सवाल
ज़ी न्यूज़ के खिलाफ शिकायत चार कार्यक्रमों से जुड़ी थी, जिनमें ‘मेहंदी जिहाद’ जैसे भड़काऊ शब्दों का इस्तेमाल किया गया। इन कार्यक्रमों में दावा किया गया कि मुस्लिम मेहंदी कलाकार हिंदू महिलाओं की मेहंदी में थूकते हैं और उनके फोन नंबर हासिल कर शादी के बहाने उनका धर्म परिवर्तन करवाते हैं। इनमें कुछ नारे जैसे ‘मेहंदी जिहाद पर दे दना-दन’, ‘लाठी से लाई रहेंगे, जिहादियों को रोकेंगे’ और ‘पकड़ने पर सबक सिखाया जाएगा’ भी प्रसारित किए गए, जो हिंसा और बहिष्कार को बढ़ावा देते थे। शिकायत में कहा गया कि ज़ी न्यूज़ ने इन आरोपों की सच्चाई की जांच नहीं की न ही मुस्लिम मेहंदी कलाकारों को मिली धमकियों की निंदा की। चैनल ने विरोधी पक्ष के विचारों को शामिल नहीं किया और अपने टिकरों व थंबनेल के जरिए सांप्रदायिक भय फैलाने का काम किया।
ज़ी न्यूज़ ने दलील दी कि वे केवल कुछ संगठनों के बयानों को दिखा रहे थे लेकिन NBDSA ने माना कि चैनल की प्रस्तुति से ऐसा लगता था कि वह इन दावों का समर्थन कर रहा है। NBDSA ने ज़ी न्यूज़ को इन कार्यक्रमों को सोशल मीडिया से हटाने का आदेश दिया और भविष्य में ऐसी सामग्री प्रसारित करते समय सावधानी बरतने की चेतावनी दी। प्राधिकरण ने कहा, “मीडिया को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में जिम्मेदारी से काम करना चाहिए। संवेदनशील मुद्दों पर सामग्री प्रसारित करते समय पत्रकारीय मानकों का पालन करना जरूरी है।
“टाइम्स नाउ नवभारत की “लव जिहाद” रिपोर्टिंग पर आलोचना
टाइम्स नाउ नवभारत के खिलाफ शिकायत बरेली सेशन कोर्ट के एक फैसले की रिपोर्टिंग से संबंधित थी। इस मामले में एक मुस्लिम व्यक्ति को हिंदू महिला को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। शिकायत में आरोप लगाया गया कि चैनल ने बिना किसी जांच के “लव जिहाद” की कहानी को बढ़ावा दिया और सनसनीखेज टिकरों का इस्तेमाल किया जैसे “प्यार के जहाज़ में जिहाद का तूफ़ान”, “जिहादियों की मोहब्बत का सच” और “झूठे नाम का अफ़साना, मकसद मुसलमान बनाना”।
NBDSA ने माना कि कोर्ट के फैसले की रिपोर्टिंग में कोई गलती नहीं थी लेकिन चैनल ने टिकरों के जरिए ऐसी बातें जोड़ीं जो फैसले का हिस्सा नहीं थीं। खास तौर पर “यूपी में लव जिहाद… टूलकिट पाकिस्तानी” जैसे टिकर को NBDSA ने आपत्तिजनक माना। प्राधिकरण ने चैनल को इन टिकरों को हटाने का आदेश दिया लेकिन यह भी कहा कि फैसले के विवरण में कोई गलती नहीं थी।
NBDSA का संदेश जिम्मेदारी से करें पत्रकारिता
NBDSA ने दोनों चैनलों को सलाह दी कि वे संवेदनशील मुद्दों पर सावधानी बरतें और ऐसी सामग्री से बचें जो समाज में नफरत या विभाजन को बढ़ावा दे। प्राधिकरण ने कहा कि मीडिया को अपने प्रभाव का सही उपयोग करना चाहिए और तथ्यों की सटीकता सुनिश्चित करनी चाहिए। यह कार्रवाई एक बार फिर यह याद दिलाती है कि मीडिया की भूमिका केवल खबरें दिखाने तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज में सकारात्मक और निष्पक्ष संवाद को बढ़ावा देना भी उसका दायित्व है।