[
The Lens
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Latest News
मध्य प्रदेश में डिप्टी एसपी के साले को पीट पीटकर मार डाला
मस्जिद में घुसकर मौलाना की पत्नी और दो मासूम बेटियों की दिनदहाड़े हत्या, तालिबानी विदेश मंत्री से मिलने गए थे मौलाना
राघोपुर से तेजस्वी के खिलाफ लड़ सकते हैं पीके, खुला चैलेंज
तालिबान की प्रेस कॉन्‍फेंस से भारत सरकार ने झाड़ा पल्‍ला, महिला पत्रकारों की एंट्री बैन पर मचा हंगामा
68 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी मामले में अनिल अंबानी के सहयोगी पर शिकंजा
टीवी डिबेट के दौरान वाल्मीकि पर टिप्पणी को लेकर पत्रकार अंजना ओम कश्यप और अरुण पुरी पर मुकदमा
बिहार चुनाव में नामांकन शुरू लेकिन महागठबंधन और NDA में सीट बंटवारे पर घमासान जारी
क्या है ननकी राम कंवर का नया सनसनी खेज आरोप?
EOW अफसरों पर धारा-164 के नाम पर कूटरचना का आरोप, कोर्ट ने एजेंसी चीफ सहित 3 को जारी किया नोटिस
रायपुर रेलवे स्टेशन पर लाइसेंसी कुलियों का धरना खत्म, DRM ने मानी मांगे, बैटरी कार में नहीं ढोया जाएगा लगेज
Font ResizerAa
The LensThe Lens
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
  • वीडियो
Search
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Follow US
© 2025 Rushvi Media LLP. All Rights Reserved.
लेंस संपादकीय

तांदुला इको-रेसॉर्टः नदियों का सौदा करने वाले

Editorial Board
Last updated: October 1, 2025 8:45 pm
Editorial Board
Share
Tandula eco resort
SHARE
The Lens को अपना न्यूज सोर्स बनाएं

इको-टूरिज्म के नाम पर जल, जंगल और जमीन का किस मनमाने तरीके से सौदा किया जा रहा है, इसका एक उदाहरण छत्तीसगढ़ के तांदुला बांध को एक रेसॉर्ट के लिए लीज पर दिए जाने से संबंधित द लेंस की एक बेहद संवेदनशील रिपोर्ट में सामने आया है।

दुखद यह है कि राज्य के बालोद जिले में स्थित यह बांध छत्तीसगढ़ की सबसे पुरानी जल परियोजनाओं में से एक है, जिसका निर्माण औपनिवेशक शासन के दौरान 1910 से 1921 के बीच किया गया था।

शुरुआती वर्षों में इस बांध का उपयोग पेयजल की आपूर्ति और सिंचाई के लिए होता था और बाद में यह भिलाई इस्पात संयंत्र की जीवनरेखा भी बन गया। दशकों से आसपास के गांवों के लोग निस्तारी और मछलीपालन के लिए इसका उपयोग करते ही आए हैं।

लेकिन हाल ही में इसे ईको-रेसॉर्ट के नाम पर एक निजी उद्यम को लीज पर दे दिया गया है, और इसे ‘मिनी गोवा’ के नाम पर प्रचारित किया जा रहा है।

क्या यह बताने की जरूरत है कि जिस गोवा के नाम पर इस इको रेसार्ट को प्रचारित किया जा रहा है, वहां बिगड़ते पर्यावरणीय संतुलन से चिंतित होकर सुप्रीम कोर्ट को अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए आगे आना पड़ा था।

वास्तव में प्राकृतिक रूप से खूबसूरत छत्तीसगढ़ के इस पूरे इलाके को जिस तरह से विकसित किया गया है, उससे तांदुला और सूखा नाला नदियां संकट में आ गई हैं। यही नहीं, इस रेसॉर्ट की बाड़बंदी के कारण आसपास के गांव के लोग तांदुला बांध से वंचित हो गए हैं।

यह कथित विकास की ऐसी तस्वीर है, जिसे पूरे देश में अलग अलग जगहों पर दोहराया जा रहा है। हाल ही में उत्तराखंड औऱ हिमाचल में हुई भीषण बारिश और बाढ़ ने वहां तबाही मचाई, जहां विकास के नाम पर अंधाधुंध तरीके से आवासीय और व्यावसायिक इमारतें खड़ी कर दी गईं हैं।

दर्जनों रिपोर्ट्स में यह बात सामने आ चुकी है कि पहाड़ों में आने वाली तबाही के लिए बेतरतीब विकास जिम्मेदार है। यही नहीं, ऐसे विकास और आपदाओं का सर्वाधिक खामियाजा स्थानीय लोगों को उठाना पड़ता है, क्योंकि इससे उनकी आजीविका सीधे प्रभावित होती है।

दरअसल प्राकृतिक संसाधनों और जलस्रोतों को जबसे सरकारों ने व्यावसायिक संसाधनों में बदल कर निजी कंपनियों के हाथों उनका सौदा करना शुरू किया है, उससे पारिस्थितिकी संतुलन तो बिगड़ ही रहा है, स्थानीय लोगों के सहअस्तित्व के लिए भी चुनौती पेश आ रही है।

करीब डेढ़ दो दशक पहले छत्तीसगढ़ में ही यहां कि एक प्रमुख नदी शिवनाथ के एक हिस्से को एक ठेकेदार के हाथों बेच देने का एक सनसनीखेज मामला सामने आया था!

महाराष्ट्र के पिंपरी चिंचवाड़ के मुला रिवरफ्रंट डेवलपमेंट का मामला तो एकदम ताजा है, जिसे वहां कि पिछली महाविकास अघाड़ी सरकार ने मंजूरी दी थी, जिसे पर्यावरण कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों के विरोध के कारण वापस लेना पड़ा था, लेकिन अब वहां कि महायुति सरकार ने उसे फिर से मंजूरी दे दी है।

दरअसल ऐसे हर मामले में सरकारें और उनकी नौकरशाही स्थानीय लोगों की चिंताओं और उनकी जरूरतों पर गौर किए बिना फैसला लेती हैं। तांदुला के मामले में भी यह साफ देखा जा सकता है, जहां स्थानीय लोगों की शिकायत है कि यह रिसॉर्ट कुछ दूर बनाया जाता, तो उनकी आजीविका प्रभावित नहीं होती। पर क्या सरकार उनकी सुनेगी?

तांदुला डैम पर द लेंस की यह वीडियो रिपोर्ट देखें

TAGGED:Editorial
Previous Article NCRB Report 2023 NCRB Report 2023 : किस राज्‍य और शहर में महिलाओं के खिलाफ अपराध सबसे अधिक?
Next Article छत्तीसगढ़ में रात 12 बजे के बाद बार-क्लब खुले मिले तो लाइसेंस होगा रद्द
Lens poster

Popular Posts

ज्ञानेश कुमार होंगे अगले मुख्य चुनाव आयुक्त

नई दिल्ली। देश के अगले मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार होंगे। पीएम मोदी की अध्यक्षता…

By The Lens Desk

राहुल गांधी ने CSDS के डेटा का इस्‍तेमाल नहीं किया : कांग्रेस   

नई दिल्‍ली। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से जुड़े एक सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर CSDS के…

By अरुण पांडेय

ननों को NIA कोर्ट से जमानत

रायपुर। छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन पर 25 जुलाई को मानव तस्करी और धर्मांतरण के…

By पूनम ऋतु सेन

You Might Also Like

The Lens
English

The lens launched

By Editorial Board
judiciary
English

Fix your moral compass first

By Editorial Board
Amit Shah
English

The home minister should introspect

By Editorial Board
Monsoon session
लेंस संपादकीय

मानसून सत्रः सवालों से बचती सरकार

By Editorial Board

© 2025 Rushvi Media LLP. 

Facebook X-twitter Youtube Instagram
  • The Lens.in के बारे में
  • The Lens.in से संपर्क करें
  • Support Us
Lens White Logo
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?