लेह। जोधपुर जेल में बंद पर्यावरण कार्यकर्ता और इनोवेटर सोनम वांगचुक की पत्नी ने गीतांजलि अंगमो उनके पाकिस्तान दौरे को लेकर उठ रहे सवालों का जवाब दिया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “जब भारत और पाकिस्तान क्रिकेट मैदान पर एक-दूसरे का सामना कर सकते हैं, तो सोनम वांगचुक संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन में पाकिस्तान क्यों नहीं जा सकते?”
गीतांजलि की यह प्रतिक्रिया तब आई जब लद्दाख यूटी पुलिस प्रमुख एसडी सिंह जमवाल ने दावा किया कि वांगचुक के पाकिस्तान से “संबंध” हो सकते हैं और इस साल फरवरी में उनकी पाकिस्तान यात्रा का जिक्र किया।
इस पर गीतांजलि ने स्पष्ट किया कि यह यात्रा पूरी तरह से पेशेवर थी और जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों पर केंद्रित थी। उन्होंने कहा, “हम संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में शामिल हुए थे। मैंने वहां महिलाओं की भूमिका पर एक शोध पत्र प्रस्तुत किया था। सोनम ने इस मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाओं की भी प्रशंसा की थी।”
गीतांजलि ने एक वीडियो भी साझा किया जिसमें वांगचुक जलवायु परिवर्तन पर अपनी बात रखते हुए दिख रहे थे और पीएम मोदी की पहलों की सराहना कर रहे थे। यह सम्मेलन ‘ब्रीद पाकिस्तान’ नाम से आयोजित हुआ था। गीतांजलि ने यह भी बताया कि उनकी यह टिप्पणी उस बयान के कुछ घंटों बाद आई जिसमें उन्होंने कहा था कि लद्दाख में राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग को लेकर हुए प्रदर्शन में हिंसा के लिए सुरक्षा बल जिम्मेदार थे।
क्या था पाकिस्तान यात्रा का मकसद?
गीतांजलि ने मीडिया को बताया कि उनकी और वांगचुक की पाकिस्तान यात्रा पूरी तरह से जलवायु परिवर्तन से संबंधित थी। उन्होंने वांगचुक पर लगे आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनकी सभी विदेश यात्राएं प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों और संगठनों के निमंत्रण पर हुई थीं।
उन्होंने कहा, “हमने संयुक्त राष्ट्र के एक सम्मेलन में हिस्सा लिया था, जो जलवायु परिवर्तन पर केंद्रित था। हिमालय के ग्लेशियर यह नहीं देखते कि वे भारत में हैं या पाकिस्तान में।”
गीतांजलि ने बताया कि ‘ब्रीद पाकिस्तान’ सम्मेलन फरवरी में संयुक्त राष्ट्र पाकिस्तान और डॉन मीडिया द्वारा आयोजित किया गया था, जिसमें कई देशों का सहयोग शामिल था। इस सम्मेलन में ICIMOD जैसे संगठन शामिल थे, जो हिंदू कुश हिमालय क्षेत्र के आठ देशों भारत, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, चीन, म्यांमार, नेपाल और पाकिस्तान को एक मंच पर लाते हैं।
गीतांजलि ने बताया कि ICIMOD एक नेपाल आधारित संगठन है, जो 1983 में स्थापित हुआ था और हिमालय क्षेत्र के विकास के लिए काम करता है।
सोनम ने तकनीकी नवाचार से लद्दाख को दी नई दिशा
सोनम वांगचुक लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और छठीं अनुसूची की मांग को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद से केंद्र सरकार के निशाने पर हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत गिरफ्तार किए गए वांगचुक ने पर्यावरण संरक्षण से लेकर तकनीकी नवाचार तक कई मोर्चों पर लद्दाख को नई दिशा दी है।
वांगचुक ने 1988 में छात्रों के शैक्षिक और सांस्कृतिक आंदोलन (सेमोल) की स्थापना की, जो लद्दाख के दूरस्थ गांवों में शिक्षा सुधार का प्रतीक बन गया। सेमोल कैंपस पूरी तरह सोलर ऊर्जा पर चलता है और जीवाश्म ईंधन का उपयोग नहीं करता, जिसके लिए इसे 2016 में इंटरनेशनल टेरा अवॉर्ड मिला।
2013 में उन्होंने ‘आइस स्टूपा’ तकनीक विकसित की, जो सर्दियों में नदियों का पानी शंकु आकार के कृत्रिम हिमनदों में संग्रहीत करती है। यह तकनीक वसंत में किसानों को पानी उपलब्ध कराती है और जलवायु परिवर्तन से निपटने में मददगार साबित हुई। सिक्किम के साउथ ल्होनाक झील में आपदा रोकथाम के लिए भी उन्होंने सिफन सिस्टम लगाया।
तकनीकी इनोवेशन के क्षेत्र में वांगचुक का नाम लद्दाख के गांवों तक हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचाने वाली लाइट फिडेलिटी (लाइ-फाई) तकनीक से जुड़ा है। 2021 में सेमोल इंस्टीट्यूट को देश का पहला लाइ-फाई नेटवर्क मिला, जो प्रकाश किरणों से डेटा ट्रांसमिट करता है। यह पारंपरिक टावरों से सस्ता और ऊर्जा-कुशल है, खासकर हिमालयी इलाकों में जहां सिग्नल कमजोर होते हैं। 2023 में उन्होंने दुनिया का पहला माउंटेन टॉप लाइ-फाई लेजर 5जी सिस्टम टेस्ट किया, जो स्टारलिंक जैसे सैटेलाइट्स के विकल्प के रूप में प्रदूषण-मुक्त इंटरनेट प्रदान करता है।
सेना के लिए भी वांगचुक का योगदान उल्लेखनीय है। 2021 में उन्होंने मोबाइल सोलर-पावर्ड टेंट डिजाइन किए, जो दिन में सूर्य की गर्मी फंसाकर रात में सैनिकों को गर्म रखते हैं। ये टेंट ऊंचाई वाले कठोर मौसम में 10 सैनिकों के लिए उपयुक्त हैं।
इनोवेशन के साथ-साथ वांगचुक ने 2013 में न्यू लद्दाख मूवमेंट (एनएलएम) शुरू किया, जो सस्टेनेबल शिक्षा, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था पर केंद्रित है।