नई दिल्ली। देश के नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति चंद्रपुरम पोनुसामी राधाकृष्णन ने आज यानी 12 सितंबर को राष्ट्रपति भवन में पदभार संभाल लिया। शपथ ग्रहण समारोह तो उपराष्ट्रपति का था, लेकिन चर्चा के केंद्र में रहे पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़। क्योंकि इस्तीफा देने के 53 दिन तक वह सार्वजनिक रूप से दिखाई नहीं दिए थे।
धनखड़ ने 22 जुलाई को अप्रत्याशित रूप से त्यागपत्र दे दिया था, जिससे उपराष्ट्रपति पद खाली हो गया था। 9 सितंबर को हुए चुनाव में एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन को विजयी हुए थे। शपथ समारोह के दौरान पूर्व राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, पूर्व उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी की मौजूदगी भी रही। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में राधाकृष्णन को शपथ दिलाई।

धनखड़ के लंबे समय से गायब रहने की वजह से विपक्षी दलों द्वारा उनके ठिकाने और स्थिति पर निरंतर प्रश्न उठाए जा रहे थे। इस सार्वजनिक हाजिरी से विपक्षी आशंकाओं पर विराम लगता प्रतीत हो रहा है क्योंकि धनखड़ अन्य अतिथियों की भांति समारोह में शामिल हुए और पूर्व राष्ट्रपति वेंकैया नायडू के निकट आसन ग्रहण किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गृह मंत्री अमित शाह भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और अन्य कई केंद्रीय सांसदों ने भी इस आयोजन में भाग लिया।
गठबंधन के सूत्रों के अनुसार राधाकृष्णन के शपथ ग्रहण का समय शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखकर निर्धारित किया गया था। ओडिशा के मोहन चरण माझी झारखंड के संतोष गंगवार तथा चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया भी इस कार्यक्रम में दिखे। शपथोत्सव में मध्य प्रदेश के मुखिया मोहन यादव हरियाणा के नायब सिंह सैनी और उत्तराखंड के पुष्कर सिंह धामी जैसे अनेक प्रमुख राजनेता भी मौजूद रहे।
राधाकृष्णन 15वें उपराष्ट्रपति

राधाकृष्णन भारत के 15वें उपराष्ट्रपति का स्थान ग्रहण कर चुके हैं जिन्हें 9 सितंबर के चुनाव में 452 मत प्राप्त हुए जबकि संयुक्त विपक्ष के दावेदार बी सुदर्शन रेड्डी को केवल 300 ही मिले। उपराष्ट्रपति पद ग्रहण करने से पूर्व वे महाराष्ट्र के राज्यपाल के पद पर आसीन थे और तमिलनाडु में भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष के रूप में भी सेवा दे चुके हैं।
इस चुनाव में कुल 781 सांसदों में से 767 ने हिस्सा लिया जिससे 98.2 प्रतिशत भागीदारी दर्ज की गई। राधाकृष्णन महाराष्ट्र राज्यपाल रह चुके हैं और अब उपराष्ट्रपति बनने से वह पद खाली हो गया है। नये राज्यपाल की नियुक्ति होने तक गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई है। राष्ट्रपति ने इस बाबत आधिकारिक अधिसूचना भी जारी की है।
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