रायपुर। छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के करीब 16,000 संविदा कर्मचारी प्रदेश के सभी 33 जिलों में, 18 अगस्त 2025 से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। अपनी मांगों, विशेष रूप से नियमितीकरण को लेकर चल रहे इस आंदोलन ने स्वास्थ्य सेवाओं को ठप कर दिया है, जिससे मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 6 सितंबर को रायपुर के प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में छत्तीसगढ़ प्रदेश NHM कर्मचारी संघ के अध्यक्ष डॉ. अमित कुमार मिरी ने कहा कि अब आश्वासनों का दौर खत्म हो चुका है और वे सरकार से ठोस आदेश की मांग कर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि मांगें पूरी नहीं हुईं तो जल सत्याग्रह, विधायक-मंत्रियों के निवासों का घेराव और सोनाखान से उग्र आंदोलन शुरू किया जाएगा। NHM NIYAMITKARAN
प्रदेश महासचिव कौशलेश तिवारी, संरक्षक हेमंत सिन्हा और अन्य पदाधिकारियों की मौजूदगी में डॉ. मिरी ने सरकार पर असंवेदनशीलता का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार द्वारा पांच मांगें पूरी करने का दावा किया गया लेकिन इसकी कोई जानकारी कर्मचारियों तक नहीं पहुंची। 4 सितंबर को 14,000 कर्मचारियों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया जबकि 29 अधिकारियों और कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया। स्वास्थ्य विभाग के सचिव अमित कटारिया ने 29 अगस्त को काम पर लौटने का आदेश जारी किया था, लेकिन इसका पालन न करने पर 25 कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गईं। केंद्र सरकार ने RTI के जवाब में स्पष्ट किया कि कर्मचारियों का नियमितीकरण राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है। इस बीच रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने आंदोलन को समर्थन दिया है जिससे यह मुद्दा और गरमा गया है।
यह आंदोलन छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए गंभीर संकट बन गया है। कर्मचारी अपनी मांगों को जायज बताते हुए संवैधानिक तरीके से आंदोलन जारी रखने का दावा कर रहे हैं जबकि सरकार का रुख सख्त है और वह जनहित में स्वास्थ्य सेवाओं को सुचारू रखने के लिए कठोर कदम उठाने को तैयार है। यदि यह गतिरोध जल्द नहीं सुलझा तो इसका असर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं पर और गहरा सकता है।