- रेत माफिया को बचाने महिला आईपीएस को धमकाया
- महाराष्ट्र की डबल इंजन सरकार में अराजकता बढ़ी
भाजपा की वाशिंग मशीन में जादू है। इसमें धुलकर अनगिनत नेता पवित्र हो गए। जिन्हें सिंचाई घोटाले में जेल की चक्की पीसनी थी, वे रेत माफिया के बचाव में महिला आईपीएस को हड़का रहे हैं। महाराष्ट्र में डबल इंजन की सरकार ने अराजकता का दिलचस्प नमूना पेश किया है। दो उपमुख्यमंत्री के बोझतले दबे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस बिल्कुल असहाय दिखते हैं।
ताजा मामला उपमुख्यमंत्री अजित पवार से जुड़ा है। उनका एक वीडियो वायरल है। इसमें वह सोलापुर की महिला आइपीएस अंजना कृष्णा को खुलेआम हड़काते दिख रहे हैं। पुलिस 31 अगस्त को अवैध रेत मुर्रम खनन के खिलाफ कार्रवाई करने गई थीं।
मौके पर राकांपा अजित गुट के एक कार्यकर्ता ने अजित पवार को कॉल लगाकर अंजना को मोबाइल थमा दिया। अजित पवार ने कहा- “सुनो, मैं डिप्टी चीफ मिनिस्टर बोल रहा हूं। आपको आदेश देता हूं कि कार्रवाई रोक दो।”
लेकिन 2023 बैच की आईपीएस अंजना कृष्णा ने उन्हें पहचानने से इंकार कर दिया। उनकी बात मानने से भी इंकार कर दिया। कहा कि आप मेरे फोन पर बात करें। इस पर अजित पवार नाराज हो उठे और कहा, “इतना डेरिंग हुआ क्या? मैं तुझ पर कार्रवाई लूंगा।”
इसका वीडियो वायरल होते ही राजनीति तेज हो गई। विपक्षी दलों कहा कि अजित पवार ने एक महिला आईपीएस अधिकारी को धमकाते हुए अवैध खनन जैसी गैरकानूनी गतिविधि को भी बचाने की कोशिश की। शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) और कांग्रेस नेताओं ने कहा कि यह सीधा-सीधा कानून व्यवस्था में हस्तक्षेप है और पवार को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए।
उद्धव गुट के सांसद संजय राऊत ने कहा कि अगर अपनी पार्टी के चोरों को संरक्षण देने के लिए पवार ने महिला अधिकारी को डांटा है। अवैध खनन कर सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। नैतिकता के आधार पर अजित पवार को सरकार में बने रहने का कोई हक नहीं है। इसलिए उन्हें तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अजित अपने आप को काफी अनुशासित दिखाते हैं, लेकिन अब उनका अनुशासन कहां है? प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अतुल लोंढे ने कहा कि उपमुख्यमंत्री अजित पवार द्वारा एक महिला आईपीएस को दी गई धमकी एक गंभीर बात है। महाराष्ट्र के बड़े नेता को इस तरह की भाषा में बात करना शोभा नहीं देता।
दूसरी तरफ, एनसीपी अजित के नेताओं ने पवार का बचाव करते हुए कहा कि उनका मकसद अवैध खनन को समर्थन देना नहीं था, बल्कि स्थानीय कार्यकर्ताओं और प्रशासन के बीच टकराव रोकना था। अजित पवार ने कहा कि उनका उद्देश्य कानून व्यवस्था में दखल देने का नहीं था। उनका मकसद केवल इतना था कि मौके पर तनाव न बढ़े और माहौल शांत बना रहे। उन्होंने कहा कि मैं पारदर्शी शासन के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध हूं। रेत खनन समेत हर अवैध गतिविधि का कानून के अनुसार सख्ती से निपटारा किया जाए।
ऐसा कहकर अजित पवार ने मामले को खत्म करने का अनुरोध किया। लेकिन दूसरी तरफ उनके कुछ प्रमुख नेताओं ने महिला आइपीएस के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान शुरू कर दिया। विधायक अमोल मितकारी ने आईपीएस अंजना कृष्णा की नियुक्ति पर सवाल उठा दिया। कहा कि जिस महिला अधिकारी को राज्य के उपमुख्यमंत्री का नाम नहीं पता, उसकी नियुक्ति संदेहास्पद है।
उन्होंने इसमें पूजा खेडकर जैसा मामला होने का संदेह व्यक्त किया, जिसने फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया था। आईपीएस अंजना कृष्णा के खिलाफ संघ लोक सेवा आयोग में शिकायत की भी धमकी दी जा रही है। जबकि महाराष्ट्र सुराज्य अभियान के संयोजक विजय कुंभार ने इस शिकायत को राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित बताया है।
स्वाभाविक है कि राकांपा(एसपी) इस मामले में भी अजित पवार के खिलाफ खुलकर सामने आए। इसकी सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि सत्तारूढ़ सरकार द्वारा आईपीएस अधिकारी की विश्वसनीयता पर हमला करना संविधान पर गंभीर हमला है। एक महिला अधिकारी को इस तरह व्यवस्थित रूप से निशाना बनाना लैंगिक समानता की संवैधानिक गारंटी का भी उल्लंघन है।
सुले ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से अनुरोध किया कि सार्वजनिक पद की गरिमा और सिविल सेवाओं की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए उचित कार्रवाई की जाए।
राज्य के सीएम देवेंद्र फडणवीस के लिए ऐसे मौके बेहद शर्मनाक स्थिति वाले होते हैं। पहले वह अजित पवार पर अरबों के सिंचाई घोटाले का आरोप लगाया करते थे। चुनावी सभाओं में वह “अजित पवार चक्की पीसिंग” की बात बेहद रोचक तरीके से कहते थे।
वे अजित पवार पर अपने करीबियों के हित में सिंचाई परियोजनाओं के टेंडर और आवंटन में अनियमितता के गंभीर आरोप लगाते थे। बाद में जब अजित पवार ने बीजेपी की वाशिंग मशीन में धुलाई करा ली। अब सरकार में शामिल होकर फडनवीस की छाती पर मूंग दल रहे हैं।
फिलहाल इस मामले को लेकर बयानबाजी जारी है। बिहार में प्रधानमंत्री की मां के अपमान को लेकर देश भर में तमाशा मचा है। बिहार बंद तक करा दिया गया। लेकिन डबल इंजन वाले राज्य में खुद इनके उपमुख्यमंत्री ने एक कर्तव्यपरायण महिला अधिकारी का खलेआम अपमान किया।
अब उनकी लंपट फौज उस आइपीएस के चरित्रहनन पर उतर आई है। लेकिन इसे लेकर प्रधानमंत्री मोदी या मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस पर कोई असर नहीं। जाहिर है कि मीडिया का बड़ा हिस्सा भी अंधभक्तों की तरह उसी मामले पर भावुक होता है, जिस पर भावुक होने के लिए निर्देश मिलते हों। यहां तक कि देश के आइएएस और आइपीएस एसोसिएशन भी अपने किसी सदस्य के अपमान पर तभी प्रतिक्रिया जाहिर करते हैं, जब वह किसी गैर-भाजपाई राज्य से नेता से जुड़ा विषय हो।
लिहाजा, रेत मुर्रम खनन माफिया का खुलकर बचाव करने के बावजूद अजित पवार का कोई बाल तक बांका नहीं होना। जब “चक्की पीसिंग” मामले में वाशिंग मशीन में धुलकर अभयदान मिल चुका हो, तो अब कोई भी मामला उनके लिए चिंता की वजह नहीं बन सकता।
महाराष्ट्र में अजित पवार और एकनाथ शिंदे की दो बैशाखियों पर टिकी सरकार में चरम अराजकता और भ्रष्टाचार की गंभीर शिकायतों के मामले सामने आते रहते हैं। कई मंत्रियों पर गंभीर आरोप लगे हैं। लेकिन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस के सामने लाचार होकर देखते रहने के सिवाय कोई चारा नहीं है। उन्हें अजित पवार के नखरे उठाने ही होंगे।