नेशनल ब्यूरो। नई दिल्ली
इंदौर के महाराजा यशवंतराव अस्पताल में चूहों के काटने से एक और नवजात की बुधवार दोपहर मौत हो गई। देवास से रेफर किए गए इस नवजात की मौत, खंडवा की एक और बच्ची की मौत के ठीक एक दिन बाद हुई थी।
दो परिवार खंडवा से लक्ष्मी और देवास से रेहाना – राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में उम्मीद की किरण लेकर आए थे। दोनों ही परिवार अपने साथ केवल दुख लेकर लौटे।
इंदौर एयरपोर्ट पर मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एमवाय अस्पताल की घटना को लेकर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए और कहा कि सरकार ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेगी।
डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों की मौत चूहों के काटने से नहीं, बल्कि जन्मजात जटिलताओं के कारण हुई है। एमवाय अस्पताल के अधीक्षक अशोक यादव ने कहा, “दोनों बच्चों में जन्मजात एनीमिया था और उन्हें बाहर से रेफर किया गया था। एक का वजन 1 किलोग्राम और दूसरे का 1.6 किलोग्राम था और हीमोग्लोबिन भी कम था। बच्चों पर काटने के निशान थे, लेकिन इनसे मौत नहीं हुई।
डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों की मौत चूहों के काटने से नहीं, बल्कि जन्मजात जटिलताओं के कारण हुई है। एमवाय अस्पताल के अधीक्षक अशोक यादव ने कहा, “दोनों बच्चों में जन्मजात एनीमिया था और उन्हें बाहर से रेफर किया गया था। एक का वजन 1 किलोग्राम और दूसरे का 1.6 किलोग्राम था और हीमोग्लोबिन भी कम था। बच्चों पर काटने के निशान थे, लेकिन इनसे मौत नहीं हुई। एक की मौत हो गई, जबकि दूसरे की हालत गंभीर है और उसकी आंतें अविकसित हैं।”
उपाधीक्षक डॉ. जितेंद्र वर्मा ने बताया, “इस बच्ची को जन्मजात एनीमिया था, हाथों में विकृति थी और सात दिन पहले इसका ऑपरेशन हुआ था। तीन-चार दिन से हालत में सुधार नहीं हुआ तो वेंटिलेटर पर रखा गया था। उंगली पर चूहे का काटना मामूली था। जन्मजात एनीमिया के कारण मौत हुई। 15 दिन की इस बच्ची का वजन भी कम था।”
यह इस बड़े प्रश्न का उत्तर नहीं देता कि नवजात शिशुओं को नवजात गहन देखभाल इकाई के अंदर चूहों के लिए असुरक्षित क्यों छोड़ दिया गया था। अस्पताल के कर्मचारियों ने स्वीकार किया कि एक बड़ा चूहा कई दिनों से एनआईसीयू (नवजात गहन चिकित्सा इकाई) में घूम रहा था।
इस अस्पताल के अलावा, बगल के नेहरू बाल चिकित्सालय, कैंसर अस्पताल और टीबी सेंटर के गलियारों में भी चूहे घूम रहे हैं। प्रबंधन ने इसके लिए बारिश और पानी से भरे बिलों को ज़िम्मेदार ठहराया है। सच्चाई यह भी है कि मरीज़ों के तीमारदारों द्वारा लाए गए खुले खाने के थैलों ने अस्पताल को चूहों के लिए एक मुफ़्त दावत बना दिया है।
सरकार क्षति नियंत्रण मोड में आ गई है। उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा, “यह गंभीर मामला है, जिस पर तत्काल कार्रवाई की गई है। अगर समय पर कीट नियंत्रण किया गया होता, तो चूहे नहीं होते। कीट नियंत्रण एजेंसी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है और अनुबंध समाप्त करने का नोटिस जारी किया गया है।”
नर्सिंग अधीक्षक को हटा दिया गया है, दो नर्सिंग अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है और बाल चिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष को नोटिस दिया गया है।”नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इस मामले में कहा है कि इंदौर में मध्य प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में दो नवजात शिशुओं की चूहों के काटने से मौत यह कोई दुर्घटना नहीं, यह सीधी-सीधी हत्या है।
यह घटना इतनी भयावह, अमानवीय और असंवेदनशील है कि इसे सुनकर भी रूह कांप जाए। एक मां की गोद से उसका बच्चा छिन गया, सिर्फ इसलिए क्योंकि सरकार ने अपनी सबसे बुनियादी जिम्मेदारी नहीं निभाई। हेल्थ सेक्टर को जानबूझकर प्राइवेट हाथों में सौंपा गया – जहां इलाज अब सिर्फ अमीरों के लिए रह गया है, और गरीबों के लिए सरकारी अस्पताल अब जीवनदायी नहीं, मौत के अड्डे बन चुके हैं।
प्रशासन हर बार की तरह कहता है “जांच होगी” – लेकिन सवाल यह है – जब आप नवजात बच्चों की सुरक्षा तक नहीं कर सकते, तो सरकार चलाने का क्या हक़ है? PM मोदी और MP के मुख्यमंत्री को शर्म से सिर झुका लेना चाहिए। आपकी सरकार ने देश के करोड़ों गरीबों से स्वास्थ्य का अधिकार छीन लिया है और अब मां की गोद से बच्चे तक छिनने लगा है।