[
The Lens
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Latest News
ट्रैवल कारोबारी ने इंडिगो की मनमानी की धज्जियां उधेड़ी
287 ड्रोन मार गिराने का रूस का दावा, यूक्रेन कहा- हमने रक्षात्मक कार्रवाई की
छत्तीसगढ़ सरकार को हाई कोर्ट के नोटिस के बाद NEET PG मेडिकल काउंसलिंग स्थगित
विवेकानंद विद्यापीठ में मां सारदा देवी जयंती समारोह कल से
मुखर्जी संग जिन्ना की तस्‍वीर पोस्‍ट कर आजाद का BJP-RSS पर हमला
धान खरीदी में अव्यवस्था के खिलाफ बस्तर के आदिवासी किसान सड़क पर
विश्व असमानता रिपोर्ट 2026: भारत की राष्ट्रीय आय का 58% हिस्सा सबसे अमीर 10% लोगों के पास
लोकसभा में जोरदार हंगामा, विपक्ष का वॉकआउट, राहुल गांधी ने अमित शाह को दे दी चुनौती
जबलपुर पुलिस ने ‘मुस्कान’ अभियान के तहत 73 लापता बच्चों को बचाया, 53 नाबालिग लड़कियां शामिल
महाराष्ट्र के गढ़चिरोली में ₹82 लाख के इनाम वाले 11 नक्सलियों ने किया सरेंडर
Font ResizerAa
The LensThe Lens
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
  • वीडियो
Search
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Follow US
© 2025 Rushvi Media LLP. All Rights Reserved.
लेंस संपादकीय

उमर खालिद और साथियों के लिए कठिन है आगे की राह

Editorial Board
Editorial Board
Published: September 2, 2025 8:23 PM
Last updated: September 2, 2025 8:23 PM
Share
Umar Khalid Case
SHARE

पांच साल पहले उत्तर-पूर्व दिल्ली में हुए दंगों के सिलसिले में गिरफ्तार जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के पूर्व छात्र नेता और स्कॉलर उमर खालिद और शरजील इमाम तथा सात अन्य लोगों को दिल्ली हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली है, जिसने मंगलवार को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी।

उमर और उनके साथियों पर इन दंगों को लेकर ‘बड़ी साजिश’ का हिस्सा होने का आरोप पुलिस ने लगाया है, लेकिन रेखांकित करने वाली बात यह भी है कि पांच साल बाद अब तक इस मामले में निचली अदालत में सुनवाई शुरू नहीं हो सकी है। यह सचमुच अजीब है कि इन युवाओं को बिना चार्ज शीट दाखिल किए ही लंबे समय से जेल में रहना पड़ रहा है और उनकी आगे की राह भी कठिन ही नजर आ रही है।

उमर खालिद की ही बात करें, तो छठी बार उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी गई। पुलिस का आरोप है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के विरोध में फरवरी, 2020 में दिल्ली में ऐसे समय दंगों की साजिश रची गई थी, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत आने वाले थे।

पांच सालों में अभियोजन उमर और उनके साथियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल नहीं कर सका है, जिसका खामियाजा उमर और इस मामले के अन्य आरोपी युवाओं को भुगतना पड़ रहा है। यह वाकई दुर्भाग्यपूर्ण है कि ये युवा बिना अपराध साबित हुए लंबे समय से जेल में हैं और अभी यह भी पता नहीं है कि यह मामला और कितना लंबा चलेगा।

यह स्थिति तब है, जब सुप्रीम कोर्ट कई बार दोहरा चुका है कि बेल यानी जमानत नियम है, जबकि जेल अपवाद, यहां तक कि गैरकानूनी गतिविधियां (निरोधक) अधिनियम (यूएपीए) जैसे मामलों में भी। लेकिन व्यवहार में ऐसा कम ही नजर आ रहा है, दिल्ली दंगे का मामला इसका एक बड़ा उदाहरण है।

एक संवैधानिक लोकतंत्र में इस स्थिति पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है, इसलिए भी क्योंकि हमारे संविधान निर्माताओं ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता को खासतौर से महत्व दिया था, जैसा कि संविधान का अनुच्छेद 21 में इसका जिक्र है।

निस्संदेह यदि उनके खिलाफ अपराध साबित होते हैं, तो उन्हें सजा मिलनी ही चाहिए, लेकिन यदि वह निर्दोष साबित हुए तो, इन युवाओं जिनमें कई स्कॉलर भी हैं, के जेल में बिताए बहुमूल्य समय की भरपाई कैसे होगी?

यह भी पढ़ें : ‘वोट चोरी’ बना नया सियासी कथानक

TAGGED:Delhi High CourtDelhi riotsEditorialsharjeel imamUmar KhalidUmar Khalid case
Previous Article maraatha aarakshan aandolan मराठा आरक्षण आंदोलन: जरांगे का ऐलान-‘सरकारी आदेश लाइए, खत्म कर देंगे आंदोलन, उड़ाएंगे गुलाल’
Next Article PM Modi-RSS cartoon controversy PM MODI-RSS कार्टून विवाद में हेमंत मालवीय को अग्रिम जमानत
Lens poster

Popular Posts

केदारनाथ धाम में फिर हादसा, लैंडस्‍लाइड में दो श्रद्धालुओं की मौत, तीन घायल

द लेंस डेस्‍क। उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में एक बार फिर बड़ा हादसा हुआ है।…

By Lens News Network

Gaza: the ontological crisis of humanity

As the Gaza conflict approaches two years, the humanitarian crisis it has brought is unprecedented.…

By Editorial Board

चंदा कोचर के बाद माधबी बुच, शीर्ष पर पहुंचीं दो महिलाओं का पतन

नई दिल्ली। अर्थ जगत में बड़ा मुकाम हासिल करने के बाद देश की दो महिलाओं…

By The Lens Desk

You Might Also Like

Jammu Rain & Landslide
English

Flood : water never forgets its home

By Editorial Board
Palghar sadhu massacre
लेंस संपादकीय

पालघर ने दिखाया भाजपा का दोहरा चेहरा

By Editorial Board
Rahul Gandhi
लेंस संपादकीय

कांग्रेस का अस्तबल

By Editorial Board
Israeli palestinian tensions
लेंस संपादकीय

गजा का दर्द

By Editorial Board

© 2025 Rushvi Media LLP. 

Facebook X-twitter Youtube Instagram
  • The Lens.in के बारे में
  • The Lens.in से संपर्क करें
  • Support Us
Lens White Logo
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?