नेशनल ब्यूरो। नई दिल्ली
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने हाल ही में खुलासा किया कि भाजपा विधायक संजय पाठक ने एक लंबित मामले के संबंध में उनसे संपर्क करने की कोशिश की । 1 सितंबर को पारित आदेश में न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा ने कहा कि पाठक ने उनसे फोन पर संपर्क करने की कोशिश की थी।
न्यायालय ने कहा, “संजय पाठक ने इस विशेष मामले के संबंध में चर्चा करने के लिए मुझे बुलाने का प्रयास किया है, इसलिए मैं इस रिट याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं हूं।” इसलिए न्यायमूर्ति मिश्रा ने मामले से खुद को अलग कर लिया और मामले को किसी अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने के लिए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखने का आदेश दिया।
न्यायालय ने कहा, “इस मामले को माननीय मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखा जाए ताकि इसे उपयुक्त पीठ के सामने सूचीबद्ध किया जा सके। यह मामला उच्च न्यायालय में दायर एक रिट याचिका से संबंधित है जिसमें अवैध खनन के आरोपी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी।
आशुतोष दीक्षित नाम के एक व्यक्ति ने आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू), भोपाल में ये आरोप लगाए थे। इसके बाद उन्होंने ईओडब्ल्यू पर निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया।
दीक्षित ने तर्क दिया कि आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) समयबद्ध अवधि के भीतर प्रारंभिक जांच पूरी करने में विफल रही।
पाठक ने उच्च न्यायालय में एक आवेदन दायर कर मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की और कहा कि उनका पक्ष भी सुना जाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि पाठक दीक्षित द्वारा दायर रिट याचिका में पक्षकार नहीं थे।
वरिष्ठ अधिवक्ता एसआर ताम्रकार और अधिवक्ता अंकित चोपड़ा याचिकाकर्ता आशुतोष दीक्षित की ओर से पेश हुए।आर्थिक अपराध शाखा की ओर से अधिवक्ता मधुर शुक्ला उपस्थित हुए।संजय पाठक की ओर से अधिवक्ता अंशुमान सिंह उपस्थित हुए।