Trump Tariff impact on India : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ‘ट्रंप टैरिफ’ ने वैश्विक व्यापार को हिला दिया है। जनवरी में सत्ता संभालते ही ट्रंप ने व्यापार घाटे को कम करने के नाम पर विभिन्न देशों पर टैरिफ की बौछार शुरू कर दी। अब भारत पर 50% टैरिफ लगने से देश की अर्थव्यवस्था पर गंभीर संकट मंडरा रहा है। 27 अगस्त से लागू इस कदम का मुख्य कारण भारत का रूस से तेल खरीदना बताया जा रहा है, जो अमेरिका के अनुसार यूक्रेन युद्ध को फंड कर रहा है। लेकिन क्या है टैरिफ, टैक्स और ड्यूटी? इन शब्दों के बीच का फर्क समझना जरूरी है, क्योंकि ये सरकारी राजस्व के प्रमुख स्रोत हैं।
टैक्स, ड्यूटी और टैरिफ: क्या है इनका फर्क?
ट्रंप के टैरिफ विवाद ने इन शब्दों को फिर से चर्चा में ला दिया है। आसान भाषा में समझें तो ये सभी सरकार की कमाई के तरीके हैं लेकिन इनके दायरे अलग-अलग हैं।
टैक्स क्या है?
टैक्स सरकार की मूल कमाई का स्रोत है, जो लोगों और चीजों पर लगाया जाता है। यह सीधा या अप्रत्यक्ष हो सकता है। जैसे, आयकर या बिक्री कर। टैक्स देना हर नागरिक का कर्तव्य है, और न देने पर सजा होती है। सरकारी योजनाओं, सड़कों और शिक्षा के लिए यह पैसा इस्तेमाल होता है। कुल मिलाकर, टैक्स देश की आर्थिक रीढ़ है।
ड्यूटी क्या है?
ड्यूटी एक प्रकार का अप्रत्यक्ष टैक्स है, जो खरीद-बिक्री या वस्तुओं पर लगता है। यह उपभोक्ता को महंगा बनाता है। मुख्य रूप से दो तरह की होती है:
एक्साइज ड्यूटी: देश में बनी वस्तुओं पर लगने वाला शुल्क। जैसे, फैक्ट्री में बने सामान पर। उत्पादक इसे उपभोक्ता की कीमत बढ़ाकर वसूल लेता है।
कस्टम ड्यूटी: विदेश से आने-जाने वाली चीजों पर लगता है। इसका मकसद स्थानीय उद्योगों की रक्षा करना और राजस्व बढ़ाना है। भारत में विदेशी सामान पर यही कस्टम ड्यूटी लगती है।
टैरिफ क्या है?
टैरिफ ड्यूटी का ही एक रूप है, लेकिन खासतौर पर दूसरे देशों से आने वाली वस्तुओं पर लगाया जाता है। इसका उद्देश्य आयात को महंगा बनाकर स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना है। ट्रंप का टैरिफ अमेरिका के हित में है, वे चाहते हैं कि अमेरिकी सामान सस्ता रहे और विदेशी महंगे। लेकिन सभी ड्यूटी टैरिफ नहीं होतीं, टैरिफ व्यापार नीति का हथियार है।
संक्षेप में, टैक्स सबसे व्यापक है (व्यक्ति और वस्तु दोनों पर), ड्यूटी अप्रत्यक्ष कर है (खासकर वस्तुओं पर), जबकि टैरिफ आयात-निर्यात को नियंत्रित करने का टूल है। भारत में विदेशी सामान पर कस्टम ड्यूटी लगती है, जो अमेरिकी टैरिफ का जवाब हो सकती है।
ट्रंप टैरिफ का भारत पर असर: 50% शुल्क से व्यापार पर ब्रेक
ट्रंप ने पहले 7 अगस्त से 25% ‘रिसिप्रोकल टैरिफ’ लगाया, जो व्यापार असंतुलन सुधारने के लिए था। फिर 27 अगस्त से रूस से तेल खरीदने की सजा के तौर पर अतिरिक्त 25% जुर्माना लगाया जिससे ये कुल 50% हो गया। यह भारत के 86.5 अरब डॉलर के अमेरिकी निर्यात का बड़ा हिस्सा प्रभावित करेगा।
विशेषज्ञों के अनुसार भारत का जीडीपी 0.3% से 0.6% तक गिर सकता है और 60 अरब डॉलर के निर्यात पर खतरा है। अमेरिका भारत का सबसे बड़ा बाजार है, लेकिन अब वियतनाम चीन और बांग्लादेश जैसे देश फायदा उठा सकते हैं क्योंकि उनके टैरिफ कम हैं।
भारत सरकार ने कहा है कि यह ‘अनुचित’ है और रूस से तेल खरीदना ऊर्जा सुरक्षा के लिए जरूरी है। पीएम मोदी ने आत्मनिर्भरता पर जोर दिया है कहा कि देश बिना किसी दबाव के फैसले लेगा। विपक्ष ने इसे ‘आर्थिक ब्लैकमेल’ बताया है। अब भारत अमेरिका से बातचीत जारी रखेगा लेकिन किसानों और छोटे उद्योगों की रक्षा प्राथमिकता है।
कौन-से सेक्टर और राज्य सबसे ज्यादा प्रभावित?
ट्रंप के टैरिफ से भारत के निर्यात-निर्भर उद्योगों को करारा झटका लगेगा। अमेरिका में भारतीय सामान महंगे हो जाएंगे, जिससे मांग घटेगी। नौकरियां खतरे में हैं, खासकर छोटे-मध्यम उद्योगों में।
रत्न और आभूषण: भारत अमेरिका को 10 अरब डॉलर का निर्यात करता है, जो वैश्विक हिस्सेदारी का 40% है। पहले टैरिफ 2% था, अब 52%। गुजरात का सूरत, महाराष्ट्र का मुंबई और राजस्थान का जयपुर जैसे केंद्र प्रभावित होंगे। लाखों कारीगरों की नौकरियां जा सकती हैं।
कपड़े और टेक्सटाइल:
10.3 अरब डॉलर का निर्यात, कुल का 28%। टैरिफ 63% से ज्यादा हो गया। तमिलनाडु का तिरुपुर, उत्तर प्रदेश का नोएडा, हरियाणा का गुरुग्राम, कर्नाटक का बेंगलुरु, पंजाब का लुधियाना और राजस्थान का जयपुर सबसे ज्यादा प्रभावित। 5 अरब डॉलर का नुकसान संभव, वियतनाम-बांग्लादेश को फायदा।
कृषि और मरीन उत्पाद: 5.6 अरब डॉलर का निर्यात, जिसमें झींगा, मसाले, डेयरी, चावल शामिल। सीफूड इंडस्ट्री सबसे ज्यादा प्रभावित। पंजाब, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे कृषि राज्य नुकसान झेलेंगे। पाकिस्तान, थाईलैंड जैसे देश सस्ते सामान बेचेंगे।
चमड़ा और फुटवियर:
1.18 अरब डॉलर का निर्यात। उत्तर प्रदेश के कानपुर-आगरा और तमिलनाडु के अंबूर-रानीपेट क्लस्टर पर असर। वियतनाम-चीन को फायदा।
कालीन उद्योग:
1.2 अरब डॉलर का निर्यात, 60% हिस्सेदारी। टैरिफ 53% हो गया। उत्तर प्रदेश के भदोही-मिर्जापुर और जम्मू-कश्मीर का श्रीनगर संकट में। तुर्की-पाकिस्तान को लाभ।
हथकरघा उत्पाद:
1.6 अरब डॉलर का निर्यात, 40% हिस्सेदारी। राजस्थान के जोधपुर-जयपुर और उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद-सहारनपुर में फैक्टरियां प्रभावित। चीन-तुर्की आगे बढ़ेंगे। पंजाब से गुजरात और तमिलनाडु तक 20 हजार करोड़ का नुकसान हो सकता है। कानपुर का चमड़ा और भदोही का कालीन उद्योग हजारों करोड़ गंवा सकते हैं।