जाने-अनजाने उपराष्ट्रपति पद के चुनाव ने देश की सियासत को दक्षिण भारत की ओर मोड़ दिया है। दरअसल उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए एनडीए के महाराष्ट्र के राज्यपाल राधाकृष्णन के नाम की घोषणा के बाद इंडिया गठबंधन ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज सुदर्शन रेड्डी के नाम की घोषणा की है। राधाकृष्णन जहां तमिलनाडु के हैं, वहीं सुदर्शन रेड्डी आंध्र प्रदेश के। दोहराने की जरूरत नहीं कि इस चुनाव की नौबत विवादास्पद परिस्थितियों में जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफे देने से आई है। चूंकि मोदी सरकार और विपक्षी इंडिया गठबंधन के बीच इतनी दूरियां बढ़ चुकी हैं, जिससे आम सहमति से उपराष्ट्रपति के चुनाव की कोई गुंजाइश ही नहीं बची थी। वैसे मोदी सरकार ने विपक्ष को साथ लेने की कोई परवाह भी नहीं की, यह बात अहम विधेयकों से लेकर अहम संवैधानिक पदों पर नियुक्ति तक में देखी जा सकती है। हालांकि इसकी एक बड़ी वजह संख्याबल भी है, जो कि सरकार के साथ है। मौजूदा संसद को ही देखें तो एनडीए के पास लोकसभा में 293 सीटें हैं और राज्यसभा में 133, लिहाजा सी पी राधाकृष्णन के उपराष्ट्रपति चुने जाने में कोई अड़चन नहीं है। वास्तव में मोदी सरकार ने मूलतः तमिलनाडु से ताल्लुक रखने वाले राधाकृष्ण का नाम आगे कर तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक पर नैतिक दबाव बनाने की ही कोशिश की थी। ऐसा लगता है कि इसकी काट के तौर पर ही इंडिया गठबंधन ने आंध्र प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले जस्टिस सुदर्शन रेड्डी का नाम आगे किया ताकि वहां सत्तारूढ़ चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम के साथ ही अमूमन मोदी सरकार का साथ देने वाले जगनमोहन रेड्डी को सांसत में डाला जा सके। 2024 के लोकसभा चुनाव में 240 सीटों में सिमटने वाली भाजपा को जनता दल (यू) के साथ ही तेलुगू देशम पार्टी पर निर्भर रहना पड़ा है। वैसे आंध्र प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों में से सारी एनडीए के पास ही हैं। यही हाल वहां की राज्यसभा से 11 सीटों का है। दूसरी ओर सुदर्शन रेड्डी के एलान के लिए बुलाई गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ डीएमके नेता कणिमोझी की मौजूदगी यह बताने के लिए काफी है कि डीएमके अभी इंडिया गठबंधन के साथ ही है। भाजपा ने डीएमके पर भावनात्मक आधार पर दबाव बनाने की कोशिश की थी, लेकिन एम के स्टालिन ने भाषायी आधार पर जिस तरह केंद्र को चुनौती दी है, उसमें यह मुश्किल ही था कि वह भाजपा के उम्मीदवार का समर्थन करें। जाहिर है, उपराष्ट्रपति चुनाव को मोदी सरकार और इंडिया गठबंधन के बीच विभिन्न मुद्दों पर जारी टकराव के क्रम में ही देखे जाने की जरूरत है।
दक्षिण बनाम दक्षिण

Your Trusted Source for Accurate and Timely Updates!
Our commitment to accuracy, impartiality, and delivering breaking news as it happens has earned us the trust of a vast audience. Stay ahead with real-time updates on the latest events, trends.
Popular Posts
राजा रघुवंशी हत्या मामले में दो आरोपी कोर्ट में पलटे
शिलांग। मेघालय में पिछले महीने सोनम रघुवंशी ने अपने पति राजा रघुवंशी की हत्या में…
जिसके कारण साक्षी मलिक ने कुश्ती छोड़ी उसी को फिर कुश्ती संघ की कमान
खेल मंत्रालय ने लगभग 26 महीनों बाद भारतीय कुश्ती संघ से निलंबन हटाया, पूर्व बीजेपी…
सुप्रीम कोर्ट में हुई ईवीएम की रिकाउंटिंग, हारा सरपंच जीत गया चुनाव
नई दिल्ली। हरियाणा के पानीपत की बुआना लाखु गांव में सरपंच चुनाव का परिणाम सुप्रीम…
By
आवेश तिवारी