बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले के पलारी ब्लॉक स्थित लच्छनपुर मिडिल स्कूल में मध्यान्ह भोजन के दौरान बच्चों को कुत्ते का जूठा खाना परोसने का शर्मनाक मामला सामने आने के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बी.डी. गुरु की डिवीजन बेंच ने इस घटना को गंभीर लापरवाही और बच्चों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ बताते हुए प्रभावित बच्चों को मुआवजा देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने इसे प्रशासनिक विफलता, बच्चों के स्वास्थ्य और गरिमा पर हमला करार दिया। साथ ही शासन ने कोर्ट को सूचित किया कि स्कूल के प्रभारी हेडमास्टर नेतराम गिरि और शिक्षक वेदप्रकाश पटेल को सस्पेंड कर दिया गया है, जबकि भोजन तैयार करने वाले जय लक्ष्मी स्व-सहायता समूह को इस काम से हटा दिया गया है। CG HC ORDER
यह घटना 29 जुलाई 2025 को हुई, जब लच्छनपुर के सरकारी स्कूल में मध्यान्ह भोजन के लिए तैयार सब्जी को एक आवारा कुत्ते ने जूठा कर दिया था। कुछ बच्चों ने यह देखकर शिक्षकों को सूचित किया लेकिन उनकी शिकायत को नजरअंदाज करते हुए रसोइयों ने वही खाना 84 बच्चों को परोस दिया। जब बच्चों ने यह बात अपने अभिभावकों को बताई तो हंगामा मच गया। अभिभावकों और ग्रामीणों के दबाव में स्कूल प्रबंधन ने 78 बच्चों को एंटी-रेबीज वैक्सीन की दो खुराक दी। इस मामले ने मध्यान्ह भोजन योजना की गुणवत्ता और निगरानी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हाईकोर्ट ने इसे स्वत: संज्ञान में लेकर जनहित याचिका के तहत सुनवाई शुरू की और शिक्षा विभाग से पूछा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
हाईकोर्ट ने अपनी सुनवाई में कहा कि मध्यान्ह भोजन बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य के लिए है न कि महज औपचारिकता। कुत्ते का जूठा खाना परोसना बच्चों की जान को खतरे में डालने वाला अमानवीय कृत्य है क्योंकि रेबीज जैसी बीमारी का इलाज संभव नहीं है। कोर्ट ने शिक्षा सचिव को 19 अगस्त तक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था जिसमें दोषियों पर कार्रवाई और मुआवजे की जानकारी दी गई। स्थानीय विधायक संदीप साहू ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।