लेंस डेस्क। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अपनी एक निगरानी रिपोर्ट में पहली बार द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले का जिम्मेदार ठहराया है। TRF आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का सहयोगी है। यह पहली बार है जब पाकिस्तान से जुड़े लश्कर-ए-तैयबा (LET) के इस सहयोगी समूह टीआरएफ का नाम किसी आधिकारिक संयुक्त राष्ट्र दस्तावेज में आया है। पाकिस्तान के कड़े विरोध के बावजूद यह नाम शामिल किया गया। इसे भारत की कूटनीतिक जीत के रूप में देखा जा रह है।
निगरानी टीम की रिपोर्ट के मुताबिक पहलगाम में पांच आतंकियों ने हमला किया। उसी दिन टीआरएफ ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए हमले की जगह की तस्वीर भी जारी की थी। हमले के अगले दिन 23 अप्रैल को भी उसने यह दावा दोहराया, लेकिन 26 अप्रैल को उसने अपना बयान वापस ले लिया। इसके बाद भी कोई दूसरा समूह इस हमले की जिम्मेदारी लेने नहीं आया।
हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि कम से कम दो देशों ने संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध समिति को बताया कि यह हमला लश्कर-ए-तैयबा के समर्थन के बिना संभव नहीं था। एक देश ने तो साफ कहा कि टीआरएफ और एलईटी एक ही हैं। लेकिन एक तीसरे देश ने इससे असहमति जताई और कहा कि एलईटी अब सक्रिय नहीं है।
भारत इस रिपोर्ट को अपनी कूटनीतिक जीत मानता है। निगरानी टीम की रिपोर्ट को सुरक्षा परिषद के सभी सदस्यों की सहमति से अपनाया जाता है, जिसे प्रभावित करना मुश्किल होता है। टीआरएफ का नाम न केवल पहली बार संयुक्त राष्ट्र के दस्तावेज में आया है, बल्कि 2019 के बाद लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ी गतिविधियों का भी इसमें जिक्र हुआ है।
पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र के दस्तावेजों में टीआरएफ का नाम हटवाने की कोशिश की थी। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने अपनी संसद में दावा किया था कि उन्होंने टीआरएफ का नाम हटवाकर कूटनीतिक जीत हासिल की। लेकिन निगरानी टीम की रिपोर्ट ने उनके दावे को खारिज करते हुए टीआरएफ का नाम फिर से शामिल किया।
सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान की रणनीति, जिसमें वह टीआरएफ जैसे आधुनिक और धर्मनिरपेक्ष नामों का इस्तेमाल करके लश्कर-ए-तैयबा या जैश-ए-मोहम्मद जैसे समूहों से ध्यान हटाता है और जम्मू-कश्मीर में अपनी आतंकी गतिविधियों को स्थानीय दिखाने की कोशिश करता है, अब बेनकाब हो चुकी है।
टीआरएफ को आतंकी संगठन घोषित कर चुका है अमेरिका
इस महीने 17 जुलाई को अमेरिका टीआरएफ को विदेशी आतंकी संगठन (एफटीओ) घोषित कर चुका है और वैश्विक आतंकी (एसडीजीटी) सूची में शामिल किया है। अमेरिका ने इसके लश्कर-ए-तैयबा से संबंधों को आधार बनाया।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 28 जुलाई को लोकसभा में कहा, “जब 25 अप्रैल को सुरक्षा परिषद में इस पर चर्चा हो रही थी और टीआरएफ ने दो बार हमले की जिम्मेदारी ली थी, तब पाकिस्तान ने टीआरएफ का बचाव किया। पाकिस्तान ने टीआरएफ का नाम हटवाने की कोशिश की और उनके विदेश मंत्री ने संसद में इसे अपनी कूटनीतिक जीत बताया। लेकिन हमारी कूटनीति की वजह से टीआरएफ को अमेरिका ने वैश्विक आतंकी संगठन घोषित किया। अब वही विदेश मंत्री कह रहे हैं कि अगर अमेरिका ने ऐसा किया है, तो हम इसे स्वीकार करते हैं।”