रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा। राज्य के 2023 विधानसभा चुनाव में आचार संहिता के तहत ‘मौन अवधि’ (साइलेंस पीरियड) के उल्लंघन के आरोपों को लेकर उनके खिलाफ दायर की गई चुनाव याचिका रद्द कराने की मांग वाली अर्जी को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। Bhupesh Baghel Yachikaa
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ ने याचिका को “वापस लेने की अनुमति देते हुए खारिज” किया और उन्हें उच्च न्यायालय-कम-चुनाव न्यायाधिकरण में याचिका की वैधानिकता (मेनटेनेबिलिटी) पर प्रारंभिक आपत्ति उठाने की छूट दी।
पीठ ने कहा, “यदि ऐसा आवेदन दायर किया जाता है, तो हाईकोर्ट से अपेक्षा की जाती है कि वह विपक्षी पक्ष को सुनवाई का अवसर देकर, पहले प्रारंभिक आपत्ति पर निर्णय करे। उच्च न्यायालय के पूर्व आदेश की टिप्पणियां इस नए आवेदन पर असर नहीं डालेंगी।”
बघेल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा और अधिवक्ता सुमीर सोढ़ी ने पक्ष रखा। उन्होंने तर्क दिया कि साइलेंस पीरियड का उल्लंघन ‘भ्रष्ट आचरण’ (करप्ट प्रैक्टिस) की श्रेणी में नहीं आता, इसलिए याचिका प्रथम दृष्टया सुनवाई योग्य नहीं है।
गौरतलब है कि भूपेश बघेल (कांग्रेस) और उनके भतीजे विजय बघेल (भाजपा) के बीच 2023 के विधानसभा चुनाव में पाटन सीट से सीधा मुकाबला हुआ था, जिसमें भूपेश बघेल विजयी घोषित हुए थे।
बीजेपी प्रत्याशी विजय बघेल ने चुनाव के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर आरोप लगाया कि भूपेश बघेल ने मतदान समाप्ति से 48 घंटे पहले की मौन अवधि के दौरान रैली/रोड शो का आयोजन किया और उनके समर्थन में नारेबाजी करवाई। यह पूरा घटनाक्रम उनके चुनाव एजेंट ने मोबाइल से रिकॉर्ड किया था।