वन मंत्री बोले – कोयला आबंटन और पेड़ों की कटाई की अनुमति कांग्रेस सरकार ने ही दिलाई, सिफारिशी पत्र इसके गवाह
रायपुर। शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग में छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को प्रवर्तन निदेशालय (ED) के गिरफ्तार करने के बाद प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। इस पर कांग्रेस ने बड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर शनिवार को भाजपा की केंद्र और राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। वहीं, रविवार को भाजपा दफ्तर में भाजपा की तरफ से भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर भूपेश और कांग्रेस के आरोपों का पलटवार किया गया। कुछ तथ्यों और दस्तावेज के प्रेजेंटेशन के माध्यम से कांग्रेस को घेरने की कोशिश की।
देखें… भूपेश के आरोपों पर भाजपा की प्रेस कॉन्फ्रेंस
एकात्म परिसर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में वन मंत्री केदार कश्यप, प्रदेश महामंत्री और नान के अध्यक्ष संजय श्रीवास्तव, पूर्व विधायक एवं छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम अध्यक्ष सौरभ सिंह, मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार पंकज झा, प्रदेश मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी मौजूद थे। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में वन मंत्री ने कहा कि भूपेश बघेल अपने बेटे की गिरफ्तारी से बौखलाकर जनता को गुमराह कर रहे हैं। वे जो आरोप लगा रहा हैं, उसी कोयला आबंटन और पेड़ों की कटाई की अनुमति कांग्रेस सरकार ने ही दिलाई थी। भूपेश बघेल झूठ की फैक्ट्री हैं। कोयला आबंटन के लिए उन्होंने कई पत्र लिखे और कंपनी को परमिशन दिलवाई।
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मंत्री श्री कश्यप ने कहा कि यह तथ्य है कि न केवल भूपेश बघेल ने कोल ब्लॉक अशोक गहलोत को आवंटित किया था, बल्कि उससे पहले भी मनमोहन सिंह जी की सरकार में तमाम नियमों को धत्ता बताते हुए छत्तीसगढ़ के कोल ब्लॉक आवंटन की राह आसान की थी। उन्होंने कहा कि साल 2010 में केन्द्र में काँग्रेस की सरकार थी, तब कोयला मंत्रालय और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा हसदेव अरण्य को पूरी तरह से नो-गो जोन घोषित किया गया था। उसे कांग्रेस नीत सरकार के पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने ही सबसे पहले गो एरिया घोषित किया था।
मंत्री ने कहा कि 23 जून 2011 को केन्द्र में कांग्रेस की सरकार रहते ही तारा परसा ईस्ट और कांटे बेसन कोल ब्लॉक को खोलने का प्रस्ताव दिया गया। जब छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी, उस वक्त अडानी को दो बड़ी खदानों गारे पेलमा सेक्टर-2 और राजस्थान में केते एक्सटेंशन ब्लॉक का ऑपरेटर बनाया गया। इसी तरह भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री कार्यकाल में ही 16 अक्टूबर 2019 को राज्य सरकार ने पर्यावरण स्वीकृति के लिए सिफारिश भेजी।
मंत्री ने कहा कि 31 मार्च 2021 को ओपन कास्ट गारे पेलमा सेक्टर-2, मांड-रायगढ़ कोलफील्ड के लिए हुआ समझौता भी सबके सामने है। इसी क्रम में 19 अप्रैल 2022 को भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री रहते ही कांग्रेस सरकार ने वन स्वीकृति स्टेज-1 और 23 जनवरी 2023 को वन स्वीकृति स्टेज-2 के लिए सिफारिश भेजी थी।
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कश्यप ने कहा कि इसी तरह महाजेंको कोल फील्ड की स्वीकृति में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की संलिप्तता को लेकर तब अनेक अखबारों ने समाचार भी प्रकाशित किए थे। 25 मार्च 2022 को भूपेश सरकार ने राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार के रहते राजस्थान को कोल माइंस का आबंटन किया था। जब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार थी, तब राजस्थान के तत्कालीन मंत्री बी डी कल्ला ने भूपेश बघेल को पत्र लिखा और राजस्थान के तत्कालिक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक सप्ताह के भीतर कई पत्र कोल ब्लॉक आंबटन के लिए लिखे, जिसे छत्तीसगढ़ और देश की जनता ने देखा है।
भूपेश बघेल के झूठ का पर्दाफाश हो गया
केदार कश्यप ने कहा कि कोल ब्लॉक आवंटन को लेकर कांग्रेस पार्टी और भूपेश बघेल के झूठ का पर्दाफाश हो गया है। कांग्रेस चोरी और सीनाजोरी का उदाहरण बार-बार प्रस्तुत कर रही है। मंत्री कश्यप ने कहा कि शराब घोटाले, कोयला घोटाले, चावल घोटाले, गोठान घोटाले से लेकर पीएससी घोटाले तक में प्रदेश के संसाधनों को जम कर लूटा था। आज इन घोटालों के आरोपी एक एक कर नप रहे हैं। सभी जेल जा रहे हैं। अपराधियों के विरुद्ध हो रही कानून सम्मत कार्रवाई को कहीं और मोड़ रही है, जो दुर्भाग्यजनक और कांग्रेस में हिप्पोक्रेसी का सबसे बड़ा नमूना है।
मंत्री श्री कश्यप ने कहा कि जब भी आप सभी कॉल ब्लॉक आवंटन और पेड़ कटाई आदि पर सवाल उठाते थे, तो दस जनपथ के दबाव में सीधे तौर पर भूपेश बघेलजी बचाव में आ जाते थे। कहते थे कि कोल ब्लॉक आवंटन का विरोध करने वाले अपने-अपने घरों की बिजली बंद कर दें। सवाल यह है कि अब जब झूठे और बेबुनियाद आरोप लगा कर भूपेशजी अपनी कालिख धोने की कोशिश कर रहे हैं, तो क्या वह अपने घर और राजीव भवन की बिजली बंद करेंगे?
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