SSP से महीने भर पहले भी हुई थी शिकायत, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई, thelens.in से श्रम मंत्री देवांगन ने कहा – नियमानुसार होगी कार्रवाई
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगे खरोरा की मोजो मशरूम फॉर्म के बंधुआ मजदूरी कांड में अब तक FIR दर्ज नहीं की गई है। आखिर मशरूम फैक्ट्री के संचालक पर किसकी मेहरबानी है? गुरुवार को श्रम विभाग और महिला बाल विकास विभाग ने मशरूम फैक्ट्री में छापा मारकर 97 मजदूरों और 40 बच्चों का रेस्क्यू किया था। इस मामले की शिकायत करीब महीने भर पहले भी रायपुर एसएसपी से की गई थी, लेकिन इसके बाद भी कार्रवाई नहीं की गई। Bandhak Majdoor
गुरुवार को मजदूरों ने संचालक पर आरोप लगाया था कि उन्हें पैसे नहीं दिए जाते और उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है। मजदूरों ने मारपीट करने और 18– 18 घंटे तक काम कराने का आरोप भी लगाया है। मजदूरों के साथ जानवरों जैसा व्यवहार किया गया। इसके घाव मजदूरों के शरीर के अंगों में दिखाई पड़ते हैं।
फैक्ट्री मालिकों की तरफ से किए गए अमानवीय व्यवहार पर श्रम विभाग या महिला बाल विकास विभाग ने इस मामले में अब तक थाने में शिकायत दर्ज नहीं कराई है। जबकि, घटना को 30 घंटे से ज्यादा समय बीत चुका है। विभाग अपनी रिपोर्ट बनाने में व्यस्त है। अब तक श्रम विभाग ने कार्रवाई को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी भी साझा नहीं की है। विभाग ने गुरुवार को जानकारी दी थी कि जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और और मजदूरों को घर भेजा जाएगा।
thelens.in ने इस मामले में राज्य के श्रम मंत्री लखन लाल देवांगन से बातचीत की। उन्होंने कहा कि कल रात को ही इस बारे में जानकारी मिली थी। मैंने हर पल की रिपोर्ट ली है। विभाग की ओर से जैसे ही प्रतिवेदन आएगा, तो आगे की कार्रवाई की जाएगी। मजदूरों के बयान लिए गए हैं और उन्हें वापस उनके मूल निवास भेजा जा रहा है। आगे जो भी होगा, नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
क्या था महीने भर पहले SSP से हुई शिकायत में?
करीब महीने भर पहले फॉर्म में काम करने वाले जौनपुर के रवि नाम के व्यक्ति ने रायपुर एसएसपी से एक शिकायत की थी। इस शिकायत में बताया गया था कि वह करीब 1 माह से उस फैक्ट्री में काम कर रहा है। जौनपुर के रहने वाले विपिन तिवारी, विकास तिवारी और नितेश तिवारी खरोरा में मशरूम फॉर्म का संचालन करते हैं। गोलू, उसकी बहन समेत 8 लोगों को यह बोलकर लाया गया था कि कम मेहनत का काम करना है। सिर्फ खाना बनाना है, घरेलू काम करना है। जब ये मजदूर फार्म पहुंचे तो उनसे किसी भी समय मशरूम लगाने, काटने, सामान उठवाने, मशीन चलवाने जैसे कठिन काम करवाए गए।
शिकायत में आगे है कि रात को नहीं उठने पर मारपीट करते थे। सभी लोगों का मोबाइल, पहचान पत्र भी छीन लिया था। काम के बाद पैसे की मांग की जाती थी तो मारपीट करने लगते थे। 2 जुलाई को किसी तरह बचकर भागे और पुलिस के पास पहुंचे। रवि ने बताया, उसकी बहन लक्ष्मीना, रिनका, सीमा, बबलू, सुनील और दो अबोध बच्चों समेत अन्य कई लोगों को वहां बंधक बनाकर रखा गया है।
कलेक्टर ने कहा – विभाग से जानकारी लीजिए, SSP बोले – शिकायत ही नहीं
thelens.in ने इस मामले में रायपुर कलेक्टर गौरव कुमार सिंह से बातचीत की। उन्होंने कहा कि कल कल मजदूरों का रेस्क्यू किया गया था। इंडोर स्टेडियम में सबको रखा गया था। उसमें कुछ छुपाया नहीं जा रहा है। नियम अनुसार कार्रवाई की जा रही है। सब एक दिन में नहीं हो सकता है। जो भी वैधानिक करवाई होगी वो की जाएगी। सभी बात बताने के लिए मैं नहीं हूं, विभाग से जानकारी ले लीजिए।
बंधुआ मजदूरी मामले को लेकर रायपुर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. लाल उमेद सिंह ने कहा कि श्रम विभाग और महिला बाल विकास विभाग ने कल 97 मजदूरों का रेस्क्यू किया है। सब को रायपुर के इंडोर स्टेडियम में रखा गया था। अभी तक कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। जैसे ही शिकायत प्राप्त होगी, तब आगे की कार्रवाई की जाएगी।
विभागों ने क्या रिपोर्ट बनाई है?
सूत्रों के अनुसार श्रम विभाग और महिला बाल विकास विभाग ने मजदूरों का बयान लिया है और रिपोर्ट तैयार की जा रही है। लेकिन, मजदूरों को मीडिया में दिए गए बयान और अधिकारियों को दिए गए बयान में जमीन– आसमान का अंतर है। अधिकारियों को दिए गए बयान में यह दर्ज किया गया है कि मजदूरों को पैसे नहीं मिल रहे थे और वे अपने घर जाना चाहते थे। जबकि मीडिया को दिए गए बयान में मजदूर यह कह रहें हैं कि उन्हें पैसे नहीं दिए जाते थे और मारपीट की जाती थी। उन्हें बंद कमरों में रखकर प्रताड़ित किया जाता था। अधिकारियों को दिए गए बयान की जो रिपोर्ट तैयार हुई है, उसमें मजदूरों को प्रताड़ित करने वाली बात गायब है।
इस मामले thelens.in ने हाइकोर्ट के अधिवक्ता डीके ग्वालरे से बातचीत की। वे कहतें हैं कि यह नियमों का उल्लंघन है। यह मामला बंधुआ मजदूर प्रतिषेध अधिनियम का है। इस नियम का अगर उल्लंघन होता है तो FIR कराई जानी चाहिए। हालांकि, FIR कराने की कोई समय सीमा तय नहीं है। लेकिन, मामला बड़ा है तो FIR करानी चाहिए।
मालिक पर किसकी मेहरबानी?
घटना को हुए करीब डेढ़ दिन से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी FIR दर्ज नहीं की गई है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर किसके संरक्षण की वजह से FIR दर्ज नहीं कराई गई है। सूत्रों के अनुसार सत्ताधारी पक्ष के किसी बड़े नेता और प्रशासन के बड़े अधिकारियों का संरक्षण मशरूम फॉर्म के संचालक को प्राप्त है।
आखिर मालिक के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है, विभाग किस बात का इंतजार कर रहा है? जबकि पूरी घटना के गवाह खुद कई अधिकारी और कर्मचारी हैं।
देखना है कि क्या प्रशासन इस मामले में संवेदनशील है? आने वाले दिनों में FIR होती है या नहीं होती है या इस मामले को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।
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