नई दिल्ली/पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में महिला आरक्षण को लेकर बड़ा फैसला लिया। इस बैठक में तय किया गया कि अब से सरकारी नौकरी में केवल बिहार की महिलाओं को ही 35 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। यानी अब 35 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त करने के लिए महिला अभ्यर्थी का बिहार का मूल निवासी होना अनिवार्य है। दूसरे प्रदेशों की महिला अभ्यर्थियों के लिए यह बड़ा झटका है।
बिहार की राजनीति को नजदीक से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार आशीष झा इस फैसले पर कहते हैं कि दरअसल यह फैसला जनता के दबाव में लिया गया है। बिहार में बीपीएससी के परिणामों में अप्रत्याशित रूप से बाहरी राज्यों की कई महिला अभ्यर्थी चुनी जा रही थीं, जिनमें यूपी की महिलाओं की संख्या सर्वाधिक थी। अन्य परीक्षाओं के परिणामों में भी यही स्थिति थी, जिसको लेकर बिहार में काफी हो-हल्ला था। आशीष कहते हैं कि इससे नीतीश कुमार को कोई चुनावी लाभ होगा, इसकी संभावना कम है।
दूसरी ओर, बिहार के दिव्यांगों के लिए भी बड़ा फैसला लिया गया है। बिहार लोक सेवा आयोग और संघ लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा पास करने पर मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार की तैयारी के लिए राज्य सरकार 50 हजार रुपये (बीपीएससी वालों को) एवं एक लाख रुपये (यूपीएससी वालों को) की प्रोत्साहन राशि देगी।
इसके अलावा सीएम नीतीश कुमार ने युवाओं के लिए भी बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि बिहार के युवाओं को रोजगार, प्रशिक्षण और सशक्तिकरण के लिए बिहार युवा आयोग का गठन किया जाएगा। इसकी मंजूरी आज कैबिनेट से मिल गई है।