तमनार से अंक पांडेय की रिपोर्ट
रायगढ़ के तमनार के मुड़ागांव में अब तक 75 एकड़ क्षेत्र में जंगल काटा जा चुका है और घना जंगल समतल मैदान जैसा दिखने लगा है। वहां के ग्रामीण अभी भी आंदोलनरत हैं और जल, जंगल, जमीन बचाने के लिए नए मोर्चे के साथ नई रणनीति बनाने में जुटे हैं। जंगल तो कट चुके हैं, लेकिन अब ग्रामीण यहां कोल परियोजना के खिलाफ फिर से एकजुट होते दिखाई दे रहे हैं। दरअसल अब 56 गांवों को अन्य कोल परियोजनाओं के लिए खाली करने से लेकर जंगल कटाई का काम शुरू होने वाला है।
तमनार क्षेत्र में 9 कोल परियोजनाएं हैं, जिनमें से ज्यादातर शुरू हो चुकी हैं। पिछले वर्षों में यहां के तीन कोल ब्लॉक जिंदल स्टील एंड पावर से लेकर SECL को कस्टोडियन बनाया गया था, जिन्हें अब फिर से जिंदल स्टील एंड पावर को सौंप दिया गया है। तमनार ब्लॉक के कुल 83 गांव कोल ब्लॉक की जद में हैं, जिनमें से कई खदानों में तब्दील हो चुके हैं। हाल ही में जिंदल स्टील एंड पावर ने नागरामुड़ा और जांजगीर पंचायत में वन कटाई का प्रयास किया, जिसे ग्रामीणों के विरोध के आगे वापस लेना पड़ा, क्योंकि मुड़ागांव के जंगल कटाई का विरोध चल रहा है और यहां के लोग वहां पहुंचकर जिंदल स्टील के लोगों के सामने खड़े हो गए।

इस बीच, गुरुवार को छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 20 से ज्यादा कांग्रेस विधायकों के साथ मुड़ागांव पहुंचे। वहां उन्होंने महाजेनको के MDO अडानी इंटरप्राइजेज पर गांव और जंगल को बर्बाद करने का आरोप लगाया और साथ ही सरकार पर अडानी के पक्ष में काम करने का आरोप भी लगाया। अडानी इंटरप्राइजेज महाजेनको का MDO है। भूपेश बघेल के साथ स्थानीय लैलूंगा विधायक विद्यावती सिदार, खरसिया विधायक उमेश पटेल, धर्मजयगढ़ विधायक लालजीत राठिया, सारंगढ़ विधायक उत्तरी गणपत जांगड़े सहित कई अन्य विधायक व नेता मौजूद थे। इससे पहले, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने भी मुड़ागांव पहुंचकर जंगल कटाई का विरोध किया था।

तमनार ब्लॉक के कोल ब्लॉक और प्रभावित गांव
- गारे पेलमा सेक्टर 1, गुजरात स्टेट इलेक्ट्रिसिटी कॉरपोरेशन लिमिटेड, 26 गांव, 6318.383 हेक्टेयर जमीन
- गारे पेलमा सेक्टर 2, महाराष्ट्र स्टेट पावर जनरेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड, 14 गांव, 2332.410 हेक्टेयर जमीन
- गारे पेलमा सेक्टर 3, छत्तीसगढ़ पावर जनरेशन कॉरपोरेशन, 8 गांव, 671.312 हेक्टेयर जमीन
- गारे पेलमा सेक्टर 4/1, जिंदल स्टील एंड पावर, 5 गांव, 705.446 हेक्टेयर जमीन
- गारे पेलमा सेक्टर 4/1-2, जिंदल स्टील एंड पावर, 8 गांव, 964.650 हेक्टेयर जमीन
- गारे पेलमा सेक्टर 4/4-5, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज लिमिटेड, 9 गांव, 1022.702 हेक्टेयर जमीन
- गारे पेलमा सेक्टर 4/6, जिंदल स्टील एंड पावर, 6 गांव, 381.42 हेक्टेयर जमीन
- गारे पेलमा सेक्टर 4/7, मोनेट इस्पात एंड एनर्जी, 6 गांव, 345 हेक्टेयर जमीन
- गारे पेलमा सेक्टर 4/8, अंबुजा सीमेंट, 5 गांव, 699.797 हेक्टेयर जमीन
पूरे ब्लॉक के लोग एक मंच पर

अब तक जिस गांव में जंगल कटाई होती थी या कोल ब्लॉक के लिए गांव हटाना पड़ता था, वहां केवल उसी गांव के लोग आंदोलन करते थे, जिसके चलते धीरे-धीरे जंगल और गांव उजड़ गए। लेकिन अब, चूंकि पूरा विकासखंड ही उजड़ने की कगार पर है, इसलिए स्थानीय लोगों ने जल, जंगल, जमीन बचाओ मोर्चे के बैनर तले एकजुट होना शुरू कर दिया है। स्थानीय निवासी राजेश मरकाम ने बताया कि हम सभी इस परियोजना के विरोध में हैं और ग्रामीण इसे रोकने के लिए प्रतिबद्ध हैं। जितने जंगल कट गए, वे कट गए, लेकिन अब बस करो। हमने कलेक्टर से लेकर सभी अधिकारियों को पत्र देकर इसकी जानकारी दी है।
सामाजिक कार्यकर्ता राजेश त्रिपाठी का कहना है कि उद्योगों के साथ-साथ सरकार और प्रशासन भी मनमानी पर उतर आए हैं। इन्हें न तो स्थानीय लोगों की परेशानी की चिंता है और न ही उनके परिवेश के खत्म होने की। उन्हें तो बस उद्योगपतियों के लिए काम करना है।
PESA एक्ट के बावजूद इन गांवों में खदान लगाने के लिए ग्राम सभा की अनुमति नहीं ली गई है। हालांकि, महाजेनको कंपनी का दावा है कि उसने सभी ग्राम पंचायतों की ग्राम सभाओं से अनुमोदन कराया है, लेकिन इस मुद्दे पर काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि ग्राम पंचायतों से फर्जी NOC ली गई है, जबकि बताई गई तारीखों में वहां ग्राम सभाएं नहीं हुईं। यह जानकारी ग्राम पंचायतों द्वारा सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के जवाब में भी दी गई है।
इस संबंध में जब वन विभाग और राजस्व विभाग से उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई, तो उनका पक्ष हमें नहीं मिल सका। उन्होंने अपना पक्ष रखने में कोई रुचि नहीं दिखाई। उनका पक्ष मिलने पर हम पाठकों को उससे भी अवगत कराएंगे।