ओडिशा। ओडिशा के गंजाम जिले में दो दलित व्यक्तियों को घुटनों पर चलने, घास खाने और गंदा पानी पीने के लिए मजबूर किया गया। युवकों पर मवेसी तस्करी का आरोप लगाकर उनके साथ जमकर मारपीट की गई। इस मामले में पुलिस ने 9 लोगों को हिरासत में लिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर इस घटना की निंदा की है। उन्होंने लिखा कि ओडिशा में दो दलित युवकों को घुटनों पर चलने, घास खाने और गंदा पानी पीने पर मजबूर करना सिर्फ अमानवीय नहीं, बल्कि मनुवादी सोच की बर्बरता है। Odisa Dalit Men Brutality
दरअसल, गंजाम जिले के धाराकोट के पास दो दलित व्यक्ति रविवार को अपनी बेटी की शादी के लिए तीन गायें खरीदकर हरिपुर से सिंगीपुर लौट रहे थे। उसी वक्त खारीगुम्मा के पास कुछ लोगों ने उन्हें रोककर मवेशियों की तस्करी का आरोप लगाया, और पैसे मांग करने लगे। दोनो ने पैसा देने से जब मना कर दिया तो, दोनों व्यक्तियों के साथ मारपीट की गई और उनके सिर का मुंडन कर दिया गया। दोनों को खारीगुम्मा से जाहाडा तक करीब दो किलोमीटर तक घुटनों के बल चलने के लिए मजबूर किया गया। पीड़ितों को घास खाने और नाले का पानी पीने के लिए भी मजबूर किया गया।
जैसे- तैसे दोनों व्यक्ति बदमोशों के चंगुल से बच निकले और धराकोट पुलिस स्टेशन में इसकी शिकायत दर्ज कराई। दोनों के सिर और पीठ पर चोटें आई। धराकोट पुलिस ने इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया और मामले की जांच शुरू कर दी।
राहुल गांधी ने इस घटना को लेकर ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा कि ओडिशा में दो दलित युवकों को घुटनों पर चलने, घास खाने और गंदा पानी पीने पर मजबूर करना सिर्फ़ अमानवीय नहीं, बल्कि मनुवादी सोच की बर्बरता है। ये घटना उन लोगों के लिए आईना है जो कहते हैं कि जाति अब मुद्दा नहीं रही। दलितों की गरिमा को रौंदने वाली हर घटना, बाबा साहेब के संविधान पर हमला है – बराबरी, न्याय और मानवता के ख़िलाफ़ साज़िश है। भाजपा शासित राज्यों में ऐसी घटनाएं आम होती जा रही हैं क्योंकि उनकी राजनीति ही नफ़रत और ऊँच-नीच पर टिकी है। विशेषकर ओडिशा में SC, ST और महिलाओं के ख़िलाफ़ अत्याचार चिंताजनक रूप से बढ़े हैं। दोषियों को तुरंत गिरफ़्तार कर कड़ी सज़ा दी जानी चाहिए। देश संविधान से चलेगा, मनुस्मृति से नहीं।
भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर ने भी एक्स पोस्ट कर लिखा कि ओडिशा के गंजाम जिले में दो दलित व्यक्तियों को बुरी तरह पीटा गया, आधा सिर मुंडवाया गया, करीब दो किलोमीटर घुटनों के बल रेंगने और मवेशियों का चारा खाने व नाली का पानी पीने के लिए मजबूर किया गया — यह घटना मानवता को शर्मसार कर देने वाली है। दोनों दलित अपनी बेटी की शादी के लिए मेहनत की कमाई से तीन गायें खरीदकर घर लौट रहे थे। रास्ते में उन्हें रोककर ‘गौ-तस्करी’ का झूठा आरोप लगाया गया और 30,000 रुपये की मांग की गई। जब उन्होंने पैसे देने से इनकार किया, तो उनके साथ जानवरों से भी बदतर सलूक किया गया। यह कोई ‘गौ-रक्षा’ नहीं, यह जातंकवाद है। गौ-रक्षा अब भीड़तंत्र का हथियार बन चुकी है।मोहम्मद अख़लाक से लेकर पहलू ख़ान और जुनैद तक — और अब दलितों तक — यह हिंसा सुनियोजित है। अगर गौ-रक्षा की आड़ में बहुजन समाज को डराने, मारने और अपमानित करने का यह सिलसिला नहीं रुका, तो इसके परिणाम बेहद गंभीर होंगे। हम माँग करते हैं: 1. दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी की जाए और उनके खिलाफ SC/ST अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया जाए। 2. पीड़ितों को सरकारी सुरक्षा और उचित मुआवज़ा दिया जाए। 3. ओडिशा सरकार और NHRC इस अमानवीयता पर तुरंत संज्ञान लें।