द लेंस डेस्क। इजरायल-ईरान के बीच चल रहे तनाव का असर सोमवार को भारतीय शेयर बाजार पर साफ दिखाई दिया। होर्मुज जलडमरूमध्य मार्ग बंद होने की आशंका के बीच कच्चे तेल के दाम में भी उछाल आ गया है। आज बीएसई सेंसेक्स 511.38 अंक लुढ़ककर 81,896.79 पर बंद हुआ, जबकि एनएसई निफ्टी 140.5 अंक टूटकर 24,971.90 पर आ गया।
पिछले सप्ताह ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हवाई हमलों से कच्चे तेल की कीमतें बढ़ीं, जिसने बाजार की उम्मीदों को झटका दिया। शुक्रवार को सेंसेक्स 1,046.30 अंक चढ़कर 82,408.17 और निफ्टी 319.15 अंक उछलकर 25,112.40 पर बंद हुआ था।
आज निफ्टी पर ट्रेंट, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, हिंडाल्को, अदानी एंटरप्राइजेज और अदानी पोर्ट्स में बढ़त रही, जबकि इंफोसिस, एलएंडटी, हीरो मोटोकॉर्प, एमएंडएम और एचसीएल टेक में गिरावट दर्ज हुई। सेक्टोरल प्रदर्शन में आईटी, एफएमसीजी, ऑटो और बैंकिंग में 0.5-1.5% की गिरावट आई, वहीं मीडिया, मेटल और कैपिटल गुड्स में 0.5-4% की बढ़त हुई। बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांक क्रमशः 0.2% और 0.6% चढ़े।
बीएसई पर करीब 100 शेयरों, जैसे गार्डन रीच शिपबिल्डर्स, पूनावाला फिनकॉर्प, नारायण हृदयालय आदि ने 52-सप्ताह का उच्चतम स्तर छुआ। भारतीय रुपया 16 पैसे कमजोर होकर 86.75 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
एशियाई बाजारों में कोस्पी और निक्केई 225 में गिरावट, जबकि शंघाई कंपोजिट और हैंग सेंग में बढ़त रही। अमेरिकी बाजार शुक्रवार को गिरावट के साथ बंद हुए। कच्चे तेल की कीमतें 10% बढ़कर 77 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पहुंच गई हैं।
कच्चा तेल बिगाड़ सकता है खेल
इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव ने वैश्विक बाजारों को हिलाकर रख दिया है, जिससे यह उम्मीद टूट गई है कि यह संघर्ष जल्द खत्म होगा। शनिवार को अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर अचानक हमला किया, जिसने मध्य पूर्व की स्थिति को और जटिल कर दिया।
मीडिया खबरों के अनुसार, ईरान की शीर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की संभावनाओं पर विचार कर रही है। यह जलमार्ग वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति के लिए बेहद अहम है। ब्लूमबर्ग के अनुसार, दुनिया का लगभग 20% तेल इस मार्ग से होकर गुजरता है। अगर यह जलमार्ग बंद होता है, तो कच्चे तेल की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित होगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कच्चा तेल 80 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर लंबे समय तक बना रहता है, तो यह भारत के वित्तीय लक्ष्यों के लिए हानिकारक होगा और व्यापार घाटा बढ़ा सकता है। ऊंची तेल कीमतें मुद्रास्फीति को बढ़ा सकती हैं, भारतीय रुपये को कमजोर कर सकती हैं, कंपनियों की उत्पादन लागत बढ़ा सकती हैं और उनके लाभ पर दबाव डाल सकती हैं।
ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमले के बाद वैश्विक तेल आपूर्ति में व्यवधान की चिंता बढ़ गई है। सोमवार सुबह ब्रेंट क्रूड तेल की कीमतों में 2% से अधिक की उछाल आई और यह 79 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गया।