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लेंस संपादकीय

मनरेगा पर हाई कोर्ट का अहम फैसला

Editorial Board
Editorial Board
Published: June 20, 2025 6:48 PM
Last updated: June 20, 2025 6:48 PM
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MNREGA in West Bengal
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कोलकाता हाई कोर्ट का यह फैसला ग्रामीण रोजगार ही नहीं, बल्कि केंद्र और राज्यों के संबंधों के लिहाज से भी अहम है, जिसमें उसने केंद्र सरकार को पश्चिम बंगाल में तीन साल से लंबित मनरेगा कार्यक्रम को एक अगस्त से फिर से शुरू करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि केंद्र को बंगाल के कुछ जिलों से आई अनियमितता की शिकायतों की जांच जारी रखने का अधिकार है, लेकिन इसके साथ ही उसने कहा है कि केंद्र की किसी भी योजना को लंबे समय तक ठंडे बस्ते में नहीं डाला जा सकता। ग्रामीण क्षेत्रों में सौ दिन रोजगार की संवैधानिक गारंटी वाले मनरेगा के अमल में बेशक कुछ अनियमितता हो सकती है, लेकिन कोरोना काल के समय देखा गया कि कैसे इसने घर लौटे करोड़ों प्रवासी श्रमिकों को राहत दी थी। भारत में जिस तरह की खेती है, उसमें कई महीने खासतौर से खेतिहर मजदूरों के पास काम नहीं होता और ऐसे में मनरेगा ही उनका सहारा बनता है। बंगाल में फंड रोके जाने पर विचार करते हुए ग्रामीण विकास पर संसद की स्थायी समिति ने इसी साल मार्च में लोकसभा को बताया था कि फंड रोके जाने के गंभीर परिणाम हुए हैं, जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों में हताशा बढ़ी है और आधारभूत ढांचे से परियोजनाएं प्रभावित हुए हैं। वास्तव में मोदी सरकार का रवैया मनरेगा को लेकर बहुत सकारात्मक नहीं रहा है, खुद प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में इसका मखौल उड़ाते हुए इसे “यूपीए सरकार की नाकामियों का स्मारक” तक कह दिया था! कोलकाता हाई कोर्ट के फैसले के मद्देनजर मनरेगा को लेकर केंद्र के रवैये को बंगाल के कामकाज में बाधा की तरह क्यों नहीं देखा जाना चाहिए?

TAGGED:EditorialMNREGA in West Bengal
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