रायपुर। झारखंड शराब घोटाला मामले में ACB ने बड़ी कार्रवाई की है। छत्तीसगढ़ के कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया को गुरुवार सुबह ACB ने गिरफ्तार कर लिया है। सिद्धार्थ सिंघानिया को पहले रायपुर में एसीबी की स्पेशल कोर्ट में पेश किया जाएगा। एसीबी कोर्ट से सिंघानिया की ट्रांजिट रिमांड की मांग करेगी। इसके बाद उन्हें ट्रांजिट रिमांड पर रांची ले जाया जाएगा। रांची में ACB की विशेष अदालत में उनकी पेशी होगी। Liquor Scam
ACB को हाल ही में सिद्दार्थ सिंघानिया के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट मिला था। सिंघानिया पर आरोप है कि बार– बार समन भेजने के बावजूद वो एसीबी दफ्तर में पेश नहीं हुए। इसके बाद एसीबी ने कोर्ट से गिरफ्तार वारंट को मांग की थी। कोर्ट ने सिंघानिया के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।

रांची में एसीबी कोर्ट में पेश करने के बाद एसीबी पुलिस रिमांड की मांग कर सकती है। सिद्धार्थ सिंघानिया से एसीबी की टीम पूछताछ करेगी।
उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के पूर्व प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे के कार्यकाल में मई 2022 में लागू उत्पादन नीति में सिद्धार्थ सिंघानिया की सक्रियता थी। छत्तीसगढ़ मॉडल पर आधारित इस नीति में सिद्धार्थ सिंघानिया महत्वपूर्ण भूमिका में था। उस समय उसने ही झारखंड की खुदरा शराब दुकानों में मैनपॉवर आपूर्ति का ठेका लिया था। बाद में विवादों में आने के बाद राज्य सरकार ने उसकी प्लेसमेंट एजेंसियों को ब्लैक लिस्ट करते हुए बाहर कर दिया था।
सिंघानिया सिंडिकेट में ‘बिचौलिए’ की भूमिका में सिद्धार्थ
झारखंड और छत्तीसगढ़ में हुए बहुचर्चित शराब घोटाले में कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया को इस पूरे सिंडिकेट का ‘बिचौलिया’ बताया गया है। ईडी को मिली सिंघानिया की डायरी से सिंडिकेट के नेटवर्क, लेन-देन और साजिश की परतें खुली हैं। जानकारी के अनुसार, सिंघानिया ने छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट के साथ मिलकर झारखंड तक नेटवर्क फैलाया और दोनों राज्यों की शराब नीति में कथित रूप से फेरबदल कर अपने हित साधे। जांच एजेंसियों का दावा है कि नीति में बदलाव कर शराब आपूर्ति, मैनपावर और होलोग्राम निर्माण से जुड़े ठेके अपने करीबी लोगों को दिलवाए गए।इस मामले में छत्तीसगढ़ में 7 सितंबर 2024 को एसीबी ने एफआईआर दर्ज की थी। इसमें तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय चौबे, संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह, वरिष्ठ आईएएस अनिल टुटेजा सहित कई अफसरों और कारोबारियों को आरोपी बनाया गया है। वहीं, झारखंड में भी कई सप्लायर और कंपनियों पर गाज गिरी है।
प्लेसमेंट एजेंसियों के चयन में कैसे की गड़बड़ी
मैनपावर सप्लाई करने वाली प्लेसमेंट एजेंसी के लिए 310 दुकानों के लिए ईएमडी राशि 49.67 लाख और बैंक गारंटी के रूप में 11.28 करोड़ निविदा शर्त के तौर पर रखे गए। निविदा में भाग लेने वाली कंपनियों के लिए शासकीय कार्य में दो साल में चार करोड़ रुपये के काम का अनुभव होना तय किया गया। इस तरह छत्तीसगढ़ में शराब कारोबार में शामिल कंपनियों सुमित फैसिलिटीज, इगल हंटर सॉल्यूसंश और एटूजेड इंफ्रा को झारखंड में काम दिया गया। इसके बाद इन सभी कंपनियों के मालिकों ने सिद्धार्थ सिंघानिया को मैनपावर सप्लाई का काम दिया। सिंघानिया ने नए मैनपावर रखने के बजाय पुराने ठेकेदारों के अधीन शराब दुकानों में काम कर रहे लोगों को ही काम पर रखा।