अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट एक्स पर दो शब्द की अपनी पोस्ट के जरिये उस महीन परदे को हटा दिया है, जिस पर वैसे भी किसी को यकीन नहीं था। ट्रंप ने ईरान का नाम लिए बगैर पोस्ट किया, अनकंडीशनल सरेंडर! यानी बिना शर्त समर्पण, और यह बताने की जरूरत नहीं है कि उनके निशाने पर ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता आयातुल्ला खामेनेई हैं। दरअसल इजराइल ने पिछले हफ्ते जब ईरान पर हवाई हमले शुरू किए थे, तभी साफ हो गया था कि इसमें अमेरिका ही नहीं, बल्कि ताकतवर पश्चिमी देशों की भी सहमति है। कनाडा में हाल ही में संपन्न जी-7 देशों की लस्त-पस्त सी बैठक से यह और पुष्ट हो गया, जहां साझा बयान में बेशर्मी की हद तक जाकर इजराइल का समर्थन किया गया है। हैरत इस बात की है कि अब तक सुलह के रास्ते को लेकर कोई पहल होती नहीं दिख रही है। इसके उलट जबरिया युद्ध थोपने वाले इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतनायूह ने एक तरह से खामेनेई की हत्या का फरमान ही जारी कर दिया है। दूसरी ओर खामेनेई ने भी ऐलान किया है कि युद्ध तो अब शुरू हुआ है। इजराइल-ईरान टकराव को अब हफ्ते भर हो रहे हैं, और निकट भविष्य में उनके बीच बातचीत की कोई सूरत नजर नहीं आ रही है। यह युद्ध ईरान के संदिग्ध परमाणु कार्यक्रम को खत्म करने के लिए शुरू किया गया था, लेकिन ताजा घटनाक्रम बता रहे हैं कि अब यह नेताओं के अहम के टकराव में बदल चुका है। अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को यह सोचने की जरूरत है कि 2015 के समझौते पर फिर से विचार करने का यही ठीक वक्त है, इसमें देरी एक बड़े वैश्विक संकट में बदल सकती है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस पूरे घटनाक्रम में भारत इसराइल के साथ नजर आ रहा है और उसने ऐतिहासिक संबंधों को दरकिनार कर उस ईरान का साथ लगभग छोड़ ही दिया है, जिसने भारतीय मुद्रा में तेल देना स्वीकार किया था।