रायपुर। अवैध तरीके से रहे रहे बांग्लादेशियों (Illegal Bangladeshi Refugees) पर कार्रवाई को लेकर बड़ा फैसला किया गया है। उच्च स्तर से एक SOP (स्टेंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर) जारी की गई है। इस SOP के तहत बांग्लादेशियों पर कार्रवाई के संबंध में कोई भी जानकारी शेयर की जाती है तो संबंधित अधिकारी पर कार्रवाई की जाएगी। इतना ही नहीं इस संबंध में उच्च स्तर से अनुमति लिए बगैर पुलिस कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस भी नहीं कर सकेगी। इसके अलावा अगर किसी बांग्लादेशी के पास दस्तावेज नहीं है तो उसे गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। भारतीय नागरिक होने के फर्जी दस्तावेज बनाने वाले बांग्लादेशियों को ही गिरफ्तार कर जेल भेजने की कार्रवाई की जाएगी।
अवैध तरीके से छत्तीसगढ़ सहित देशभर में रह रहे बांग्लादेशियों पर एक्शन लेने के लिए हर जिले में एक स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) बनाई गई है। एडिशनल एसपी स्तर के अफसर को इस टास्क फोर्स का जिम्मा दिया गया है, लेकिन मीडिया या किसी भी प्लेटफॉर्म पर कार्रवाई करने के संबंध में कोई भी जानकारी शेयर करने से उन्हें मना कर दिया गया है।
एसओपी को लेकर तीन पेज की गाइडलाइन सभी प्रशासनिक अफसरों को जारी की गई है। कार्रवाई को लेकर सभी अफसरों को इसी प्रक्रिया का पालन करना होगा।
दरअसल, बांग्लादेशियों पर लगातार कार्रवाई को लेकर सरकार पर विपक्षी पार्टियों की तरफ से कई तरह के आरोप लगाए जा रहें हैं। इसके बाद ही उच्च स्तर से अफसरों के लिए एसओपी जारी की गई है।
जानकारी के अनुसार इसी एसओपी के बाद एक दिन पहले रायपुर में करीब 10 बांग्लादेशियों को पकड़ने के बाद पुलिस की तरफ से कोई जानकारी साझा नहीं की गई। इससे पहले पुलिस ने बांग्लोदशी दंपत्ति को पकड़ने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। लेकिन, अब पुलिस ने ऐसी कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की। पुलिस सूत्रों के अनुसार जब तक बांग्लादेशियों की तरफ से किसी तरह की क्रिमिनल एक्टिविटी का पता नहीं चलता, तब तक ऐसी कोई भी जानकारी साझा नहीं की जाएगी।
डिटेंशन सेंटर वाले बांग्लादेशियों को भेजा जाएगा वापस
हाल ही में एक बांग्लादेशी दंपत्ति को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा। इसके बाद जांच में करीब 10 बांग्लादेशी मिले हैं। प्रशासन की जांच में पता चला है कि ऐसे बांग्लादेशियों की संख्या और बढ़ सकती है। ऐसे में अब बांग्लादेशियों को जेल नहीं भेजा जाएगा। प्रशासन ने उच्च स्तर से मिले निर्देश के बाद यह फैसला किया है। फिलहाल इन बांग्लादेशियों को पुलिस ने अपनी कस्टडी में रखा है। डिटेंशन सेंटर खुलने के बाद इन्हें वहीं भेजा जाएगा। केवल वे ही बांग्लादेशी जेल भेजे जाएंगे, जिन्होंने भारत की नागरिकता वाले फर्जी दस्तावेज बनाए हैं। अगर किसी बांग्लादेशी के पास फर्जी दस्तावेज नहीं हैं तो उन्हें जेल भेजने की बजाए डिटेंशन सेंटर में रखा जाएगा। इसके बाद उन्हें बांग्लादेश वापस भेजा जाएगा।
जानकारी के अनुसार रायपुर में जल्द डिटेंशन सेंटर खोला जाएगा। रायपुर कलेक्टर ने इस बात की पुष्टि की है। thelens.in से रायपुर कलेक्टर डॉ. गौरव सिंह ने कहा, ‘डिटेंशन सेंटर के लिए जगह देखा जा रहा है। डिटेंशन सेंटर जल्द ही खोल दिया जाएगा, जिसमें बांग्लादेश के लोगों को तब तक रखा जाएगा, जब तक उन्हें डिपोर्ट नहीं किया जाए।‘
3 बांग्लादेशी भाईयों को पुलिस ने 4 महीने पहले इराक भागते पकड़ा
रायपुर में ही बांग्लादेशी दंपत्ति पर कार्रवाई से पहले छत्तीसगढ़ एटीएस ने करीब 3 लोगों को मुंबई एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया था। ये सभी बांग्लादेशी थे, जो रायपुर में गलत तरीके से रह रहे थे। तीन बांग्लादेशी भाइयों को मुंबई एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया था। तीनों भाई रायपुर में अवैध रूप से रह रहे थे। इनके पास से फर्जी पासपोर्ट और दस्तावेज मिले थे। यहां से तीनों इराक के बगदाद भाग रहे थे, लेकिन पकड़े गए। रायपुर से ही सभी फर्जी दस्तावेज बनवाए थे। आरोपियों में मोहम्मद इस्माइल (27), शेख अकबर (23) और शेख साजन (22) शामिल थे। ये तीनों बांग्लादेशी रायपुर के टिकरापारा के मिश्रा बाड़ा ताजनगर में रहते थे।
जानकारी के अनुसार तीनों फर्जी दस्तावेज बनवाकर 26 जनवरी 2025 को इराक के बगदाद जाने के लिए ट्रेन से मुंबई पहुंचे। इनके संबंध में पुलिस और ATS को जानकारी मिली, जिसके बाद छत्तीसगढ़ पुलिस मुंबई पहुंची। वहां मुंबई ATS से मदद मांगी गई और तीनों को 8 फरवरी को पायधुनी इलाके से पकड़ा। इनके पास से भारतीय पासपोर्ट, आधार कार्ड, पेन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड के साथ ही बगदाद का वीजा बरामद किया गया है।
इकट्ठी की जा रही बायोमेट्रिक और डेमोग्राफिक जानकारी
संदिग्ध प्रवासियों की बायोमेट्रिक और डेमोग्राफिक जानकारी एकत्र की जाएगी है। इस जानकारी को विदेशी पहचान पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। यदि कोई व्यक्ति भारतीय नागरिक होने का दावा करता है, तो उसकी पहचान सत्यापित करने के लिए 30 दिनों का समय दिया जाता है। सत्यापन विफल होने पर निर्वासन की प्रक्रिया शुरू होती है। राज्यों को अवैध प्रवासियों को निर्वासन तक रखने के लिए जिला स्तर पर हिरासत केंद्र (Detention Centers) स्थापित करने का निर्देश दिया गया है।
पहचान के बाद, अवैध प्रवासियों को सीमा सुरक्षा बल (BSF) या तटरक्षक बल को सौंपा जाएगा, जो उन्हें बांग्लादेश सीमा रक्षक (BGB) को सौंपेंगे। निर्वासन से पहले कानूनी प्रक्रियाएं पूरी की जाती हैं, विशेष रूप से उन प्रवासियों के लिए जो संगठित अपराधों में शामिल नहीं हैं।